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तक्मा बांट कर अवाम को तोहफे में चक्मा : बिम्मी कालिंदी शर्मा



(व्यग्ंय ) बिम्मी कालिंदी शर्मा, वीरगंज | सरकार ने राष्ट्रपति के हाथों विभिन्न क्षेत्र के (कु)ख्यात लोगों को तक्मा बांट कर देश की अवाम को भी तोहफे में चक्मा दिया है । बांटे गए तक्मो का खर्च आठ करोड से ज्यादा है जो राष्ष्ट्रपति या सरकार ने अपनी थैली में से नहीं दिया है । जाहिर सी बात है यह तक्मा अवाम के दिए हुए टैक्स के पैसों का है । देश के अवाम का ही पैसा खर्च कर उसी को चक्मा दे कर मूर्ख बना रही है सरकार । क्यों कि ईस देश की भेंड जैसी अवाम चक्मे के भी लायक नहीं है तक्मा तो दूर कि बात है । यदि देश कि अवाम की बुद्धि सवा जिवी की भी होती तो दो तिहाई वोट दे कर ऐसे मस्त कलदंर को जीता कर सरकार बनाने नहीं देती । ईसी लिए तो ईस देश में बुद्धिजिवी कोई नही है बस सब बुद्धिहीन हैं ।
सरकार ने जिन, जिन को चून, चून कर तक्मा दिया है उन का सामाजिक धरातल देखिए ? सभी सडे हुए टमाटर और प्याज जैसे है । जो सर्वोच्च का प्रधान न्यााधीश है जिस का शिक्षा और नागरिकता का प्रमाण पत्र ही नकली है सरकार ने उस को तक्मे से विभुषित किया है । जिस प्रहरी अधिकृत नें रेपिष्ट को बचाया उस को भी तक्मा मिला । और त्रिभूवन बिश्व विधालय के प्राध्यापक जो दुसरे का थेसिस या कार्यपत्र चोरी कर के खूद के योग्यता में सामिल करता है उस “मेरिट धारी” को भी तक्मा मिला है । और देखने वाले दर्शक, सुनने वाले श्रोता और पढ्ने वाले पाठक को मिला बाबा जी का ठूल्लू ।
सरकार भवंर में फंसे उस नाविक या माझी कि तरह हो गई है जो जिस दीशा में तुफान आ रहा है अपनी नाव को उसी और ले चलता है । ईस का सिधा सा मतलब है कि वह नाव को डुबाना चाहता है और उस में बैठे यात्रियों को भी मझदार में धकेलना । हमारी सरकार भी वही कर रही है वह देश रुपी नाव को हमेशा के लिए डुबो कर देश के नागरिकों को मझदार मे छोड देना चाहती है । सरकार का क्या है वह तो कुशल तैराक है । कुद कर दुसरे नाव में सवार हो जाएगी । डुबेगा तो यह देश ही और हर्जाना भी होगा तो यहां की अवाम की ही । ईसी लिए तो सरकार कालिदास कि तरह सारे उल्टे काम कर रही है । जिस पेड कि टहनी पर खुद बैठा है उसी को का्टने पर आमादा है सरकार ।
ह्मारे प्रधान मंत्री का जीभ है ही खड्ग कि मानिंद । नाम जैसा ही काम करते हैं हमारे पिएम । ईसी लिए तो कोई उन्हे सवाल पुछने कि हिमाकत कर ले तो अपनी खड्ग जैसी तेज जुबान से उस को जवाब दे कर काट डालते है । देश में हाल में हुए भारी बारिश कि वजह से सडकों का खस्ता हाल अवस्था पर पत्रकारों द्धारा पूछे गए सवाल के जवाब में हमारे पिएम ने बडे ही भोलेपन से कहा कि देश में बारिश या बाढ सरकार नहीं लाई है । देश में भूकंप भी तो सरकार नहीं लाई थी । फिर क्यों भूकंप पीडितों के लिए आए राहत सामग्री और पैसे को खूद डकार गए ?
देश भर में हर दिन हो रही और बढ रही रेप कि घटनाओं पर भी किसी दिन हमारे पिएम यही जवाब दे कर सब को लाजवाब कर देगें कि रेप कि घटना बढने में सरकार का कोई हाथ नहीं है या सरकार ने रेप नहीं किया है । पर सरकार तो हर दिन रेप कर रही देश की अवाम के भरोसे के साथ और अपनी चुनावी वादों के साथ । महंगाई तो सरकार कि प्रेमिका जैसी हो गई है जो हर दिन अपने प्रिय पिएम के ईशारे पर नाचते हुए देश की अवाम के शीर पर बिजली की तरह गीर जाती है । रेपिष्ट को बचाना, छुपाना या उस को तक्मा दे कर सम्मानित करना भी अवाम के साथ रेप करने जैसा ही है ।
तक्मे को ईस तरह बांटा गया था जैसे मूफ्त की रेवडियां हो । ससुराल से आए हुए मीठाई के प्रति कोई लगाव या प्रेम नहीं होता उसी तरह अवाम के दिए हुए टैक्स के पैसे से खरिदे हुए तक्मे के प्रति भी क्या मोह होगा ? अपनी अंटी से पैसा जाएगा तब न नानी याद आएगी । अब अवाम के खून, पसिना आर आंसू की कमाई को जितना चाहे लूटो और लुटाओ और हर ऐरा, गैरा नत्थु खैरा को तक्मा बांटो और सम्मानित करो । भले ईस से तक्मे का ही अपमान हो जाए उस को शर्मिंदगी महसुस हो कर तक्मा पाने वाले के गर्दन में चढना न चाहे । पर सरकार हर (अ)योग्य और नकारा ईंसान को जबरजस्ति तक्मा दे कर सम्मानित कर रही है और ईस देश की अवाम को चक्मा दे कर हर जगह, हर दिन अपमानित कर रही है । (तक्मा = पदक मेडल )



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