दर्द दर्द हाँ दर्द : मीरा राजभंडारी
दर्ददर्द

हाँ दर्द
तुम्हारे अन्दर जो देखा मैने
डर है मुझे
व कहीं
सैलाब बनके
तूफान् न लाये
तुम्हे डुबाने के लिये
हमे डुबाने के लिये
उतरना है हमे कोइ खोज
और शान्ति के
लिये
तु हिमाएती हो
व बुद्दत्व का मसिहा तु बनजा ए मेरे हुजुर
कातिलाना नजर तु
दूश्मनिका नही
जरा दोस्ति मे बदल्
तु ही नही
तुझ्से पहलेभी
सोचते थे
हम नही तो कुछ नही
सदिया बितगयी येह् सोचने
वाले
एतबार एह खुदा नही तो
जा तु देख मक्बरे हो आ
एकबार
देखोगे मजार मुर्दे के कफन
हजार जो सोच्ते थे कभी
तेरी तरह
हम नै तो कुछ नही
मै नही तो कुछ नही