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श्री पञ्चमहालक्ष्मी एवं श्री मुक्तिनाथ भगवान का अनन्य भक्त अनन्त श्री विभूषित मुक्तिनाथ पीठाधीश्वर अखण्डज्योति बाबा स्वामी कमलनयनाचार्य श्री जी महाराज के सत्संकल्प में विश्व का पहला और एक मात्र श्री पञ्चमहालक्ष्मी -श्री महालक्ष्मी, श्री सम्पन्न लक्ष्मी, श्री भोगलक्ष्मी, श्री ज्ञानलक्ष्मी एवं श्री मोक्षलक्ष्मी) माता व मंदिर का निर्माण हुआ है । यह मंदिर श्री पशुपति नाथ मंदिर से २२ कि.मी की दूरी पर स्वस्थानी व्रतकथा में वणिर्त लावण्य देश अर्थात आज का साँखु क्षेत्र में प्रवहमान शाली नदी और श्री देव नदी के संगम स्थित मणिचूड एवं रत्नचूड की शीतल छायावस्ती श्रीवन भक्तपुर के छालिंग में स्थित है, जो प्रचीनकाल से ही अनेक देवी-देवताओं का उद्गम स्थल रहा है ।
मुक्तिनाथ श्री स्वमी जी का कहना है कि प्रतिस्थापित श्री पञ्चमहालक्ष्मी जैसा मंदिर संसार में कहीं भी स्थापित नहीं है । इस मंदिर की स्थापना से हिन्दू कुश हिमालय के लिए ही गौरव की बात नहीं बल्कि विश्वभर के तमाम वेदानुयायी समाज के लिए २१वीं शताब्दी की उपलब्धि है । श्री पञ्चमहालक्ष्मी माता की पूजा-आराधना एवं सेवा से यश, ऐर्श्वर्य, आरोग्य आत्मज्ञान एवं मोक्ष प्राप्त होता है । आज के भौतिकवादी युग में रोग, शोक, भोक, संताप, अशान्ति और अज्ञानता से ग्रस्त मानव जाति को श्री पञ्चमहालक्ष्मी माता की आराधना, दीक्षा, जप एवं अनुष्ठान से सुख-समृद्धि और शान्ति के मार्ग में अभ्रि्रेरित होता हुआ मानवीय दुष्प्रवृति से छुटकारा मिलती है ।
श्री पञ्चमहालक्ष्मी मंदिर स्थापित मर्ूर्तियों के पञ्चादिवसीय प्राण प्रतिष्ठानार्थ समारोह आगामी २०११ के मई १२ सोम से लेकर १९ शुक्र तक मनाया जाएगा । यह समारोह मानवमात्र की शान्ति, समुन्नति एवं कल्याण के लिए भव्यता के साथ मनाया जाएगा । इस अवसर पर भारत से उच्चकोटि के सन्त-महात्मा, धर्माचार्य एवं विद्वानों को आमन्त्रित किया गया है ।
प्रचीन नगरी भक्तपुर के पर्यटकीय स्थल नगरकोट की कोख में स्थित, प्राकृतिक छटाओं से पर्ूण्ा मौलिक पैगोडÞा शैली में निर्मित श्री पंचमहालक्ष्मी मंदिर विश्व के लिए सुन्दरतम आध्यात्मिक पर्यटकीय स्थल बनने वाला है । इस क्षेत्र को इक्कीसवीं शताब्दी के उदाहरणीय धार्मिक सांस्कृतिक एवं पर्यटकीय तर्ीथस्थल के रूप में विकसित करने का संकल्प श्री स्वामी जी का है । इसी स्थल में ही २१ फीट की विश्वशान्ति कलश का निर्माण कार्य शुरु हो गया है ।
जिस तरह से जगन्नाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, वैकुंठटनाथ, रंगनाथ, मुक्तिनाथ तथा पशुपति आदि नामों से विश्वप्रसिद्ध है, उसी रूप से श्री पञ्चमहालक्ष्मी मंदिर वाले क्षेत्र को भी विश्व प्रसिद्ध तर्ीथ स्थल के रूप में विकसित करने की सोच रखी गई है ।
श्री पञ्चमहालक्ष्मी की प्राणप्रतिष्ठा समारोह के लिए दक्षिण भारत की दक्षिणात्य शैली में उनकी श्रृंगार सजावट करने और विधि विधान बनाने की तैयारी तीव्र गति में हो रही है ।
श्रद्धेय स्वामी जी नेपाल के देवस्थलों, तर्ीथस्थलों एवं पर्यटकीय स्थलों को विश्वव्यापी बनाने हेतु ८ से १४ नवम्बर २००५ तक भारत वर्षके विभिन्न ३३२ स्थानों में एक ही समय में श्री विश्वशान्ति मुक्तिनाथ १०८ विराट महायज्ञ का आयोजन करवाया और उन महायज्ञों की अन्तिम पूर्ण्ााहुति और बिर्सजन समारोह प्रख्यात धार्मिक शहर हरिद्वार के हर की पैडी एवं पनतद्वीप में भव्यता के साथ १७ नभेम्बर २००५ के दिन सवा लाख गौमाताओं की दूध की धाराओं से माता गंगा जी का महाभिषेक एवं कलशयात्रा सम्पन्न किया । २००५ के नवम्बर १८ के संध्याकाल में सवाकरोडÞ बत्तियों की ज्योति से माता गंगा जी की महाआरती सम्पन्न हुआ ।
१९ नभेम्बर २००५ के दिन १०८ विराट महायज्ञ की पूर्ण्ााहूति एवं वृहत सन्त सम्मेलन का कार्यक्रम किया गया था । विश्व शान्ति मुक्तिनाथ १०८ महायज्ञ का समापन विश्वहिन्दू परिषद के अध्यक्ष श्री अशोक सिंघल ने किया था । इस अवसर पर विभिन्न पीठों का पीठाधीश, मठाधीश, महमण्डलेश्वर, जगतगुरु के साथ-साथ तीस विद्वत महापुरुष लोग सहभागी हुए थे । उक्त पीठाधीश मठाधीश, जगतगुरु एवं विद्वजन ने श्री स्वामी जी का ससम्मान अभिनन्दन किया था ।





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