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इंग्लैंड में अब क्रिकेट विश्व कप शुरू होने के करीब है और माना जा रहा है कि इस बार विश्व कप में बड़े-बड़े स्कोर देखने को मिलेंगे। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि इस बार विश्व कप में 500 का स्कोर भी बन सकता है। टीमें बड़े लक्ष्य का पीछा कर रही होंगी तो जीत हासिल करना आसान नहीं होगा। ऐसे में मैच फिनिशर की भूमिका अहम होगी। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही फिनिशरों को जिनसे उनकी टीमों को हैं उम्मीदें

महेंद्र सिंह धौनी 

विश्व क्रिकेट में आज के दौर में सबसे बड़ा फिनिशर महेंद्र सिंह धौनी को माना जाता है। 2011 के विश्व कप का फाइनल में लक्ष्य का पीछा करते हुए धौनी मैच फिनिशर साबित हुए थे और उन्होंने नाबाद 91 रन की पारी खेली थी। धौनी की मौजूदगी में 190 मैचों में टीम इंडिया ने लक्ष्य का पीछा किया और इनमें से 114 जीते, 65 हारे, तीन टाई रहे और आठ में कोई परिणाम नहीं निकला। टीम की जीत वाले इन 114 मैचों में धौनी 74 में बल्लेबाजी करने उतरे और 47 बार जीत दिलाकर नाबाद पैवेलियन लौटे।

इस दौरान उन्होंने 105.25 की औसत और 88.22 के स्ट्राइक रेट से 2842 रन बनाए। उन्होंने दो शतक और 20 अर्धशतक भी बनाए और उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 183 रन रहा। धौनी की मौजूदगी में लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत जो 65 मैच हारा, उनमें धौनी ने सिर्फ 27.57 की औसत और 70.43 का स्ट्राइक रेट दर्ज किया। जाहिर सी बात है धौनी का जब बल्ला बोलता है तो भारतीय टीम के लिए जीत दर्ज करना आसान हो जाता है।

हार्दिक पांड्या

हार्दिक पांड्या ने बहुत कम समय में फिनिशर के रूप में अपनी पहचान बनाई है। हालांकि, धौनी के रहते उन्हें मैच फिनिश करने के बहुत कम मौके मिले हैं, लेकिन उन्हें फिनिशर के रूप में धौनी का उत्तराधिकारी माना जा रहा है। पांड्या ने ऐसे 26 मैच खेले हैं जिनमें भारत ने लक्ष्य का पीछा किया। इनमें टीम को 19 में जीत मिली और सात में हार। इन 19 मैचों में पांड्या को पांच में बल्लेबाजी करने का मौका मिला। इस दौरान उन्होंने 50.33 की औसत और 101.34 के स्ट्राइक से बल्लेबाजी की। हारे मैचों में उनका औसत सिर्फ 13.50 और स्ट्राइक रेट 95.29 का रहा।

बेन स्टोक्स

इंग्लिश टीम के ऑलराउंडर बेन स्ट्रोक्स की अहम भूमिका रहेगी। लक्ष्य का पीछा करते समय स्टोक्स पर मैच फिनिश कराने की जिम्मेदारी होगी। स्टोक्स ने 42 ऐसे मैच खेले हैं जिनमें इंग्लैंड ने बाद में बल्लेबाजी की। इनमें से 26 मैच जीते, 13 हारे, एक टाई रहा और दो में कोई परिणाम नहीं निकला। इस दौरान इंग्लैंड ने जो 26 मैच जीते उनकी 20 पारियों में 10 बार स्टोक्स नाबाद लौटे। इन जीते मैचों स्टोक्स ने 67.70 की औसत और 98.25 के स्ट्राइक रेट से एक शतक और तीन अर्धशतक के साथ 677 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 102 रन रहा है। हारने वाले 13 मैचों में वह सिर्फ 21.07 और 91.02 की औसत से 274 रन ही बना सके। इंग्लैंड की टीम हालांकि स्टोक्स के साथ ही इस बार जोस बटलर से भी मैच फिनिशर की भूमिका निभाने की उम्मीद कर रही होगी।

जेपी डुमिनी

दक्षिण अफ्रीका को यदि पहली बार विश्व कप जीतना है तो जेपी डुमिनी को अहम जिम्मेदारी उठानी होगी। फिनिशर के रूप में डुमिनी का रिकॉर्ड शानदार है। डुमिनी की मौजूदगी में दक्षिण अफ्रीका ने 95 मैचों में लक्ष्य का पीछा किया। इनमें से उसे 59 मैचों में जीत मिली, 35 में हार, जबकि एक मैच में कोई परिणाम नहीं निकला। इन जीत वाले 59 मैचों में वह 47 बार बल्लेबाजी करने उतरे जिसमें 22 बार नाबाद लौटे। इस दौरान उन्होंने 51.88 की औसत और 75.18 के स्ट्राइक रेट से 1297 रन बनाए। हालांकि, उन्होंने शतक कोई नहीं बनाया, लेकिन उनके नाम सात अर्धशतक दर्ज हुए। वहीं, हार वाले 35 मैचों में उन्होंने सिर्फ 16.68 की औसत और 71.56 का स्ट्राइक रेट दर्ज किया।

आंद्रे रसेल

वेस्टइंडीज के छोटे प्रारूप के विशेषज्ञ ऑलराउंडर हैं आंद्रे रसेल। हालांकि, रसेल का फिनिशर के तौर पर रिकॉर्ड कोई बहुत प्रभावशाली नहीं है, लेकिन हाल में हुए आईपीएल में उन्होंने जिस अंदाज में बल्लेबाजी की उसे देखते हुए विश्व कप में दुनिया भर के गेंदबाज उन्हें गेंदबाजी करते से बचना चाहेंगे। इस साल आईपीएल में उन्होंने 56.66 की औसत और 204.81 के स्ट्राइक रेट से 510 रन बनाए। उनकी इस फॉर्म को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि वह इस बार वेस्टइंडीज के लिए फिनिशर की जिम्मेदारी बखूबी निभाएंगे।

इनमें भी है दम

इनके अलावा और भी कुछ ऐसे बल्लेबाज हैं जो अपनी टीम के लिए मैच फिनिशर की भूमिका निभाएंगे। इनमें ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्सवेल का नाम सबसे ऊपर है। फिनिशर के तौर पर मैक्सवेल का रिकॉर्ड प्रभावशाली है। उनके हमवतन मार्कस स्टोइनिस से भी टीम को ऐसी ही उम्मीद रहेगी। अन्य टीमों की बात की जाए तो न्यूजीलैंड के लिए टॉम लाथम, अफगानिस्तान के लिए मुहम्मद नबी और बांग्लादेश के लिए शाकिब अल हसन भी फिनिशर की भूमिका निभाते नजर आएंगे।



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