पार्टी मिलन कार्य – मधेश को तोड़ने का षड्यन्त्र है
कैलाश महतो, पराशी | “आपका सन्देश क्या है अपने जीवन में ?” इसके जवाब में महात्मा गाँधी ने कहा था, “मेरा जीवन ही मेरा सन्देश है ।”
गाँधी ने अपने जनता को अपने त्यागपूर्ण जीवन को ही सन्देश समझने को अनुरोध किया था । गाँधी के उसी जीवन से प्रेरित होकर लाखों लागों ने अनेकानेक कुर्बानियाँ दी । लोगों ने गाँधी पर विश्वास की और गाँधी ने भारतीयों को भारत दी । उनके जीवन के सादगी से अंग्रेज तक ने उनसे हार मान ली और गाँधी को सलाम करते हुए भारत छोड दी ।
है कोई मधेशी नेता जिनके जीवनी से नेपालियों को कोई त्रास हो ?, उनके नजर में किसी का सम्मान हो ? आज भी मधेशी जनता को इतने बेवकूफ समझे जा रहे हैं कि हालसाल ही परगमन कर चुके किसी नेता पर जब लोगों से नाराजगी जाहेर हो रही है तो जनता को उल्लू बनाकर अपना अभिष्ट पूरा करने के लिए “हामी पार्टी प्रवेश गरेका हैनौं, सूर्य चिन्ह लिएर चुनाव लड्ने भनेका हौं” कहता है ।
पार्टी मिलन कार्यों को चिरफार किया जाय तो तस्वीर सामने यही आने बाला है कि वह कोई पार्टी मिलन नहीं, मधेश के स्वतन्त्रता विरोधी साजिश है । मधेश को तोडने का षड्यन्त्र है । लेकिन अब स्वतन्त्रता का पारा मधेश में इतना चढ गया है कि मधेश आजादी ही अब अन्तिम विकल्प रह जाता है जिसमें सही कहा जाय तो नेपाली शासन का बहुत सकारात्मक सहयोग है । मधेश के नये पुस्ते को अब नेतृत्व में आ जाना लाभदायक है ।
नेपाली पार्टिंयों में हो रहे एकता के कारण ः
१. मधेशियों में हो रहे एकता से त्रसित होकर ।
२. प्रदेश नं.२ में आये मधेशी जनमत से घबराकर ।
३. कोठली के बाहर पडे मधेशी मतों के प्रतिशत से परेशान होकर ।
४. थारु समूदाय में दशकों बाद आने बाले विद्रोही शक्ति के त्रास के कारण ।
५. राजपा और उपेन्द्र यादव के बीच हो सकने बाली एकीकरण के कारण ।
६. स्वच्छ पुकार से उठने बाली स्वतन्त्र मधेश के संभावित आन्दोलन के घबराहट के कारण ।
७. कुर्दिस्तान और क्याटेलोनिया में स्वतन्त्रता के लिए हुए जनमत संग्रह की हावा मधेश में आने देने से रोकने के लिए ।
८. मिलजुलकर बनाये गये संविधान को यथास्थिती में ही रखने के लिए ।
९. भारत के कारण हरेक छह और नौ महीने में हो रहे सरकार परिवर्तन कार्य को चुनौती देने के लिए ।
१०. अपहरण के मामले में भारत विरुद्ध लडे देवनारायण यादव के भारत द्वारा हुए गिरफ्तारी विरुद्ध एकता बनाने के लिए ।
११. मधेशियों द्वारा हमेशा होने बाले कचकच के आन्दोलनों को निष्तेज करने के लिए ।
१२. नेताओं में पल रहे स्थायी सत्ता की उन्मादों को पूरा करने के लिए ।
१३. किसी के विरुद्ध एकता नहीं होने का जिक्र कर भारत और मधेश दोनों के विरुद्ध खडा होने के लिए ।
१४. मधेशी दलों को मिटियामेट करने के लिए ।
( कैलाश महतो के आलेख में से संक्षिप्त )