संविधान संशोधन एक छलाबा : डा.अशोक महासेठ
डा.अशोक महासेठ, इन दिनो नेपाल की राजनीति इस प्रश्न के इर्द-गिर्द में घुम रहा हैं | वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए ऐसा महसूस हो रहा हैं कि अभी संविधान संशोधन नहीं होगा | आम लोगों की चिन्ता बढ़ गई हैं अब क्या करें ? संविधान निर्माण हुए २१ महीने हो गये | संविधान घोषणा के साथ् यह भी कहा गया कि यह पूर्ण नहीं हैं | घोषणा के तूरंत बाद ही संविधान संशोधन होगा ऐसी प्रतिब्धता तीन प्रमुख पार्टी के नेता का था | इसका अर्थ यही है कि संविधान मे मधेशी, आदिवासी, जनजाती, के अधिकार को सुरक्षित नही किया गया | तभी तो इस तरह की बोली संविधान घोषणा के समय आया | संविधान बनने के पूर्व अभी तक संविधान के विषय पर आन्दोलन जारी हैं |
संविधान संशोधन का प्रयास यह दिखाबा है | इससे लगता है कि कांग्रेस और माओबादी पूर्ण रुपसे ईमान्दार नही है सिर्फ़ दिखाने के लिए कहते है कि संविधान संशोधन होना चाहिए | कांग्रेस के सभापति देउवा जी के सरकार बनने के क्रम मे संसद मे प्रचण्ड ने बडा स्पष्ट शब्दो मे कहा कि चुनाव से पहले संविधान संशोधन हो जाना चाहिए इसमे गंभीरता को समझते हुए एमाले का सहयोग करना चाहिए तभी सभी पार्टी को सहजता प्रदान होगी और आम जनता चुनाव मे सहभागी हो सकेंगे | तो फिर अभी क्यों प्रचण्ड उस तरह की बैठक मे सहभागी हो कर हमे कह रहे है कि चुनाव के बाद संविधान संशोधन होगा |
यह कहने की अवस्था आ गई कि ये दोनो पार्टी ईमान्दार नही है | इन्हे सिर्फ़ सत्ता चाहिए | अब गणित के अनुसार देखा जाय तो बहुमत संविधान संशोधन के पक्ष मे है | प्रजातन्त्र मे बहुमत की कदर होनी चाहिए परन्तु अभी नहीं हो रहा है | अर्थात लोकतन्त्र वा प्रजातन्त्र की आदर्श को अपनाया नही जा रहा हैं और वह है एमाले पार्टी | प्रचण्ड ने अपनी भाषण मे यह भी कहा कि कुछ पार्टी एसे है जिन्हे संघियता ,समावेशी नहीं चाहिए वो नाम तक भी सुनना पसन्द नहीं करती ,संकेत एमाले की ओर था | प्रमाण है कि वामदेव गौतम ने सार्वजनिक रुपसे कहा था कि हमारी पार्टी मजबूरी में संघियता को स्वीकारा हैं | इसिलिए यह सव संविधान मे अक्षर में सिर्फ़ सिमित रह गया हैं | अब सैधान्तिक रुप से और वास्तविक रुपसे इन सभी को स्थापित करने इन दोनो पार्टी को भी सडक आन्दोलन मे आना चाहिए | एमाले पार्टी का भण्डाफोर करना चाहिए | प्रजातन्त्र की मूल्य और मान्यता को आधार बनाकर इन्हे भी संविधान संशोधन करने पर मजबूर करना होगा | प्रचण्ड जी आपने कहा कि दूसरे संविधानसभा से भी संविधान नही बनने का खतरा था इसिलिए बहुत सारी मुद्दो पर सम्झौता किया और मधेशबादी दलों का साथ् छोड़ा| प्रचण्ड जी अब तो यह जोखिम समाप्त हो गया | अतः अब माओवादी पार्टी तथा कांग्रेस को भी आन्दोलन मे आकार सभी का अधिकार सुनिश्चित करना चाहिए | अब रही मधेशबादी दलों की बात तो ये लोग भी आंशिक रुपसे संविधान को मान ही लिए हैं तभी तो दो बार प्रधानमन्त्री के चयन प्रक्रिया में सहभागी हो चुके हैं | यदि मधेशवादी दलों को यह विश्वास हो गया है कि संविधान संशोधन सम्भव नहीं है तो उन्हे संसद के पद से राजिनामा देकर पूर्ण रुपसे आन्दोलन मे आना चाहिए |
अन्त मे एक नागरिक के हैसियत से कुछ कहना चाहता हूँ कि देश को राजनीतिक कष्ट से दूर करें | और शहीदो की शृखंला न बनावे | देश मे नागरिक युद्ध शुरु हो चुका हैं इससे किसी भी पक्ष को फाईदा नहीं होगा | देश को नुक्सान होगा | समय अभी भी है बात सम्भल जायेगी |