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बिमस्टेक – सर्बपक्षीय प्रगति का आधार : चन्दा चौधरी सांसद, राजपा नेपाल


काठमांडू, ३० अगुस्त | बहुपक्षीय प्राविधिक तथा आर्थिक सहायता के लिए बंगाल के खाडी की देशो की प्रयास (बिमस्टेक) की चर्चा अभी शिखर पर है । आज और कल दुनिया की निगाहे टिकी रहने की ग्यारेन्टि है बिमस्टेक पर । एसिया मे विश्व जनसंख्या की आधा जनसंख्या है वही पे बिम्सटेक मे आबद्ध देश का जनसंख्या २२ प्रतिशत है ।
विश्व मे जब क्षेत्रीय राजनीति की शुरुअात हुई तब विभिन्न प्रकार के संगठनो का निर्माण हुवा था । खासकर अमेरिका, यूरोप विश्व राजनीति एवं आर्थिक राजनीति के अपाम दखल बढने लगा था । और विश्व की और भी क्षेत्र मे सांगठनिक क्षमता के बारे मे लोग  सोचने लगे । यूरोपियन यूनियन और आसियन जैसै क्षेत्रीय संगठनो से उत्प्रेरित हो कर दक्षिण एसिया मे भी संगठनो का निर्माण हुवा ।
एक्किस बर्ष पहले निर्माण बिमस्टेक का मूलमर्म है की इस मे आबद्ध राष्ट्रो का सर्वपक्षिय हित कैसे किया जा सकता है और योजना बना कर कैसै लागु किया जा सकता है । वास्तव मे कहा जाय तो एसिया और खास कर दक्षिण एवं दक्षिण पुर्वी एसिया आपने आप मे बिबिधता से भरा विश्व का एक अति संबेदनशील भाग है । उतना ही नही, धार्मिक कट्टरता, गरीबी, पिछडापन और आतंकवाद जैसे मुद्दाें की चपेट मे  यह भुभाग रहता आ रहा है ।
जब राज्य  स्वतन्त्र हो रहा था सम्प्रभुता सम्पन्न और अपने अपने कानुन और नियम खुद बनाने के लिए सामर्थ हो चुके थे। परंतु राज्य स्वतन्त्र होने के बावजूद भी आर्थिक व्यापारिक और राजनीतिक आधार मे एकदूसरे पर अन्तरनिर्भर भी है । विश्वव्यापिकरण और राजनितिक आधार मे भी एकदुसरे पे अन्तरनिर्भित है । विश्वव्यापिकरण, संचारक्रान्ति तथा विज्ञान और प्रविधी के बिकाश ने आज विश्व को एक गाँउ अर्थात वल्ड भिलेज के रुपमे रुपान्तरण हुवा है । एेसी परिस्थिति मे राज्य की आवश्यकता ने अपनी राष्ट्रीय सीमा पार कर अन्तराष्ट्रीय जगत से अन्तरसम्बन्ध कायम करने के लिए एेसे अन्तराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनो का स्वरुप निर्धाराण हुवा है । और विश्व मे क्षेत्रियतावाद का उदय हुवा । समय के हिसाब से कहा जाय तो दूसरे विश्वयुद्ध पश्चात क्षेत्रियतावाद ने चर्चा पायी, जोडतोड से ।
अभी बिमस्टेक मे बंगलादेश, भुटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका दक्षिण एसियालाई प्रतिनिधित्व कर रहा है वही म्यानमार और थाईलेण्ड दक्षिण पुर्वी एसिया को ।
इसबार के सम्मेलन मे क्या होगा पता नही परंतु जो होगा वह अच्छा ही होगा खास कर बिमस्टेक मे सम्मिलित देशो के लिए और समग्र एसिया के लिए । खुशी बात यह है के विश्वशक्ति के रुप मे उभर रहे भारत बिमस्टेक को बहुत ही गंभीरता के साथ ले रहा है । इमान्दारी के प्रतीक एवं राजनेता स्वर्गिय अटल बिहारी बाजपेयी भारत के ही थे और उन्हो ने कहा था की हम मित्र बदल सक्ते है परंतु पडोसी नही । और उनकी इस मान्यता को अभी भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी  अटल जी के उस सिद्धान्त को पथप्रदर्शन के रुप मे ले आगे बढ रहे है । औ व्यवहार मे भी दिखाते आ रहे है ।
इस मे कोई दो राय नही है की दक्षिण एसिया मे सबसे बडी चुनौती आतंकवाद है । और आतंकवाद का नही तो कोइ मजहव होता है न वतन । इसिलिए सिमस्टेक सम्मेलन मे इस मुद्दा का जड से उखाड फेक्ने के लिए सभी को एकजुट होना जरुरी है । और आमजन मे यह विश्वास है की इसपे संकल्प भी लिया जाएगा इस सम्मेलन मे । गरिबी, अर्थात बहुतसारे देश एसै है बिमस्टेक मे जो की गरिबी के चपेट मे सदियो से रहते आ रहे है । खासकर छोटा राष्ट्र । तो कुछ एसे योजना निर्माण की आवश्यकता है जिस्से की गरिब राष्ट्रो का आर्थिक कायापलट हो । और चुकी भारत जैसै बडे ह्दिय रखने बाली भारत का सक्रियता है इसमे तो आवश्य भारत इसको गंभिरता के साथ लेगी ही ।
खासकर नेपाल के लिए यह सम्मेलन एक सुनहरा अवसर है । नेपाल इस सम्मेलन को होस्ट कर रहा है । वैसे नेपाल और भारत के संबन्धो पे ज्यादा चर्चा करने की जरुरत नही है । क्यिूँकी नेपाल के रोटी–बेटी और खुला सिमा जैसा अनोखा सम्बन्ध विश्व को आसचर्य सकित करते आ रहा है । इसबार की सम्मेलन से नेपाल को भारत लगात बिमस्टेक मे आबद्ध सभी राष्ट्रो से अपना सम्बन्ध और बेहतरिन बनाना चाहिए । और दुनिया को यह संदेश पहुचाना चाहिए की हम पडोसी एक है । हम समृद्ध हो रहे है । बिमस्टेक सफल हो इसकी कामना सहित इस लेख को यही बिराम देना चाहुंगी ।

 चन्दा चौधरी
पदः प्रतिनिधीसभा सांसद, राजपा नेपाल
अध्यक्षः नेपाल–भारत महिला मैत्री समाज



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