लता मंगेशकर जी के प्रति डीएवी सुशील केडिया विश्वभारती द्वारा भावपुर्ण श्रद्धांजलि

काठमांडू | दिनांक: 4 मार्च 2022 शुक्रवार के दिन काठमांडू स्थित डीएवी सुशील केडिया विश्वभारती जावलाखेल, ललितपुर में स्वर की महारानी लता मंगेशकर जी के प्रति एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया | इस अवसर पर विद्यालय के बाल कलाकारों और शिक्षकों के द्वारा लता जी के गीत-संगीत पर नृत्य और गायन की प्रस्तुति की गई तथा नेपाल की सुप्रसिद्ध गायक गायिकाओं के द्वारा स्वर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया |



स्वर श्रद्धांजलि कार्यक्रम में डीएवी विद्यालय के अध्यक्ष, प्रसिद्ध उद्योगपति श्री अनिल केडिया के द्वारा बचपन के दिनों में रेडियो के माध्यम से लता जी के गाने सुनने के उस दौर को याद किया गया । इसके अलावा लता मंगेशकर जी की प्रसिद्धि एवं उनकी लोकप्रियता के संबंध में श्री अनिल केडिया ने कहा कि वह पाकिस्तान को भी बहुत पसंद थी और पाकिस्तान के द्वारा लता मंगेशकर को लेकर यहाँ तक कहा गया था कि हिंदुस्तान कश्मीर रख ले, लेकिन लता मंगेशकर पाकिस्तान को दे दिया जाए।
श्री अनिल केडिया जी ने अंत में गायिका बबिता मानंधर के साथ लता मंगेशकर और मुकेश के द्वारा गाए गए ‘फूल तुम्हें भेजा है खत में’ (फिल्म: सरस्वती चंद्र) गाकर उपस्थित दर्शकों का भरपूर मनोरंजन भी किया।
स्वागत भाषण करते हुए डीएवी सुशील केडिया विश्व भारती के प्राचार्य, डॉ. भुवनेश्वरी राव ने कहा कि संगीत की इस विशाल प्रतिभा का सम्मान और श्रद्धांजलि व्यक्त करने का हमने एक छोटा-सा प्रयास किया है, ताकि हमें और हमारे विद्यार्थी समाज को उनकी कला और प्रतिभा से ही नहीं, उनके अनुकरणीय व्यक्तित्व से भी लाभान्वित होने की शिक्षा मिले।
प्राचार्य, डॉ. भुवनेश्वरी राव ने कहा कि संगीत को छोड़कर भी लता जी के व्यक्तित्व पर, बचपन से लेकर जीवन के अंतिम क्षणों तक के जीवन संघर्ष पर, उनकी साधनामय जिंदगी पर दृष्टि डाली जाए तो हम शिक्षा जगत में कार्य करने वाले उनके महान व्यक्तित्व से अनगिनत गुणों को आजमा सकते हैं, सीख सकते हैं। संगीत के क्षेत्र में लता जी ने कभी 99% नहीं दिया। हमेशा सिर्फ और सिर्फ शत-प्रतिशत ही देती रहीं। अपनी कला में शत-प्रतिशत देने वाले कभी असफल नहीं होते। इसके विपरीत वे पूरी दुनिया में अपना पदचाप छोड़ जाने में सफल होते हैं।
लता मंगेशकर जैसे व्यक्तित्व से सीखने, अनुकरण करने के अनगिनत पहलू हैं। उनके विवादरहित, द्वेषरहित जीवन से, सभी के प्रति स्नेहपूर्ण आचरण से और विशेषकर उनके साधनामय जीवन से हम सभी अनुप्राणित हों, उनका अनुसरण करें, लाभ उठाएँ और अपने जीवन को सफल बनाएँ। लता जी का व्यक्तित्व हम सभी के जीवन को सुरीला बनाए, संघर्ष के समय में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा बने और हम सभी का जीवन उन्हीं की तरह अनगिनत मानवीय गुणों से भरपूर हो।
इस अवसर पर लता जी के संपूर्ण जीवन पर आधारित और उनकी संगीत यात्रा से संबंधित 10(दस) मिनट का एक वृत्तचित्र प्रदर्शन किया गया
डीएवी विद्यालय के प्राथमिक स्तर के नन्हें-मुन्नों द्वारा लता जी के द्वारा गाए गए अंग्रेजी गीत के आधार पर बैले नृत्य का भी प्रदर्शन हुआ
लता जी के अंग्रेजी गीत के संबंध में एक प्रसंग:
लता जी ने कभी अंग्रेजी गाने के लिए भी अपनी आवाज दी थी। सन् 1987 में कनाडा के टोरंटो में एक चैरिटी शो के लिए गई हुई लता जी ने पहली बार अंग्रेजी में गाना गाया था — यू नीडेड मी(u needed me), जोकि वास्तव में प्रख्यात कनाडाई गायिका एनी मरे का गाना था। लेकिन लता जी ने 58(अट्ठावन) की उम्र में भी किसी नवकिशोरी के समान अपनी सुरीली आवाज में यह अंग्रेजी गाना गाकर हजारों की संख्या में आए हुए संगीत प्रेमी श्रोताओं को चौंका दिया था और अपनी आवाज के जादू से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया था। यह शो लता जी के जीवन का एक बहुत खास कार्यक्रम था। इस शो के माध्यम से गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों की आर्थिक मदद की गई थी। मदद पाने वालों में एक 6(छह) साल की बच्ची भी थी, जो कैंसर से पीड़ित थी। उपचार के क्रम में कीमोथेरेपी के कारण इस बच्ची के बाल झड़ गए थे। साथ ही उसका एक पैर भी काटना पड़ा था। ऐसी हालत में भी उस बच्ची के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर लता दीदी भावुक हो गईं। बच्ची को उन्होंने अपनी गोद में उठा लिया और कहा कि यह छोटी-सी बच्ची जिसके जीवन का कोई भरोसा नहीं है, इतनी पीड़ा के बीच भी यह मुस्कुरा रही है और हमें जीवन जीने की कला सिखा रही है। उस समय लता दीदी की आँखें नम थीं और मंच में इस दृश्य को देखकर कार्यक्रम में उपस्थित हजारों श्रोता दर्शक भी अपने नम आँखों के साथ तालियाँ बजा रहे थे।
डीएवी विद्यालय के शिक्षकद्वय जय श्रीवास्तव और शशि लता के द्वारा अपनी आवाज में लता जी के गीत गाकर स्वर-श्रद्धांजलि प्रदान किया गया
डीएवी विद्यालय के निम्न-माध्यमिक स्तर के बाल-बालिकाओं द्वारा लता जी के द्वारा गाए गए अत्यंत लोकप्रिय नेपाली और हिंदी गीतों पर फ्यूजन नृत्य प्रदर्शन
सुनिए
लता जी के द्वारा गाए गए नेपाली गीतों के बारे में…
36(छत्तीस) अलग-अलग भाषाओं में अपनी सुरीली आवाज भरने वाली लता जी ने नेपाल की राष्ट्रभाषा नेपाली में भी कुछ गीत गाए हैं। आज से लगभग 55(पचपन) साल पहले ही सन् 1966 में बने नेपाली चलचित्र ‘माइतीघर’ में नेपाल के पूर्व राजा महेंद्र वीर विक्रम शाह द्वारा रचित ‘जुन माटो मा मेरो जन्म लिने सौभाग्य भयो’ और ‘आकाश का तिरमिरे तारा गन्न म सक्दिन, मनका कुरा मुखमा ल्याई म भन्न सक्दिन’ बोल के गीत गाए थे जो आज तक भी अत्यंत लोकप्रिय हैं।
अत्यंत सुरीली, कर्णप्रिय और लता जी के समान ही मधुर आवाज की धनी ‘नेपाल की लता’ के रूप में प्रसिद्ध मनिला सोतांग जी के द्वारा लता जी का प्रसिद्ध गीत ‘तुझसे नाराज नहीं जिंदगी’ गाकर स्वर-श्रद्धांजलि अर्पित किया गया
डीएवी विद्यालय के माध्यमिक स्तर में अध्ययनरत एरिका चौधरी और सुमित श्रीवास्तव के द्वारा अपनी आवाज में लता मंगेशकर जी और रामकृष्ण ढकाल जी के द्वारा गाया हुआ मशहूर नेपाली गीत “फूल भन्छ फुलि रहुँ जुन भन्छ चम्कि रहुँ, मन त भन्छ सबैसङ्ग माया-मोह राखि रहुँ” गाकर स्वर-श्रद्धांजलि प्रदान
नेपाल की सुप्रसिद्ध गायिका बबिता मानंधर जी के द्वारालता जी के साथ मुंबई के ‘सुरलता स्टुडियो’ में मिलने का रोचक प्रसंग और भावुक वर्णन प्रस्तुत किया गया
और
लता जी के दो अत्यंत सुमधुर और लोकप्रिय गीत “तू जहाँ जहाँ चलेगा, मेरा साया साथ होगा” और “आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है “– गीतों को गाकर स्वर श्रद्धांजलि प्रदान
कार्यक्रम का अंत एक थिमेटिक नृत्य से होता है, जिसमें डीएवी विद्यालय के कक्षा नौ और दस के विद्यार्थियों ने लता जी के जीवन संघर्ष, व्यक्तित्व और उनके दिवंगत होकर स्वर्गारोहण होने तक के अनगिनत प्रसंगों को बहुत ही कम समय में अत्यंत रोमांचक और भावुक कर देने वाले अंदाज में पेश किया।
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कार्यक्रम प्रस्तोता:
पुरुषोत्तम पोख्रेल
हिंदी विभागाध्यक्ष,
डीएवी सुशील केडिया विश्वभारती
