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लक्ष्मणलाल कर्ण



सांसद लक्ष्मण लाल कर्ण ने कहा, ठोड़ी हालात पर्सा के अन्य जगह से भिन्न नही है, वहां भी पानी का अभाव है, नदी के कटाव की समस्या है, सड़कें बिल्कुल नहीं हैं, चितवन के विकास को देखकर वहाँ के कुछ लोग चितवन जाने को लालायित रहते हंै, लेकिन बाकÞी लोग वहीं रहकर वहाँ के विकास में साथ देना चाहते हैं । मधेश में नाम मात्र का जंगल–पहाड़ और पर्यटन का श्रोत ठोड़ी ही है, उसे कहीं और ले जाने का सवाल ही नहीं उठता और हम ले जाने भी नहीं देंगे । सांसद कर्ण ने कहा, कि हमलोग तो संविधान बहिष्कार किए थे, लेकिन जिनलोगों ने इसे बनाया, वे लोग खÞुद भी चाहे तो क्षेत्र नही बदल सकते । बीरगंज राजधानी बने तो सबसे ज्यादा खुशी मुझे होगी, लेकिन उसके लिए मधेशी–मधेशी में लड़ाई नही होनी चाहिए, जो लोग राजधानी के लिए सड़कों पर आंदोलन कर रहे है, उनसे पूछिए कि उनकी पार्टी ने जबरदस्ती संविधान बनाया, तो राजधानी भी लिख देते, हमलोग तो बाधक नहीं थे, आज भी अंतरिम राजधानी तय करने का अधिकार उनकी पार्टी के पास है, जो अभी भी सत्ता में है, फिर वे अपने पार्टी के खिÞलापÞm आंदोलन करके दिखाए । सांसद ने कहा कि आम धारणा है कि, पर्यटन के विकास के लिए पहाड़ होना चाहिए, पर्सा में भी पर्यटन की संभावना है, पर्सा के महुवन में १४वी शताब्दी में सेन राजा ने १५०० बिगहा जमीन देकर पारसनाथ मंदिर बनवाया था, जिसे राजसंस्था ने लूट कर बर्बाद कर दिया, इसी पारसनाथ मंदिर के नाम पर पर्सा जिÞला पड़ा । पारसनाथ की मूर्ति और मंदिर आज भी है, गूठी द्वारा पूजा करने के लिए २५ रुपया मात्र मिलता है । हम सभी को मिलकर इसका विकास करना होगा । सांसद कर्ण ने ‘हिमालिनी परिवार’ को धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए, इनसे हमें आगे काम करने का रोडमैप मिलता है, हिमालिनी इसे मधेश के २२ जिलों में करें, उसमें उनका हर तरह से सहयोग रहेगा ।
प्रचण्ड का सपना दिवास्वप्न है



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