इस खार-मिजाजी में फूलों की तरह खिलना, सौ बार गिले करना इक बार गले मिलना (रउफ खलिश)
माना जाता है कि गले लगाकर दिल की बात कहने पर लव पार्टनर पर गहरा असर होता है। गले मिलने पर शायरों ने भी काफी शायरी की है। इस अहम मौके पर ये चुनिंदा शायरी आप के लिए
इस खार-मिजाजी में फूलों की तरह खिलना
सौ बार गिले करना इक बार गले मिलना
(रउफ खलिश)
मैं लड़खड़ाया तो मुझ को गले लगाने लगे
गुनाहगार भी मेरी हंसी उड़ाने लगे
जिन्हों ने कांटों पे चलना हमें सिखाया था
हमारी राह में वो फूल अब बिछाने लगे
(सुल्तान अख्तर)
देखता मैं उसे क्यूंकर कि नकाब उठते ही
बन के दीवार खड़ी हो गई हैरत मेरी
रोज वो ख्वाब में आते हैं गले मिलने को
मैं जो सोता हूं तो जाग उठती है किस्मत मेरी
(जलील मानिकपूरी)
सूरत तो दिखाते हैं गले से नहीं मिलते
आंखों की तो सुन लेते हैं दिल की नहीं सुनते
(लाला माधव राम जौहर)
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिजाज का शहर है जरा फासले से मिला करो
(बशीर बद्र)
रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को
मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी