Sat. May 17th, 2025

चाहत काे अपने दिल से हर बार क्याें यूँ दूर किया ।

सुरेखा शर्मा

सुरेखा शर्मा

चाहत काे अपने दिल से

हर बार क्यूँ यूँ दूर किया ।

चाहत का हाथ हाथ में ले

क्यूँ मिलने काे मजबूर किया

चाहत ने अाँखाें में देखा जाेऽ

प्यार के रंग में रंग दिया ।

चाहत का हाथ पकड फिर

उस पर अपना नाम लिखा

फिर हर अक्षर काे काट कर

अपना नाम मिटा डाला ।

छल भरा था जितना मन में

चाहत पर सब वार किया

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फिर अाग में झुलसा कर उसमें

पत्थर जैसा मजबूत किया ।

स्वार्थ मैल अाैर छल बल काे

सहने काे मजबूर किया ।

चाहत काे अपने दिल से

हर बार क्याें दूर किया । 

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