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हसरतों की आँच पर उबलती जिंदगी, बनकर रह गई किसी सूखे वृक्ष के ठूंठ की भांति : राजन

समाधान ●
°°°राजकुमार जैन राजन°°°°°°°°°
पीड़ा के दस्तावेजों पर
फिर मौन ने
कर दिए हस्ताक्षर 
और
हसरतों की आँच पर
उबलती जिंदगी
बनकर रह गई
किसी सूखे वृक्ष के
ठूंठ की भांति 
जहां 
कभी नहीं उग पायेगी
ख्वाहिशों की नवीन फसलें
संघर्षों के ताप से
जिंदगी मोम की तरह 
पिघलती रहती है
दाँव पर लग जाती है
इंसानियत 
किस – किस से कहता फिरूं
अपना दुःख 
चलते – चलते 
सूरज भी हारा
सारी उम्र लगा दी माँ ने
तब जाकर इंसान बना
पावन गंगा जल -सा
जरूरत नहीं थी
संयोगों के जुड़ने की
बारिश में जैसे 
रेत के घर का बिखर जाना
सिसकियों में
दरकता रहता हरदम अक्स
वक्त की सिलवटों में
उभर आये हैं
स्वप्न जीवन की प्रगति के
सवाल बस 
समाधान का है
यह संकट इस सदी की
जिंदगी का है
स्मृतियों की घाटियों से
उगने लगता है 
एक सूर्य
फिर समाधान का
संत्रास में जीता मन- पंछी
पंख फड़फड़ाता है
आसमान की किताब पर
स्वर्णिम अक्षरों में लिखता है
खूबसूरत होने की उम्मीद!
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संक्षिप्त परिचय : राजकुमार जैन राजन
राजस्थान , चित्तौडगढ़  जिले के  गाँव आकोला में जन्में और जन्मभूमि को ही अपनी कर्म भूमि बनाने वाले राजकुमार जैन राजन बहुमुखी प्रतिभा के रचनाकार हैं जिनकी रचनाएँ देश – विदेश की पत्र -पत्रिकाओ में सैंकड़ों रचनाएँ छपने के साथ ही आपकी 40 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है जिनमें 36 पुस्तकें बाल साहित्य की है।  “मन के जीते जीत”, “पेड़ लगाओ” , “खोजना होगा अमृत कलश”, “सपनों के सच होने तक”, मौन क्यों रहें हम” एवम “जीना इसी का नाम है” साहित्य जगत में आपकी चर्चित कृतियाँ हैं।
       आकाशवाणी और टी. वी. चैनलों पर रचनाओं का नियमित प्रसारण। आपकी कई पुस्तकों का पंजाबी, असमिया, ओड़िया, मराठी, गुजराती , अंग्रेजी  भारतीय भाषाओं सहित नेपाल, श्रीलंका चाइना से भी अनुदित संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। बाल साहित्य सृजन व उन्नयन में विशेष रुचि रखने वाले राजन एक कुशल संपादक के रूप में भी पहचाने जाते हैं। आप कई पत्रिकाओं के संपादन से जुड़े हुए हैं और कई पत्रिकाओं ने अपने  चर्चित “बाल साहित्य विशेषांक” आपके संपादन में प्रकाशित किये हैं।
      आप कई साहित्यिक सम्मानों के संस्थापक हैं और प्रतिवर्ष भव्य आयोजन करके साहित्यकारों को सम्मानित करते हैं। राजन जी को शताधिक साहित्यिक सम्मान प्राप्त हो चुके है। देश विदेश में अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों, कार्यशालाओं में सहभागिता के साथ ही लाखों रुपये का साहित्य आप निःशुल्क भेंट कर चुके हैं। कहानी, कविता, पर्यटन, साक्षात्कार, लोकजीवन एवम बाल साहित्य आपके लेखन की पसंदीदा विधाएं हैं।
-संपर्क : राजकुमार जैन राजन, चित्रा प्रकाशन, आकोला – 312205, (चित्तौड़गढ़), राजस्थान।     मोबाइल नम्बर : 9828219919

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