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राजपा से प्रार्थना पूर्ण निवेदन ! : अजयकुमार झा

पार्टी का मतलब सत्ता में पहुंच बनाने का लोकतान्त्रिक सिँढी होता है। चाहे वह राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक संगठन ही क्यों न हो, अंततोगत्वा वह अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए राजनीति में अवश्य स्थापित होना चाहता है, और नेपाल का अबतक का यही परंपरा भी रहा है।
रेशम चौधरी के साथ हो रहे बर्बरता और अन्याय मिटाने तथा ससम्मान नेपाली राजनीति में उन्हें स्थान दिलाने का यह सर्वोत्तम अवसर है। इस पुनीत अवसर को राजपा यदि खोती है तो मधेसी जनता उसे वेसक धूल चटाएगी। देश के सारे बुद्धिमान और प्रज्ञावन लोग रेशम चौधरी की रिहाई चाहते हैं।स्वयं प्रधान मंत्री ओली जी भी राजपा को सम्मान देना चाहते हैं, ऐसी हालत में राजपा को सीधे ओली के साथ समझौता कर रेशम चौधरी को गृह मंत्रालय के जिम्मेवारी सौपते हुए उदारता के साथ ओली सरकार में सामिल होना चाहिए।यही वर्तमान में राजनीतिक दूरदर्शिता माना जाएगा। अन्यथा मधेशी के प्रति भरोसा और विश्वास रखने वाले हमारे अभिन्न बन्धु थारू समाज को हमारे ऊपर से भरोसा टूट जाएगा। वैसे भी मधेसी नेताओं में किसी ने रेशम चौधरी की तरह यातनाएं और पीड़ा नहीं झेला है। सबके सब भारत में बैठकर जनता को आंदोलित कर खुदको भौतिक रूप से सुरक्षित रखने का काम किया है। जबकि रेशम चौधरी देश में रहकर अपनी मुद्दाको आगे बढ़ाया, उसके लिए लड़ा और आज वर्षों से जेलनेल काट रहा है।
राजनीतिक मुद्देको राजनीतिक ढंग से ही समाधान करना बुद्धिमानी माना जाता है, परंतु आज तो राजपा के साथ दोनो हाथों में लड्डू है। एक ओर रेशम की रिहाई, जो समग्र थारू समुदाय के लिए सम्मान की बात है, वहीं सरकार में सहभागिता जो शक्ति संतुलन के लिए आवश्यक है। सरकार में रेशम को प्रमुख जिम्मेवारी में देना दूरदर्शी कूटनीतिक निर्णय होगा, जो राजपा के अमृत रस का काम करेगा।
उपेंद्र यादव के साथ एकता एक दुर्घटना है, वह माओवाद से जन्मा है, उसमे रेशम के प्रति कोई सहानुभूति नहीं हो सकता। देखावटी तो वह प्रस्तुत करता ही रहता है। अतः ठाकुर जी और महतो जी से इस सुअवसर को हाथ से न जाने देने के लिए निवेदन करना चाहूंगा।
ध्यान रहे! जनता ने 17 सीट राजपा को दिया था, न की जसपा को। आज जसपा के 17 सीट मिल जाने से ओली जी को बहुमत मिल जाता है। 17+121=138 जम्मा संख्या 275 में 138 बहुमत हो जाता है।मजा से एक लोकतांत्रिक धार के समर्थक ओली जी के साथ दूसरे लोकतांत्रिक धार के अगुवा राजपा को मिलकर देश चलाना चाहिए। इसमें कोई बुराई नही है।
यह हम मानते हैं कि, आप ने ओली के विरुद्ध आंदोलन किया है, लेकिन संसद पुर्नस्थापना आप के आंदोलन से नही हुआ है। यह तो सर्वोच्च की गरिमा है, जो आप सबके साथ लोकतंत्र और देश को भी बचा दिया इसलिए के मांग और जनता के भावना तथा बुद्धिजीवियों के निर्देशन को समझने का प्रयास कीजिए, अन्यथा बाबूराम के चाकर बनकर घूमते रहिए। जिस प्रकार बाबूराम जी को पहाड़ में फुटी कौड़ी तक नहीं मिली, वैसे ही मधेस में आप लोग को भीख भी नही मिलेगा। अतः सावधानी के साथ इस मौका को सर्वजन हिताय में बदलिए।
ज्ञातब्य हो! मधेश में आपका जबर्दस्त प्रतिद्वंद्वी जनमत पार्टी अपना पैर पसार चुका है। जनता के साथ एक हार्दिक हार्मनी बनती जा रही है। स्वराजियों को आम नागरिक एक जुझारू समाज सेवक के रूप में लेने लगे हैं।सिके राउत के प्रति सम्मानजनक रुझान पहले से ही है। जनता किसी के खरीदा हुआ नही होता है। वह विकल्प खोजने में जुटा रहता है। सिके राउत का व्यक्तित्व किसी भी मधेशी नेता से ऊपर है। अतः सावधानी बरतें; जनता के संवेदना को समझनेका प्रयास करें।
धन्यवाद!

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