Fri. Mar 29th, 2024

yasenbhatkalराष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल यासीन भटकल गिरफ्तार हो चुके हैं.
यासीन भटकल को बिहार में नेपाल की सीमा से लगे इलाक़े से गिरफ़्तार किया गया है. गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इसकी पुष्टि की है.



भटकल की गिरफ्तारी और इसका इंडियन मुजाहिदीन के नेतृत्व और भविष्य पर क्या असर होने वाला है, ऐसे कई सवालों-संभावनाओं पर वरिष्ठ पत्रकार और सुरक्षा विश्लेषक प्रवीण स्वामी से बीबीसी संवाददाता विनीत खरे ने बात की.
यासीन भटकल के बारे में क्या जानकारी मौजूद है?इस व्यक्ति के बारे में हमें ज़्यादा कुछ पता नहीं है.
साल 2004 में इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों की पहली मीटिंग हुई. यह मीटिंग कनार्टक के भटकल शहर में हुई थी. इसी मीटिंग में यासीन भटकल शामिल हुए. अभी तक जितने भी चरमपंथी गिरफ्तार हुए हैं उनके बयानों से यही पता चलता है कि तभी से उनका इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ाव हुआ.कहा जाता है कि यासीन भटकल इंजीनियरिंग की डिग्री पढ़ने पुणे गए थे. लोगों का कहना है कि इकबाल भटकल के साथ उनकी दोस्ती बनी और उन्होंन ही यासीन को इंडियन मुजाहिद्दीन में शामिल किया.

साल 2005 से भारत के पुलिस बलों की चार्जशीट में इनके नाम आए हैं.

कहा जाता रहा है कि पिछले कई सालों में जितने भी बड़े हमले हुए हैं वे उन सभी हमलों के मौके पर मौजूद रहे हैं. ये भी कहा जाता है कि इंडियन मुजाहिदीन के संचालकों की भर्ती और उन्हें पैसे पहुंचाने में उनका बहुत बड़ा हाथ रहा. अभी तक न तो वे किसी कोर्ट के सामने पेश हुए हैं और ना ही भारत की पुलिस ने उनसे कोई पूछताछ की.
इस मायने में यह गिरफ्तारी बहुत महत्वपूर्ण है. इससे पीछे के केसों का पता लगेगा. इसके अलावा अब इंडियन मुजाहिद्दीन का नेतृत्व किस दिशा में जाएगा, उनके भविष्य की योजना क्या है, उसके बारे में भी जानकारी बाहर आएगी.
इंडियन मुजाहिदीन भारतीय खुफिया विभाग की ही कोई रचना है. यह गिरफ्तारी क्या उस सोच को खत्म कर पाएगी?bhatkal_1

आज की तारीख में कई राज़ हैं. कई लोग समझते हैं कि ओसामा बिन लादेन सालों पहले मारा गया और कुछ मानते हैं कि वह आज भी ज़िंदा है. लेकिन इंडियन मुजाहिद्दीन के बारे में अब ज्यादा रहस्य नहीं रह गया है. इसके कई सदस्यों के केस कोर्ट के सामने गए हैं. उनका दोष साबित भी हुआ है.

इस गिरफ्तारी से यह ज़रूर होगा कि पुलिस और लोगों की जानकारी के बीच जो फासला रहा है, वह पट सकता है. अभी तक इंडियन मुजाहिदीन का कोई बड़ा नेता गिरफ्तार नहीं हुआ था.
आम तौर पर किसी को इस बात की ज़्यादा जानकारी नहीं थी कि ये ग्रुप क्या है, इसकी योजनाएं क्या थीं, ये चलता कैसे था, और इसे चलाने वाले कौन थे.
अभी तक यह भी पता नहीं है कि पाकिस्तान में इंडियन मुजाहिदीन के ज़मीनी नेताओं से यासीन भटकल का संपर्क कैसा था. पहली बार सालों से लटके हुए इन सवालों के कुछ पक्के जवाब मिल पाएंगे. इन सवालों पर सीधी जानकारी मिल पाएगी.
क्या इंडियन मुजाहिदीन का ख़ात्मा हो गया है?

यह कहना बिलकुल गलत होगा कि इस गिरफ्तारी से इंडियन मुजाहिदीन का खात्मा हो गया है. हमें याद रखना चाहिए कि इंडियन मुजाहिदीन के बुनियादी स्तर के ऐसे ही कई वरिष्ठ कार्यकर्ता रहे हैं जो आज तक गिरफ्तार नहीं किए जा सके हैं.
आजमगढ़ में शाहनवाज़ आलम साल 2008 की गोलीबारी में बच गए. अभी जो गिरफ्तार हुए हैं उनके साथ जुड़े हुए कम से कम तीन सदस्य और हैं जो फरार हैं.
यासीन भटकल का क़द इंडियन मुजाहिदीन में
दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर के पहले बहुत बड़ा नहीं था लेकिन उसके बाद बन गया. इस गिरफ्तारी के बाद कोई और बन जाएगा.

जहां तक इंडियन मुजाहिदीन के शीर्ष नेतृत्व की बात है इकबाल भटकल, रियाज़ भटकल, अल्ताफ सुभान कुरैशी इन सारे लोगों के बारे में कहा जाता है कि ये या तो पाकिस्तान में हैं या किसी और मुल्क में हैं.
इनके ठिकाने का ठीक-ठीक पता कोई जांचकर्ता नहीं लगा पाया है.
जब तक इस संगठन के बड़े नेता पकड़े नहीं जाते तब तक इस कहानी के खत्म होने की संभवानएं बहुत ही कम हैं.
इसे भारत के पक्ष में दूसरे देशों का सहयोग कहा जा सकता है?

बिलकुल. नेपाल के साथ भारत का सहयोग हमेशा से अच्छा रहा है. यदि पिछले बीस सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो खालिस्तान आंदोलन के दिनों के कई चरमपंथियों को नेपाल की मदद से गिरफ्तार किया गया.

बांग्लादेश से भी कई साल से सहयोग मिल रहा है. बांग्लादेश की पुलिस ने कई चरमपंथियों को या तो अपने मुल्क में गिरफ्तार किया और उन पर मुकदमे चलाए या भारत को सौंप दिया है.

मगर 26/11 की घटना के बाद मध्य पूर्व में भी पुलिस बहुत सहयोग करने लगी है. जबीउद्दीन अंसारी, जिसने 26/11 की साज़िश रची, सऊदी अरब के अधिकारियों के सहयोग से ही वापस भेजा गया.

इन इलाकों में इस ग्रुप की गतिविधियों को लोग अब बर्दाश्त नहीं कर रहे. पाकिस्तान, कराची या कहीं और जो भी भगोड़े बैठे हुए हैं अब उन्हें भी समझ में आने लगेगा कि इन जगहों में जाकर वे अब तक जो पैसे इकट्ठे करते थे, स्थानीय लोगों से समर्थन ले पाते थे, अब मुश्किल होगा.



About Author

यह भी पढें   गठबन्धन का बन्धन कितना स्थिर और विश्वसनीय ? : डॉ. श्वेता दीप्ति
आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: