ये मुर्बई शहर हादसों का शहर है:
करुणा झा
वैसे तो आतंकवाद ने पूरे विश्व पर अपना कब्जा जमाया है, फिर भी भारत कई दशकों से इसकी त्रासदीको झेल रहा है दुनियाँ का सबसे बडा आतंकवादी ओसामा विन लादेन भले ही मारा गया हो, इसका ये मतलब नहीं कि आतंकवाद खत्म होने को है इसकी जडें इतनी मजबूत है कि एक ओसामा के मर जाने से हिल भी नहीं सकती वैसे तो भारत के सभी बडे शहर आतंकवाद के निशाने पर हैं, पर मुर्बई को कुछ ज्यादा ही झेलनी पड रही है, पहले २७/११ और अब १३/७ भारत की आर्थिक राजधानी बार-बार आतंकवादियों का शिकार बनती रही है जाहिर है, आतंकबादी इस तरह भारत की आर्थिक व्यवस्थाको अपना निशाना बनाना चाहतें हैं जो भी हो ये तो जाँच के बाद ही पता चल पायेगा कि इस हमले के पीछे किस आतंकवादी संगठनका हाथ है
उधर प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि १३ जुलाई के आतंकवादी हमलों के आतंकवादियों को वख्शा नही जायेगा, लेकिन जमीनी स्तर पर यही दिख रहा है कि २६/११ से हमारी केन्द्र व राज्य सरकारों ने कोई सबक नही सीखा हैं २६/११ के बाद जो एक महत्वपरूण्ा तथ्य सामने आया है कि तमाम जाँच एजेंसिया का समन्वय होना जरुरी है लेकिन १३ जुलाई के हमले को जिस तरह से जाँच हो रही है, उससे कुछ महत्वपर्ूण्ा सुराग नही मिल सकते कुछ सुराग तो बारिश में धूल गये बाँकी तमाम सुरक्षाकर्मी, मिडियावालों और दूसरे लोगों की आवाजाही से खत्म हो गये जो भी हो जब भी इस तरह के धमाके होते हैं, कुछ जाँच एजेन्सियों की जाँच का जिम्मा देकर अपना पल्लू झाड लेते हैं इसबार भी लश्कर-ए तयबा और इंडियन मुजाहिद्दीन की तरफ शक की सुइयाँ घूमती है इन धमाकों के बाद तमाम नेताओं ने यह दोहराया है कि हम एक मुस्किल स्थिति में रह रहे हैं और ऐसे में आतंकवादी हमलाओं का खतरा भारत में बना रहेगा यह बात सही है कि कई ऐतिहासिक, भूराजनैतिक और रणनीतिक वजहों से भारत आतंकवादियों के निशाने पर है, और इतने बडे देश में आतंकवादी हमलों को रोकना मुस्किल है, खास तौर पर, इसलिए कि हम अफगानिस्तान और पाकिस्तान के ठीक पडोस में है जिसे इस वक्त दुनियाँ का सबसे खतरनाक देश माना जा राह है सरकार चाहे जिसकी हो ऐसी नीति किसी ने नहीं बनाई, जिसमें रीढ की हड्डी हो
अमेरिका जैसे देश आतंकवादी हमलों के खिलाफ एक मजबूत तंत्र बनाने में इसलिए कामयाब हुए क्योंकि उनकी कानून व्यवस्था कायम करनेबाली सामान्य व्यवस्था चुस्तदुरुस्त, सुसज्जित और सुनियोजित है ऐसे में आतंकबाद जैसे विशेष अपराध के लिए विशेष तंत्र बनाना भी आसान हो जाता है, हमारी मुख्य दिक्कत यह है कि पुलिस और खुफिया एजिन्सयाँ आमतौर पर अपर्याप्त साधनों और खराब काम की परंपरा की वजह से अपना सामान्य काम भी कुशलता से नही कर पाती ऐसे में उनसे यह उम्मीद नहीं करना चाहिए कि वे आतंकवाद जैसे भयानक अपराध का रोक पायेंगी या अपराधियों को सजा दिलवा पायेंगी जो पुलिस राजनैतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार की वजह से अपनी पेशेवर कुशलता खो चुकी है, वो सुसंगठित और साधन सम्पन्न आतंकवादियों से कैसे मुकावला करेंगी – इस हमले के तार बिहार से भी जुडे हुये बताये गये हैं, और आतंकवादियों का स्केच भी तैयार कर लिया गया है ९/११ के बाद अमेरिका में फिर से कोई आतंकवादी हमला नही हुआ अमेरिका ने अपनी सारी ताकत लगा उतनी दूर से भी पाकिस्तान में छिपे ओसामा विन लादेन को मार गिराने में सक्षम है तो क्या हमारी सरकार क्यूं नही कर सकती अपराधी चाहे बिहार में हो या पाकिस्तान में हमारी सरकार चाहे तो पकड सकती है लेकिन आजतक ऐसा नही हुआ एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा कर हमारे नेता अपना उल्लु सीधा करते है
लेकिन जो भी हो हमारी देश के अभिनेताओं अभिनेत्रीयों को धन्यवाद देना चाहिए जो कि इन मर्ुबई बासियोके दुःख दर्द में शामिल होते हैं ये तो पर्दे पर सिर्फदिखाने के लिए वर्ेशर्म होते है पर हमारे देश के नेताओं की बेशर्मी के तो कया कहने – अपना काम रहे बनता भाड में जाये जनता
खैर …. देश की आर्थिक राजधानी मुर्ंबई पर आतंकवादी हमलों से वे इस देश के अर्थतन्त्र को कमजोर बनाने में लगे हैं पहले २६/११ और अब १३/७ आगे देखे और क्या क्या होता है …. क्योंकि …. ये मुर्ंबई शहर हादसोंका शहर है यहाँ रोज रोज हर मोड पर होता है, कोइन कोई हादसा ये है मुर्ंबई मेरी जान िि
ि