नेपाली व्यापार और चाइना का ‘वन बेल्ट वन रोड’ पुनर्विचार की जरुरत
संजीव विक्रम शाह

आने वाले दिनाें में विश्व व्यापार मे एसिया महाद्वीप एक अहम भूमिका निभाने जा रहा है । इसलिए हिन्द महासागर ट्रेड रुट के नजिरये से काफी अहम है कि इस बात को समझते हुए चाइना ने वन रोड वन बेल्ट परियोजना की शुरुवात की और जिसके तहत साउथ चाइना सी में चाइना ने चार कृत्रिम दीप का निर्माण कर रहा है । अपने पडोसी देशों मे बंदरगाह, रेलवेट वर्क और रोड का निर्माण करके एसिया के देश को जोडा जा रहा है । इसी तरह हिन्द महासागर के स्ट्रेटीजी लोकेशन मे बसे मलेशिया में चाइना गहरे पानी में बंदरगाह बनाने का प्रस्ताव दिया था, जहाँ एभर क्राफ्ट केरियर रखा जा सके । उसी के साथ रेल परियोजना, कृत्रिम द्वीप का निर्माण करता जहाँ लोगो को बसाया सके । ऐसी कई परियोजना को शुरु करने का प्रस्ताव दिया गया था जिसे मलेशिया के पूर्व प्राइम मिनिस्टर ने स्वीकार किया था । लेकिन अभी एक नई बात सामने आई है कि मलेशिया के नये प्राइम मिनिस्टर महाथीर मुहम्मद पाँच दिन के विजींग सफर में कहा था कि उन्होने विजिंग के दो परियोजनाअाें को बंद कर दिया है । जिसकी कीमत ४२२ बिलियन थी । उनका कहना था कि इस परियोजना से उनके देश कर्ज मे डूब जाएगा । इसलिए उनके देश को इस परियोजना की जरुरत नही है और न व्यवहार उपयोगिता है । प्राइम मिनिस्टर महाथिर मुहम्मद की बातों से ये साफ झलकता है कि चाइना ने पूर्व प्राइम मिनिस्सटर नाजीव रजाक को आसानी से मिल रही ऋण सजाबटी परियोजना सुरक्षित सौदा बताके इस परियोजना पर मुहर लगा दी थी । श्रीलंका, डीजी बोली से मयनमार और मौहिनिग्रो ऐसे बहुत सारे देश है जिन्होने चाइना से इन्फ्रास्ट्रक्चर केंपेन के तहत पैसा उधार लिया था । इन देशो ने बाद में पाया कि जिन परियोजना के तहत बन देशो ने लोन लिया था, उसमें काफी छुटे हुए पहलु हैं जो कि दिखते नहीं है । नेपाल मे भी भारी मात्रा मे चाइनीज कंपनी लुभावने परियोजना ला रही है, जो दिखने मे काफी आकर्षक है । हाइड्रोइलेक्ट्रीसिटी प्रोजेक्ट, रोड, रेल, सर्विस सेक्टर मे भारी पैसा लगा रही है । माना जा रहा है कि लगभत इसी साल १०८ छोटे बडे परियोजना मे २९.८० विलियन खर्चा कर रही है । नेपाल मे इतना ज्यादा चाइनीज इनभेष्टमेन्ट के तहत जो लोन नेपाल ले रही है उसका भार क्या नेपाल उठा पायेगी । पोखरा मे जहा १४० मिलियन से बनने बाला एयरपोर्ट, चाइना २१६ मिलियन डलर मे बनायी । रसिया के छोटे–छोटे देशो को इन्फ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट के लिए विदेशी इनभेस्मेंट की जरुरत होती है । पर चाइना जिस तरह से नेपाल मे लोन दे रही है नेपाल जैसे छोटे देश के लिए इसका भार उठा पाना क्या आसान है । श्रीलंका मे किए जाने वाले निवेश के वजह से श्रीलंका कर्ज के जाल में फँस गया । मलेशिया ने इस बात को समझते हुए चाइना के भारी प्रोजेक्ट को रोक दिया नेपाल गवरमेंट को जरुरी है कि अपने देश में विदेशी निवेश लाए लेकिन नेपाल के जनता के लिए उनके बेहतर भविष्य के लिए ना कि नेपाल और नेपाल की जनता कर्ज मे डूब जाए ।