Tue. Apr 29th, 2025
himalini-sahitya

बेटी की विदाई

बेटी की विदाई एक अजीब अहसास
होता है जिसमें रिश्‍तों का आभास
पहले बेटी माता-पिता का अरमान थी
कुल की वह पहचान थी
तभी तो रानी झांसी, मीरा की मांग थी

आज वतन ने ये अहसास खो दिया
आंचल भीगो लियामाता-पिता ने बेटी के रक्‍त से

वो भी क्‍या करें? इन पर
कुरितियां सवार है मानना है इनका,
कुल का बेटा पहचान है
गरीबी का बोझ दहेज का गुणगान है
अमीरों को छोड बाकी सब परेशान है
शादी के बाद बेटी को दहेज जला देता है
दिया जन्‍म उन्‍हें खून के आंसू रूला देता है
इसी कारण इस गुनाह से परहेज नहीं करते,
ढोली की विदाई छोड बेटी की विदाई
जन्‍म से पहले ही करते
पहले आंसू थे वो भी सूख गए
अहसास को छोड इसका आभास भी भूल गए
नये भाग्‍य के माथे पर कर दी एक काली पुताई,
जन्‍म से पहले करते है बेटी की विदाई
इस दाग को मिटाने के लिए
हमें प्रयास तो करने होंगे
घी के दीपक छोड तेल के जलाने होंगे
जो करते है, ये गुनाह उन्‍हे सबक सिखाने होंगे,
फिर नया सूरज होगा, नई पूर्वाई
जन्‍म से पहले करने है
बेटी की विदाई

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *