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उपेन्द्र, महन्थ और राजेन्द्र ने मधेशी जनता को धोका दिया है: तमरा अभियान



 

सप्तरी, १३ जनवरी । तराई–मधेश में ही सक्रिय कुछ बुद्धिजिवी और राजनीतिक नेता–कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उपेन्द्र यादव, महन्थ ठाकुर और राजेन्द्र महतो ने तराई–मधेश में रहनेवाले जनता को धोका दिया है । तराई मधेश राष्ट्रीय (तमरा) अभियान द्वारा शनिबार राजविराज में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम को सम्बोधन करनेवालों ने इस तरह का आरोप लगाए है । उन लोगों का मानना है कि ‘समृद्धि और विकास’ के नाम में मधेशी जनता को अधिकार बिहीन बनाने की षड़यन्त्र हो रहा है और उस खेल में स्वयम् अपने को मधेशी दल कहनेवाले भी सक्रिय हैं ।

कार्यक्रम को सम्बोधन करते हुए अभियान के संयोजक जयप्रकाश गुप्ता ने कहा– ‘सरकार में शामील संघीय समाजवादी फोरम नेपाल और राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा) के नेता कह रहे हैं कि मधेश आन्दोलन ने जो मुद्दा आगे लाया है, अब उस को भूल कर राजनीतिक सफलता की मापन उनके द्वारा किया गया विकास निर्माण संबंधी कार्यों में खोजना चाहिए । एक दिन पहले ही राजविराज में आकर उपेन्द्र यादव ने कहा कि सप्तरी में रामराजा प्रसाद सिंह के नाम में मेडिकल कॉलेज खुल रहा है, नर्सिंग कॉलेज, कोल्ड स्टोरेज, बस पार्क और कई सड़क बन रही है, मधेश समृद्ध हो रहा है ।’ उनका मानना है कि लेकिन विकास एक प्रक्रिया है, जो वर्षों से जारी है । संयोजक गुप्ता ने आगे कहा– ‘इसको मधेश मुद्दा में जोड़कर देखना ठीक नहीं है ।’ उन्होंने कहा कि राणा शासन काल में ही मधेश में चन्द्र नगर और काठमांडू में जल विद्युत केन्द्र निर्माण की गई थी, मधेश में ही पूर्व–पश्चिमी राजमार्ग, जनकपुर में चुरोट फैक्ट्री, वीरगंज में चिनी काराखाना जैसे विकास निर्माण संबंधी कई काम प्रजातन्त्र आने से पहले ही हुआ था । उनका मनना है कि मधेश मुद्दा इस तरह की विकास निर्माण संबंधी कार्य से प्रभावित होना नहीं चाहिए । उन्होंने यह भी कहा कि उपेन्द्र यादव को सत्ता में नहीं, मधेश मुद्दा में केन्द्रीत होना जरुरी है ।
संयोजक गुप्ता ने आगे कहा– ‘विकास निर्माण के लिए उपेन्द्र यादव जी न तो आदि पुरुष हैं, या अन्तिम पुरुष ही । राजविराज में पुनः विमान सेवा शुरु हुआ है, लेकिन हवाई मैदान की शिलान्यास तो गणेशमान सिंह ने ही किया था । आज से कई साल पहले सगरमाथा अंचल अस्पताल बना था । इस तरह का और भी कई विकास हो सकता है । लेकिन उपेन्द्र जी की मूल ध्यान मधेश सवाल में केन्द्रीत होना चाहिए, जो अभी नहीं हो रहा है । वे लोग मधेश से विमूख हो रहे हैं ।’ उन्होंने कहा कि आज स्थानीय निकाय, प्रादेशिक सरकार और संघीय सरकार तो है, लेकिन सिर्फ इतना ही आन्दोलन का उपलब्धी नहीं है । उनका मानना है कि आन्दोलन तब ही उपलब्धीपूर्ण हो सकता है, जब आन्दोलन द्वारा उठाया गया सवाल को संवैधानिक रुप में संस्थापन किया जाता है ।

 


तमरा अभियान के ही संगठन विभाग प्रमुख आर.डी आजाद का कहना है कि २० जिलों में मधेशियों का बहुमत है, लेकिन आज मधेशी समुदाय को सिर्फ ८ जिलों में सिमित कर दिया गया है । उन का यह भी कहना है कि ८ जिलों में भी मधेशी समुदाय को अल्पमत में ही रख दिया गया है । आर.डी आजाद को मानना है कि इसके पीछे सिर्फ राज्य ही नहीं, मधेशवादी पार्टी भी जिम्मेदार है । उन्होंने कहा कि मधेशवादी पार्टियों के कारण ही ‘मधेश’ भौगोलिक और मुद्दागत रुप में समाप्त होने जा रहा है । आजाद ने आगे कहा– ‘जिस तरह तिब्बत में तिब्बतियन समुदाय की भूगोल और पहचान दोनों समाप्त कर दी गई, वही अवस्था मधेशियों की भी होने जा रही है । क्या आज के फोरम नेपाल और राजापा जैसे सत्ता लम्पट राजनीतिक पार्टी मधेश को इस अवस्था में पहुँचने से बचा पाएंगे ?’ उनका मानना है कि फोरम नेपाल और राजपा के नेताओं कि चिन्तन के कारण ही आज मधेश अधिकार और पहचान विहीन हो गया है । उन्होंने आगे कहा– ‘मधेशी जनता में भ्रम है कि फोरम नेपाल और राजपा के नेता क्रान्तिकारी हैं, यही भ्रम के कारण क्रान्तिकारी मधेशियों का संगठन निर्माण नहीं हो सका है । इस भ्रम से मुक्त होकर मधेशी शक्ति निर्माण कर मधेश मुद्दा को रक्षा करना आज की आवश्यकता है ।’ उनका मानना है कि अब मधेशी के सामने तीन विकल्प है– १. राज्य के साथ आत्म समर्पण करना, २. जीने के लिए भारत की ओर पलायन होना और ३. संघर्ष को निरन्तरता देना । तीन विकल्प में से एक रोजने के लिए भी उन्होंने आग्रह किया ।
कार्यक्रम को सम्बोधन करते हुए पूर्व मन्त्री अनिस अंसारी ने कहा कि सद्भावना पार्टी गठन होते वक्त और संघीयता की मुद्दा आगे आते वक्त स्पष्ट रुप में ‘समग्र मधेश एक प्रदेश’ की मांग आया था, जो मधेशी जनता की माग है, लेकिन उपेन्द्र यादव, महन्थ ठाकुर और राजेन्द्र महतो ने उक्त मांग को समाप्त किया है । अंसारी ने आगे कहा– ‘उपेन्द्र यादव द्वारा निर्धारित प्रदेश नं. २ के मुख्यमन्त्री टी.भी. में आकर सीके राउत को राष्ट्रद्रोही करार देकर जेल भोजने की बात करते हैं । इन लोगों को सत्ता की मात लगा है । मधेश आन्दोलन के नाम में सत्ता में पहुँचनेवाले अब अपनी सत्ता को बरकरार रखने के एि मधेश में यादव और मुसलमान की समीकरण बनाने जा रहे हैं ।’ उनका मानना है कि आज देश कें कूल ७ प्रदेशों में से सबसे अधिक भ्रष्टाचार प्रदेश नं. २ में हैं । उन्होंने आगे कहा– ‘पहले काठमांडू शोषण करता था, आज जनकपुर नयां शोषक के रुप में उभर आया है ।’



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