काठमांडू : जहाँ रंग बिरंगी फूलों को दुलराती बयार है, कहीं धुंध का पसरता व्यापक पहाड़ है
अयोध्यानाथ चौधरी
कौन कहता है ?
यहां केवल निष्ठुर पर्वत और पहाड़ है
यहां के लोगों में दिखता सीमाहीन प्यार है
मुस्कान में छिपा स्वागत और आभार है
और, शिष्टाचार में छिपा जीवन-सार है
कुछ ठंढ़ मौसम , पर स्नेह का अम्बार है
जंगलों में फलों का असीमित आहार है
रंग बिरंगी फूलों को दुलराती बयार है
कहीं धुंध का पसरता व्यापक पहाड़ है
तो कहीं प्रवल वेग में उतरता जलधार है
शुरू-अन्त छोड , सारी सड़कें सर्पाकार है
हर मोड़ पर घूमता जीवन “खबरदार ! “है
एक दूसरे पर झुकता सब कोई बेसम्हार है
पर , यहीं से पनपता बेपनाह प्यार है।
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एक तरफ चमचम चमकता चांदी-सा पहाड़ है
कहीं जल्द ही पानी पड़ने का आसार है
जंगलों का झुरमुट और नदी का किनार है
स्वतन्त्र जीवन और प्रेम का निर्मल व्यापार है
और ,हां , हर तरफ से सौंदर्य का प्रहार है
तभी तो आने का मन करता बार-बार है
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काठमांडू भले ही सख्त नारियल-सा दिखे
पर भीतर चांदी-सा सफेद पिघलता प्यार है
और थोड़ा-सा ही पानी सही , पर
तरलता -कोमलता – मधुरता वेशुमार है।



