Thu. Apr 18th, 2024

योगासन शरीर को स्वस्थ रखने के सशक्त माध्यम हैं। वैसे तो आसनों की फेहरिस्त लंबी है, लेकिन कुछ सहज चुनिंदा आसन ऐसे भी हैं, जिन्हें करके किसी भी व्यक्ति के लगभग सभी आंतरिक और बाह्य अंग सशक्त होते हैं। आइए जानते हैं ऐसे चार प्रमुख आसनों के बारे में..



सभी अंगों को स्वस्थ रखे सर्वांगासन

जैसा नाम वैसा काम। सर्व मतलब सभी और अंग मतलब हिस्से अर्थात सर्व अंग आसन। यह आसन शरीर के सभी अंगों के लिए लाभप्रद है। इस योगासन के गुण शीर्षासन जैसे ही हैं।

विधि

– स्वच्छ शुद्ध वातावरण में आसन बिछाकर, करवट लेते हुए पीठ के बल लेट जाएं और प्रभु को स्मरण करते हुए कुछ देर लेटकर मन को शांत करें।

– बाज़ुओं को कमर के पास सीधा रखते हुए हथेलियों को जमीन पर टिका दें।

– पैर को आपस में मिलाकर और टांगों को सीधा रखकर सांस भरते हुए टांगों को उपर की तरफ लाएं और कोहनियों को जमीन पर अच्छी तरह से टिकाने के बाद दोनों हाथों से पीठ को सहारा दें। तत्पश्चात कमर व टांगों को इस प्रकार सीधा करें कि पैर आकाश की तरफ हो जाएं।

– सीने को ठुड्डी के साथ लगाने का प्रयास करें। शरीर को स्थिर व ध्यान को एकाग्रकर अपनी क्षमतानुसार रुकें।

– तत्पश्चात टांगें सीधी रखते हुए सहजभाव से पूर्वस्थिति में आ जाएं और कुछ देर शवासन में लेटने के बाद ही उठें।

लाभ

1. इस आसन से थायरॉइड ग्रंथि अति सक्रिय होती हैं। रक्तसंचार ठीक होता है और नाड़ी तंत्र(नर्वस सिस्टम) ठीक से काम करता है।

2. पाचन तंत्र पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

3. मूत्राशय(यूरीनरी ब्लैडर) से संबंधित बीमारियों में राहत प्रदान करता है।

4. चेहरे की चमक और तेज को बढ़ाता है।

5. स्मरण शक्ति बढ़ाता है।

सावधानी: हृदय रोगी इस आसान को न करें। किसी भी बीमारी के चलते योगाभ्यास से पूर्व अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श करें। योग्य योग शिक्षक की देखरेख में ही आसन की शुरुआत करें।

शरीर को लचीला रखे हलासन

इस आसन को करते समय शरीर का आकार हल की तरह हो जाता है और ये आसन शरीर को लचीला बनाता है। इसीलिए इस आसन को हलासन के नाम से जाना जाता है। हलासन के अभ्यास से पीठ की मांसपेशियां और रीढ़ की हड्डी स्वस्थ रहती है।

विधि

– समतल जमीन पर आसन बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं और बाज़ू सीधी रखते हुए हथेलियों को जमीन पर टिका दें।

– टांगों को सीधा रखें और सांस को बाहर निकाल दें।

– सांस भरते हुए और टांगों को सीधा रखते हुए 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं।

– सांस छोड़ते हुए कमर और कूल्हों को ऊपर उठाएं। फिर पैरों को सिर के पीछे की तरफ ले जाएं और पैरों की अंगुलियों से जमीन को छूने का प्रयास करें।

– सांस को सामान्य लेते हुए क्षमतानुसार रुकें।

– सांस भरते हुए टांगों को वापस ऊपर की तरफ लाएं और बिना सिर उठाए धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।

– कुछ देर शवासन में लेटने के बाद ही उठें।

लाभ

1. मेरुदंड या रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।

2. पेट के अंगों की क्रियाशीलता बढ़ाकर उन्हें पुष्ट करता है।

3. कब्ज, अपच, गैस बनने और एसिडिटी में राहत प्रदान करता है।

4. महिलाओं के लिए अति गुणकारी है। यह आसन महिलाओं में गर्भाशय के विकारों और पेट दर्द जैसी बीमारियों से राहत दिलाता है।

5. तनाव और थकान को कम करता है।

6. इस आसन से थायरायड ग्रंथि को सक्रिय करता है जिससे मोटापा कम होता है।

सावधानियां: हाई ब्लडप्रेशर, रीढ़ की चोट से ग्रस्त या हाल ही में पेट के ऑपरेशन के मरीजों को इस आसन को नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को इसे न करें। शुरुआती दौर में इस आसन को सावधानी से करें और पैरों को जमीन से स्पर्श करने के चक्कर में जोर जबरदस्ती न करें। आसन की पूर्ण स्थिति में आने के बाद सांस लेते रहें।

मत्स्यासन से स्पाइन रहे स्वस्थ

आसनों की श्रृंखला में मत्स्यासन ऐसा आसन है, जो रीढ़ की हड्डी(स्पाइन) को लचीला बनाकर शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध होता है।

विधि

– स्वच्छ वातावरण में समतल जमीन पर आसन बिछाकर सुखासन में बैठ जाएं।

– कुछ देर सांस को सामान्य करने के बाद पद्मासन लगा लें।

– हाथों का सहारा लेकर पीठ को पीछे की ओर धीरे-धीरे लाते हुए पीठ के बल लेट जाएं।

– पैरों के अंगूठों को पकड़कर उन्हें थोड़ा अपनी तरफ लाएं और पद्मासन को ठीक करते हुए घुटनों को जमीन पर अच्छी तरह से टिका दें।

– सांस भरें और पीठ, कंधों को ऊपर उठा गर्दन को पीछे की तरफ ले जाएं। सिर के भाग को जमीन पर टिका दें।

– पैरों के अंगूठों को पकड़ लें और सांस को सामान्य रखते हुए यथाशक्ति रुकने के बाद पद्मासन खोल लें। कुछ देर शवासन में लेटने के बाद पूर्व स्थिति में आ जाएं।

लाभ

1. प्रजनन अंगों को सशक्त बनाता है।

2. कब्ज को दूर करने में सहायक है।

3. सांस संबंधी रोगों को दूर करने में सहायक है।

4. रीढ़ की हड्डी को लचीला व गर्दन के कड़ेपन को दूर करता है।

5. फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।

विशेष: अगर पद्मासन न लग सके, तो टांगों को सीधा रखें और पैरों को मिलाने के बाद आगे की विधि पूर्ववत ही रखें।योगाभ्यास शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें और योग्य योग शिक्षक की देखरेख में ही आसनों की शुरुआत करें।



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