“नेपाल र्स्वर्ग है, मगर राजनीति ने इसे बर्बाद किया”
हिमालिनी प्रतिनिधि
नइ प्रकाशन द्वारा जेष्ठ १ गते २०७० वि.सं. तदनुसार १५ मई, २०१र्३र् इ. के रोज विविध क्षेत्र के विशिष्ट साधकों को पुरस्कृत और सम्मानित किया गया। उस अवसर पर नई देरुनीख अन्तर्रर्ाा्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रा. डा. गेर्रार्ड टाप|mा ने अपने धन्यवाद मंतव्य में कहा- ‘नेपाल र्स्वर्ग है, लेकिन राजनीति ने इसे बिगाडÞ रखा है। अन्तर्रर्ाा्रीय पुरस्कार के रुप में तीन लाख रुपये की रकम और प्रशंसापत्र पानेवाले पेरिस विश्वविद्यालय प|mांस के प्राध्यापक ने नेपाल को संस्कृति, कला, प्राकृतिक सौर्न्दर्य आदि में उत्तम बताते हुए कहा- ललितपुर जिले के एक गांव में मैंने स्थानीयवासियों के साथ वर्षों रहते हुए उनकी हस्त निर्मित वस्तुओं का अवलोकन किया। उनके बारे में ही मैंने पीएचडी की। नेपाल के लोगों ने मुझे बहुत प्यार और सम्मान दिया है।
दो लाख राशि वाला नई देरुनीख अन्तर्रर्ाा्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले डा. हरिहर शर्मा मुडभरी ने प्राप्त राशि को सेवा कार्य में ही समपिर्त करने की घोषणा की और कहा समाजसेवा बहुत ही कठिन कार्य है। इसमें त्याग और सेवा भाव होना बहुत जरुरी होता है। डा. शर्मा ने नेपाल, मेक्सिको, अप्रिmका, युगान्डा, हाइटी की गरीब बस्तियों में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवा प्रदान की है। त्रिभुवन विश्वविद्यालय के शिक्षण अस्पताल, नेपाल मेडिकल काँलेज, नोबेल अस्पताल और मेडिकेयर अस्पताल में डा. शर्मा ने करोडों के स्वास्थ्य सम्बन्धी उपकरण प्रदान किए हैं।
जनकवि केशरी धर्मराज थापा को एक लाख राशिवाला नई खरा सुकर्ीर्ति पुरस्कार प्रदान किया गया। करीब ३ दर्जन कृतियों के रचयिता लोकगीत के क्षेत्र में सुविख्यात व्यक्ति हैं। मगर आजकल अस्वथ चल रहे हैं। इसी तरह नई खरा प्रदीप्ति पुरस्कार -राशि ५० हजार) प्राप्त करनेवाले डा. जगदीश चन्द्र रेग्मी नेपाल के ख्यात्रि्राप्त इतिहासकार है। इतिहास संस्कृति विषयक इनके दो दर्जन ग्र्रंथ प्रकाशित हैं।
दश वर्षकी उमर से दृष्टिहीन मोहन सुन्दर श्रेष्ठ को इन खरा सुरभि पुरस्कार -राशि ५० हजार) वरिष्ठ संगीतकार के रूप में प्रदान किया गया। उसी प्रकार इन्दिरा राना मगर को नई खरा गौरव पुरस्कार उनके द्वारा कैदियों के बच्चों की शिक्षा संरक्षण के लिए प्रदान किया गया, जिसकी पुरस्कार राशि २५ हजार थी। और डा. रचना र्राई को नई खरा पौरख पुरस्कार से नवाजा गया, जिसकी राशि १५ हजार रुपये थी। बीएन वाइएस में प्रथम श्रेणी में प्रम होनेवाली डा. रचना र्राई प्राकृतिक स्वास्थ्य संस्था, काठमांडू में सेवारत हैं। भारतीय राष्ट्रपति द्वारा राजीव गान्धी विश्वविद्यालय में इन्हें स्वर्ण्र्ाादक प्राप्त है।
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति वैरागी काइला, उपकुलपति गंगाप्रसाद उप्रेती और विश्वनारी -नेपाली साहित्य) रत्न डा. वानीरा गिरी द्वारा संयुक्त रुप में पुरस्कार और सम्मानपत्र प्रदान किया गया।
सभी पुरस्कृत व्यक्तियों ने नइ प्रकाशन को धन्यवाद देते हुए कहा- नइ प्रकाशन ने विभिन्न क्षेत्र के प्रसिद्ध साधकों को सम्मानित करके सबों की हौसलाअफजाई की है। डा. बानीरा गिरि का कहना था, जो काम राजनीति नहीं कर सकती, वह काम साहित्य कर सकता है।
प्रसिद्ध संस्कृतिविद् सत्यमोहन जोशी और प्रसिद्ध लेखक राजनीतिज्ञ डा. मोदनाथ प्रश्रति ने भी अपने मंतव्य में अन्तर्रर्ाा्रीय पुरस्कारों से देश का गौरव बढÞा है, ऐसा कहते हुए पुरस्कार र्समर्पण समारोह की अध्यक्ष इन्दिरा प्रर्साई, नइ प्रकाशन के सदस्य सचिव नरेन्द्र राज प्रर्साई को साधुवाद प्रदान किया।
उसी समारोह में वयोवृद्ध राजनीतिज्ञ एवं लेखक यज्ञप्रसाद आचार्य की नवीनतम कृति ‘फ्युजन को जगमा शिलान्यास’ -कथासंग्रह) का विमोचन प्रज्ञा के कुलपति और उपकुलपति के हाथों सम्पन्न हुआ। उक्त अवसर पर कथाकार आचार्य ने अपनी कहानियों के बारे में प्रकाश डाला।
स्मरणीय है, नेपाली वाङ्मय की श्रीवृद्धि के लिए वि.सं. २०५२ साल माघ १५ गते नइ प्रकाशन की स्थापना हर्ुइ थी। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धान्त के साथ आवद्ध इस प्रकाशन ने संस्कृति, मूल्य, मान्यता और धारणा को सदैव शिरोपर रखते हुए विविध क्षेत्र के स्रष्टाओं को सम्मानित और पुरस्कृत कर प्रशंसनीय कार्य किया है। त्र