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चीन में एक और घातक वायरस की पहचान, एशिया में खतरा अधिक, बन सकता है अगली महामारी का कारण



चीन में एक और घातक वायरस की पहचान की गई है। यह स्ट्रेन सुअर में पाया जाता है लेकिन आसानी से इंसानों में भी फैल सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि वायरस अपना स्वरूप बदल सकता है और महामारी का रूप लेकर कोरोना की तरह तबाही मचा सकता है। चिंताजनक बात यह है कि इसके खिलाफ शरीर में इम्युनिटी भी नहीं बनती।

2016 से पनप रहा जी-4 वायरस
चीन स्थित सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के शोधकर्ताओं ने सात साल लंबे अध्ययन के बाद इस वायरस की खोज की है। चीनी वैज्ञानिकों का अध्ययन अमेरिकी साइंस जर्नल पीएनएएस में प्रकाशित हुआ है। आमतौर पर सुअरों में पाए जाने वाले जी-4 नामक इस स्ट्रेन पर वैज्ञानिक 2011 से शोध कर रहे हैं। बीते दिनों शोधकर्ताओं ने पाया कि संक्रमण काफी तेजी से बढ़ा है। 2016 के बाद लिए गए ज्यादातर नमूनों में एक नए तरह का स्ट्रेन मिला जो स्वाइन फ्लू जैसा है, इसे जी-4 ईए एच1एन1 नाम दिया गया।

चीनी सुअर 179 तरह के स्वाइन फ्लू से पीड़ित
अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने 2011 से 2018 तक दस चीनी प्रांतों के बूचड़खाना और एक पशु अस्पताल से 30 हजार सुअरों का नेजल स्वाब नमूना लिया गया। इन नमूनों में 179 तरह के स्वाइन फ्लू वायरस मिले, जिन्हें आइसोलेट कर दिया गया।

इंसानी शरीर में अपनी संख्या बढ़ाने में सक्षम
वैज्ञानिकों ने पाया कि जी-4 वायरस अत्याधिक संक्रामक है और इसमें मानव कोशिकाओं में जाकर अपनी संख्या बढ़ाने की क्षमता है। इंसानों के समान लक्षण रखने वाले नेवला जाति के एक जानवर फेरट पर वैज्ञानिकों ने वायरस के असर को देखा। उन्होंने पाया कि फेरट के शरीर में किसी दूसरे वायरस से ज्यादा जी-4 वायरस के लक्षण दिखे।

इंफो के लिए
अब तक दो इंसान संक्रमित
जी-4 वायरस से अभी तक चीन में दो इंसानों के संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं। एक मामला 2016 में और दूसरा 2019 में नजर आया। संक्रमित दोनों लोग पड़ोसी थे और सुअर पालते थे। इससे वैज्ञानिक मान रहे हैं कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैल सकता है।

खांसी-बुखार मुख्य लक्षण
नेवले में हुए प्रयोग के आधार पर वैज्ञानिक मान रहे हैं कि इस वायरस के मुख्य लक्षण बुखार, छींक, खांसी और जोर-जोर से सांस लेना हैं।

महामारी न बन जाए
शोधपत्र के लेखक जॉर्ज गाओ और जिंहुआ लियू का कहना है कि हमें मिले साक्ष्यों से पता लगा कि वायरस तेजी से फैल रहा है। सभी सुअर फार्मों में वायरस की रोकथाम की जानी चाहिए ताकि कर्मचारियों में संक्रमण न फैले। अगर ऐसा हुआ तो यह महामारी का रूप ले सकता है।

चीन की 4.4 % आबादी प्रभावित
वैज्ञानिकों ने एंटीबॉडी ब्लड टेस्ट के जरिए जाना कि दस में से एक सुअर पालक इस वायरस की चपेट में आ चुका है। साथ ही इस शोध से पता लगा कि चीन की 4.4% आम आबादी इस वायरस से प्रभावित हुई है।

एशिया में खतरा अधिक
चाइनीज अकेडमी ऑफ साइंस के वैज्ञानिक एलिस हॉग्स का कहना है कि सुअर और मुर्गी पालन एशिया में सबसे ज्यादा होता है जिससे संक्रमण के पूरे एशिया में फैलने का खतरा है।



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