Thu. Apr 18th, 2024

किस ओर चली चीन ईरान की डोर ? रुचि सिंह

….चीन ईरान के 25 सालों के लिए होने वाले डील के बारे में ईरानी विदेश मंत्री ने कहा है कि यह दबी छिपी बात है ही नहीं। ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ अपने नम्बर वन ट्रेडि़ग पाटर्नर चीन के साथ 25 सालों के रणनीतिक पर काम कर रहे.हैं. इस पर ईरान में बवाल भी हो रहे हैं। काबिले गौर.हैकि ईरान. की संसद. में सासंदों ने उन पर 2015 में विश्व के बडे़ देशों के साथ न्यूक्लियर डील में उनकी भूमिका पर सवाल उठाए गए थे.हांलाकि इस डील से 2018 में अमेरिका बाहर हो गया था ।अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगा दिए थे।.
बरहाल2015 में ही न्यूक्लियर डील के चलते न्यूक्लियर प्रोग्राम में कुछ कटौती भी हुई। उस वक्त अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से मिल गई थी। लेकिन ईरान के रुढिवादी नेताओं ने यह कह के इस समक्षौते का खुल कर विरोध किया था कि अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।……….ईरान की हरकतों के चलते एवंम डै्गन के साथ मिलीभगत एक तरह से अमेरिका को घेरने के लिए प्लान करना. हैं. अभी हाल में इजराइल प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपनी कैबिनेट को भी बताया है कि इंटरनेशनल एटामिक इनर्जी ऐजेंसी ने खुलासा किया है कि ईरान ने गुप्त परमाणु स्थान पर ऐजेंसी के इंस्पेक्टरो को गुप्त परमाणु स्थान पर सैन्य गतिविधियों की जानकारी एंवम पहुंचने से मना कर दिया हैं.
काबिलेगौर हैकि सीरिया में ईरान समर्थक लडा़को के घातक हमले के चंद घंटों बाद यह बात सामने आई है.लिहाजा इजराइल प्रधानमंत्री ने परमाणु उल्लंघनो को लेकर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।



आज पूरा विश्व 19 कोविड से चमगादड़ चीन की वजह से पीड़ित हैं।डै्गन को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए पूरा विश्व अपने अपने तरीक़े से घेरा बंदी कर रहा है। चाचा चीन और ईरान दोनों अमेरिका को घेरने के लिए तैयार बैठे हैं. दरअसल ईरान अमेरिका का ताजा विवाद काफी गहरा है। ताजा विवाद यह है कि एक हवाई हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्डस के शक्तिशाली कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया। हमला बगदाद के पास यूक्रेन में हवाई हमला तेहरान के पास हुआ था.जिसमें 8 लोग मारे गए थे। सुलेमानी को ईरान के क्षेत्रीय सुरक्षा हथियारों का रचयिता कहा जाता था. इस हमले की जिम्मेवारी अमेरिकी सरकार ने ले ली है.काबिलेगौर है कि ईरान के साथहुए 2015.में ऐतिहासिक परमाणु समक्षौते से हटने पर अमेरिका ने तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।अमेरिकी ठिकाने पर 4 जनवरी को अलबदाल एयरबेस पर हमला किया था. इसमें मास्टर प्लान जनरल कासिम सुलेमानी ने ही बनाया था .जनरल सुलेमानी की हवाई हमले में मौत के कारण ईरान की बैक बोन ही टूट गई है.ईरान और अमेरिका के तनाव को बढ़ावा देने के लिए चीन ने नयी चाल चली है.चीन ने ईरान से वादा किया हैकि वह अगले 25वर्षों तक ईरान से कच्चे तेल का आयात करने की गारंटी दे सकता है. गौरतलब है कि चीन .ईरान रणनीतिक ऊर्जा साक्षेदारी का मुख्य कारण दक्षिण पूर्व एशिया में चीन पर अमेरिका का दबाव है. राष्ट्रपति शीजिनपेंग नये सिल्क रोड को पुर्न जीवित करने के लिए ईरान जैसे देशों की ओर अपने हाथ बडा़ रहा है.ईरानके पूर्व राजदूत मेहदी सफारी का कहना था कि 7वर्षों में चीन का तेल निर्यात दोगुना हो चुका है और उसे एक भरोसेमंद ऊर्जा आपूर्ति कर्ता की जरूरत हैं. ईरान पूरा कर सकता है.चीन पहले से ही अपनी जरूरत का आधा तेल प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 5.5 मिलियन फार्स खाड़ी से आयात कर रहा है.400 मिलियन डालर के निवेश का फैसला चीन ने 25 सालों के लिए तब कियाथा .जब 23 जनवरी 2016 को चीनी राष्ट्रपति शीजिगपिग ईरान के दौरे पर गए थे.चाचा चीन ने इस डील में दोनों देश ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योग तकनीकी के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने में पहल करेगे .ऐसी सोच को जामा पहनाने के लिए पहल चीन ने की थी।हांलाकि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खेमेनेई ने चाचा चीन को अमेरिका की वर्चस्ववादी नीति की ओर इशारा भी किया था। ईरान और अमेरिका में टकराव ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति से शुरू हुआ था .जुलाई 2015में दोनों देशों के बीच वियाना में परमाणु समक्षौता हुआहै जिसे बाद में ईरान ने इसे टालमटोल करना शुरू कर दिया था।दरअसल ईरान ने अमेरिका से बदला लेने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार कर रखा. है.ऐसे ही मौके की तलाश में चमगादड़ चीन खास मकसद से ही ईरान के साथ समक्षौता करना चाहता है।डै्गन की भूमाफिया फिदरत है पैसे निवेश करके दूसरे देशों पर कब्जा जमाने की उसकी नीयत जग जाहिर है.दस्तावेजों के मुताबिक जून 2020 में समक्षौते का खाका तैयार किया जा रहा है। चीन ने कोविड 19 के तहत सोच समक्ष कर 25साल के लिए तेल ईरान से लेकर अपनी आर्थिक जडों को मजबूत करना चाहता है।
काबिलेगौर है कि चीन ईरान के समक्षौते में कहा है कि दो प्राचीन एशियाई देश सास्कृतिक सुरक्षा क्षेत्र में समान विचारों वाले देश एक दूसरे को रणनीतिक सहयोगी मानेंगे।क्योंकि ईरान ने अब खाडी़ देशों को अपने पक्ष में लेकर अमेरिका के खिलाफ लामबंद करना चाहता है. चीन का साथ उसके लिए हितकर साबित होने की ईरान को संभावना लगती है.फिलवक्त समक्षौते के मुताबिक चीन ईरान के तेल गैस उद्योग में 280 अरब डालर .उत्पादन और परिवहन के अधारभूत ढांचे के विकास के लिए 120 बिलियन डालर के निवेश के साथ साथ चीन 5 जी तकनीकी के लिए इफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में मदद करेगा।बैंकिंग टेलिकम्युनिकेशन बंदरगाह रेलवे और दर्जनों अन्य ईरानी परियोजनाओं में चीन बडे़ पैमाने पर अपनी भागीदारी बढ़ाएगा.दोनों देश आपसी सहयोग से साक्षा सैन्य अभ्यास और शोध करेंगे।चीन और ईरान मिल कर हथियारो का निर्माण करेंगे और एक दूसरे से खुफिया जानकारियां भी साक्षा करेंगे।काबिलेगौर है कि चीन ने ईरान के महत्वपूर्ण इसलिये माना है कि उसकी वन बेल्ट वन रोड परियोजना को कामयाब बनाने में मददगार साबित होगी.कच्चे तेल के मामले में ईरान से पहले सउदी अरब है. इस समक्षौते के जरिए सउदी अरब के एकाधिकार को चुनौती देना चाहता है.हालांकि ईरान की जनताइसे उपनिवेशवाद की शुरुआत बता रहे है.ईरानी जनता लायन.डै्गन डील कह रही हैं. समक्षौते के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं देने की वजह से ईरानी सरकार की आलोचना हो रही है।गौरतलब है कि इस डील का रोड मैप रणनीतिक सहयोग है. जो अलायंस से अलग है।चीन ईरान के विचार नितिया संबिधान असल में.काफी अलग है. इस समक्षौते से चीन और ईरान की.रणनीति भारत और अमेरिका को घेरने की.है.अतः इस समक्षौते पर अमेरिका भारत को भी पैनी नजर रखनी होगी. फिलवक्त समक्षौते ने मुक्म्मल रुप नहीं लिया है।लेकिन चीन का दोगलापन किसी से नहीं छुपा. है कि. कब पीठ में छुरा घोप दे। ड्रेगन के साथ द्विपक्षीय समक्षौते पर ईरान के सुप्रीम लीडर अयोताल्लाह अल खमैनी ने सार्वजनिक रूप से अपनी सहमति दिखाई हैं.फिलवक्त पूर्व राष्ट्रपति महमूद अलमदीनेजाद ने एक बाहरी देश के साथ इस समक्षौते की आलोचना कीहै तब से ईरानी सोशल मिडिया पर लगातार विरोध हो रहा है. बरहाल चीन डै्गन समक्षौते होने से अफगानिस्तान पाकिस्तान की भी घेरा बंदी के साथ साथ भारत को भी परेशान करने की नियत चीन की भबिष्य में सामने आ ही जाएगी

 

 



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