दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है दोस्तों ने भी क्या कमी की है : हबीब जालिब
दाेस्ती का रिश्ता जाे दिल का हाेता है । बहुत ही अजीज और दिल के बहुत ही करीब । दाेस्त वाे जाे गम में साथ हाे जिसका हाथ सहारा दे । जिसपर यकीन हाे जाे हमारा राजदाँ बन सके । पर दाेस्ताें की भीड में दुश्मनाें की कमी नही । आइए आज दाेस्ती पर कुछ चुनींदा शेर आपके लिए
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ
दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा है
लाला माधव राम जौहर
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
बशीर बद्र
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
हफ़ीज़ होशियारपुरी
दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं
इस्माइल मेरठी
दोस्ती बंदगी वफ़ा-ओ-ख़ुलूस
हम ये शम्अ’ जलाना भूल गए
अंजुम लुधियानवी
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
राहत इंदौरी
दोस्ती ख़्वाब है और ख़्वाब की ता’बीर भी है
रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी है
अज्ञात
दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो
मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया
इम्दाद इमाम असर
दोस्ती को बुरा समझते हैं
क्या समझ है वो क्या समझते हैं
नूह नारवी
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है
दोस्तों ने भी क्या कमी की है
हबीब जालिब
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए
ख़ुमार बाराबंकवी
हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं
ख़ुमार बाराबंकवी
कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती
ये न समझे थे कि दुश्मन आसमाँ हो जाएगा
इम्दाद इमाम असर