कारगर लोकतंत्र के प्रमुख घटक:-
प्रो. नवीन मिश्रा
१९वीं शताब्दी के उदारवादी दार्शनिक जाँन स्टर्अर्ट मिल का विचार था कि लोकतान्त्रिक शासन सभ्यता के विकसित स्तर तक पहुँचने पर ही संभव है। उनका विश्वास था कि पश्चिम से बाहर के देश स्वशासन के योग्य नहीं। वहाँ केवल परोपकारी तानाशाही काम कर सकती है। इससे भी उत्तम पश्चिम का शासन होगा। इस प्रकार की नस्लवादी विचारधारा उस समय के ऊँचे दर्जे के प्रबुद्ध विचारकों में भी पाई जाती थी। आबादी शिक्षित हो तो लोकतन्त्र में सहायक अवश्य होती है क्योंकि ऐसे अवस्था में शासक और शासित के बीच की खाई कम गहरी होती हैं। परन्तु इस बात का कोई प्रमाण नहीं कि औपचारिक शिक्षा के बिना लोगों में अपने को छूने वाले विषयों को समझने और उन पर बहस करने की भी क्षमता नहीं होती या ऐसे लोग इन विषयों की जिम्मेवारी ओढÞने के योग्य नहीं।
इतिहास बताता है कि बिना विशाल जन संर्घष्ा और जनसंग्रह के लोकतन्त्र शायद ही कभी स्थापित हो पाता है। कई बार यह संर्घष्ा लंबे समय तक चलता है और संर्घष्ा करने वालों को काफी कर्ुबानी देनी पडÞती है। र्सवसाधारण को समझाना पडÞता है कि उनकी आकांक्षाओं की पर्ूर्ति के लिए लोकतन्त्रीय शासन कितना जरुरी है और ऐसे शासन की मांग करने के लिए उन्हें संगठित होना चाहिए। पारंपरिक शासक, सैनिक तानाशाह, साम्यवादी तन्त्र चालक -आपराधिक) आजीवन राष्ट्रपति, विदेशी उपनिवेशकारी कभी स्वेच्छा से सत्ता नहीं छोडÞते। वे सत्ता तभी छोडÞते हैं, जब उनका शासन बहुत बदनाम हो गए और उभरते हुए जन आन्दोलन से उनको विश्वास हो जाए कि सत्ता में बने रहने से अव्यवस्था और बढेÞगी तथा शासन चलाना असंभव हो जाएगा।
कारगर लोकतन्त्र के चार प्रमुख घटक या निर्ण्ाायक खण्ड हैं। पहला स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव, दूसरा खुला और उत्तरदायी शासन, तीसरा नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार और चौथा एक लोकतन्त्रीय अथवा नागरिक समाज। चुनावी प्रतिस्पर्धा ही एक प्रमुख युक्ति है, जिससे लोक सेवकों को उत्तरदायी बनाया जाता है और उन पर सामान्य लोगों का नियन्त्रण बना रहता है। चुनाव के क्षेत्र में ही पद प्राप्ति के अधिकार तथा वोट की महत्ता के रुप में नागरिक समानता का पर््रदर्शन होता है। स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष चुनाव की पहली कसौटी तो चुनाव व्यवस्था ही है। चुनाव व्यवस्था का अर्थ है वे नियम जो यह निर्धारित करते हैं कि किन पदों के लिए चुनाव होगा, उनके लिए कौन प्रत्याशी हो सकते हैं, चुनाव कब होंगे, वोट कौन दे सकते हैं, चुनाव क्षेत्र कैसे निर्धारित होंगे, विजयी घोषित करने के लिए वोटों की गणना कैसे होगी आदि। इसकी दूसरी कसौटी है- चुनाव की प्रक्रिया अर्थात व्यवहार में चुनाव किस प्रकार करवाए जाते हैं। मतदाताओं के पंजीकरण से लेकर चुनाव अभियान, मत गणना तक किस विधि से यह सुनिश्चित किया जाता है कि कानून का पूरी तरह और बिना भेदभाव के पालन हो और क