सफलता और संघर्ष साथ-साथ चलते हैं : दिव्या तिवारी
संघर्ष और हम
दिव्या तिवारी । संघर्ष जीवन की एक कसौटी है जो अंत में विजय का द्वार खोलती है और समस्या का समाधान करती है। संघर्ष का जीवन जीना है तो भूल को भूलना सीखना होगा। प्रतिशोध के कटु परिणाम ही आते हैं। इसलिए क्षमा सहज-सरल जीवनशैली का मूल मंत्र है। जीवन में परिवर्तन का क्रम चलता रहता है। अगर एक जैसी परिस्थितियां बार-बार हो रही हों तो कभी यह नहीं समझना चाहिए कि अब जीवन में सब कुछ समाप्त हो गया है। मेरे लिए कुछ नहीं बचा है। संघर्षशील व्यक्ति को एक बार पुन: उसी जोश व उत्साह के साथ नए सिरे से प्रयास में जुट जाना चाहिए।
प्रयास सफलता की कुंजी होती है। संघर्ष काल में यह बात हमेशा ध्यान में रहनी चाहिए कि व्यक्ति के स्वयं के हाथ में कुछ नहीं है। व्यक्ति पुरुषार्थ कर सकता है, लेकिन परमार्थ का फल समय से पूर्व प्राप्त नहीं कर सकता। कहते हैं कि समय से पहले और मुकद्दर से ज्यादा न किसी को मिला है और न किसी को मिलेगा। उसके लिए इंतजार ही सबसे बड़ा सहयोग है। इस सोच से ही व्यक्ति प्रतिकूलताओं में भी अनुकूलता की सुगंध भर सकता है। जीवन का विकास कर सकता है। सफलता और संघर्ष साथ-साथ चलते हैं। चुनौतियां केवल बुलंदियों को छूने की नहीं होतीं, बल्कि वहां टिके रहने की भी होती हैं। यह ठीक है कि एक काम करते-करते हम उसमें कुशल हो जाते हैं। उसे करना आसान हो जाता है, पर वही करते रह जाना हमें अपने ही बनाई सुविधा के घेरे में कैद कर लेता है। जब संघर्ष का समय आता है तब किसी के लिए एक समस्या एक बड़ी समस्या होती है वहीं किसी दूसरे के लिए वही समस्या एक अवसर बन जाती है। ये सब आपकी सोच पर निर्भर करता है. इसीलिए कभी भी समस्या से घबरायें नहीं, पॉजिटिव रहें। इस बात को याद रखें ” अगर यह काम हो गया तो अच्छा है और नहीं हो पाया तो और भी अच्छा है”. “संघर्ष केवल उन लोगों के हिस्से में आतें हैं. तो इसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताक़त रखते हैं और सफल होते है” इंसान को धैर्यशील होना चाहिए हर बूरे समय के पीछे एक अच्छा समय आपका इतजार कर रहा होता है हमेशा परिस्थितियां एक जैसी नहीं होती अच्छा समय हैं तो बुरा आएगा बुरा है तो अच्छा आएगा आपने आपकों मजबूत बनाइये हर परिस्थिति में जीवन में हमेशा तैयार रहिए परिस्थितियों से डटकर सामना करने के लिए।