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पाकिस्तान में 1700 साल पुरानी 48 फीट की बुद्ध की प्रतिमा का सार्वजनिक प्रदर्शन

१७ नवम्बर

अभी कल तक अपनी धरती के इतिहास की शुरुआत 1947 या फिर सिंध में मोहम्मद बिन कासिम के हमले से होने को प्रचारित करने वाले पाकिस्तान को यकायक अपनी सैकड़ों साल पुरानी विरासत याद आने लगी है। इसी क्रम में बीते बुधवार को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के हरिपुर में 1700 साल पुरानी 48 फीट की बुद्ध की प्रतिमा का सार्वजनिक प्रदर्शन पर्यटन को बढ़ावा देने और साथ ही धार्मिक सहिष्णुता को रेखांकित करने के इरादे से किया गया। इस दौरान प्रतिमा के उत्खनन स्थल-भामला को पाकिस्तान की विरासत का हिस्सा बताया गया। इस स्थल का दौरा करते हुए तहरीके इंसाफ पार्टी के प्रमुख और जाने-माने क्रिकेटर इमरान खान ने कहा कि यह विश्व विरासत स्थल है और हमें उम्मीद है कि लोग यहां धार्मिक पर्यटन के लिए भी आएंगे। भामला आर्कियोलाजी एंड म्यूजियम डिपार्टमेंट के प्रमुख अब्दुल समद के मुताबिक यह क्षेत्र हमारी विरासत का हिस्सा है।

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इमरान खान ने की प्रतिमा उत्खनन स्थल को धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने की ख्वाहिश
खैबर पख्तूनवा में बुद्ध प्रतिमा के अनावरण और उसके सार्वजनिक प्रदर्शन की पहल को पाकिस्तान की राजनीति और सोच में एक अहम बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि अभी तक पाकिस्तान के तमाम नेता, इतिहासकार, विद्वान और मौलाना आदि इस पर जोर देते रहे हैं कि उनके मुल्क का उस दौर से कोई लेना-देना नहीं जब उनकी धरती पर हिंदू और बौद्ध सभ्यता फल-फूली। वे अपने इस अतीत को खारिज करने के लिए यहां तक कहते थे कि पाकिस्तान के बनने की प्रक्रिया तो उस समय से शुरु हुई जब मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर हमला किया था। पाकिस्तान में हिंदू और बौद्ध सभ्यता के प्रतीकों जैसे मठ-मंदिरों, बुद्ध प्रतिमाओं और बौद्ध स्तूपों के प्रति नफरत का ही यह नतीजा रहा कि वे खंडहर में तब्दील हो गए हैं। पाकिस्तान में सैकड़ों मठ- मंदिर ऐसे हैं जो धर्मशाला, दुकानों में तब्दील हो चुके हैं। यह सिलसिला अभी भी कायम हैं।

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खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के भामला इलाके में उत्खनन में मिली बुद्ध की उक्त प्रतिमा को ऐसी सबसे पुरानी प्रतिमा बताया जा रहा है जिसमें भगवान बुद्ध विश्राम की मुद्रा में दिख रहे हैं। इस तरह की प्रतिमाओं को स्लीपिंग बुद्धा के तौर पर जाना जाता है। भामला इलाके में अब तक बुद्ध से जुड़े पांच सौ से अधिक स्मृति चिन्ह मिल चुके हैं। भामला का इलाका बुद्ध कालीन सभ्यता का एक बड़ा केंद्र था। एक समय यह पूरा क्षेत्र मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में इमरान की तहरीके इंसाफ पार्टी सत्ता में है। इस कार्यक्रम में इमरान की शिरकत के पीछे यह माना जा रहा है कि वह कट्टरपंथी तत्वों के समर्थक की अपनी छवि से दूर होना चाहते हैं। ऐसे तत्वों से बातचीत के हामी होने के कारण इमरान खान को तालिबान खान भी कहा जाता है। खैबर पख्तूनवा सरकार भामला के विरासत स्थल को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का केंद्र बनाना चाहती है। खबरों के अनुसार बुद्ध प्रतिमा के अनावरण के कार्य़क्रम से श्रीलंका, कोरिया, मारीशस आदि देशों के राजदूतों को भी निमंत्रित किया गया।
पाकिस्तान ने अपनी धरती के हजारों साल पुराने इतिहास को खारिज करने के लिए न केवल खुद पर हमला करने वाले मोहम्मद बिन कासिम का गुणगान किया, बल्कि ऐसे ही अन्य आक्रमणकिरयों को भी अपना प्रेरणास्रोत माना। पाकिस्तान की मिसाइलों के नाम गोरी, गजनवी इसीलिए हैं, क्योंकि इन आक्रमणकारियों ने तत्कालीन भारत को तहस-नहस किया था। पाकिस्तान में इतिहास की किताबों में अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य आदि के बारे में कुछ नहीं पढ़ाया जाता, जबकि आज के पाकिस्तान में एक समय इन्हीं शासकों का शासन था।

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दैनिक जागरण से

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