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केपीशर्मा ओली/फाईल तस्वीर

त्रेतायुग के राम नेपाल के पर्सा जिला के अयोध्यापुरी में जन्म लिए हैं इस अभिव्यक्ति के बाद से प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली की नेपाल में कडी आलोचना हुई है ।



ओली नेतृत्व के नेकपासहित के राजनीतिक दल के नेता, कूटनीतिक मामला के जानकार और पत्रकारों ने ओली की अभिव्यक्ति की आलोचना की है।

पूर्वप्रधानमन्त्री डा. बाबुराम भट्टराई ने  ओली को ‘आधा–कवि’की संज्ञा देते हुए कहा है ओलीकृत कलीयुगीन नयाँ रामायण श्रवण करें ! सीधे वैकुण्ठधाम की यात्रा करें ! ।

ओली का वचन और कर्म सीमा पार कर रही है और यह खतरनाक है  डा. भट्टराई ने ट्वीट किया है । उन्होंने लिखा है कि – संसद में ‘सिंहमेव जयते’ और बेसार–पुराण से लेककर अयोध्या–पुराण तक उनकी चिन्तनप्रणाली स्वस्थ नहीं दिख रही है । संसद स्थगन कर अध्यादेश और संकटकाल का ‘खड्ग’ समेत उनके हाथ में है! अब उन्हें खुला छोडना खतरनाक होगा ! उपचार खोजा जाए!

राप्रपा के अध्यक्ष कमल थापा ने कहा है कि प्रधानमन्त्री उटपटांग अभिव्यक्ति दे रहे हैं जो भारत के साथ सम्बन्ध बिगाड रहा है ।  ।’

नेकपा के विदेश विभाग उपप्रमुख विष्णु रिजाल ने भी प्रधानमन्त्री एवम् पार्टी अध्यक्ष ओली की आलोचना की है ।
रिजाल ने ट्वीट किया है कि, ‘पद में बैठकर इस तरह का बेतुका और असान्दर्भिक वक्तव्य देने से राष्ट्र का सिर झुकता है   । अप्रमाणित, पौराणिक और विवादास्पद बोलकर विद्वान बनना भ्रम है । सतर्कता से अपनी जमीन वापस लाने के समय ऐसा वक्तव्य दुर्भाग्यपूर्ण है ।’

प्रधानमन्त्री ओली के पूर्व प्रेस सलाहकार कुन्दन अर्याल ने कहा है कि कहीं प्रधानमंत्री  भारतीय मीडिया से  प्रतिस्पर्धा तो नही कर रहे हैं ।

कूटनीतिक मामला के जानकार रमेशनाथ पाण्डे ने कहा है कि ओली का बयान उपहासपूर्ण है।

पत्रकार अमित ढकाल ने कहा है कि , ‘श्रीलंका टापू कोशी में है । बगल में हनुमान नगर भी है, वानर सेना पुल बना सकता है  !’



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