नागरिकता विधेयक : रुष्ट राष्ट्रपति का राजीनामा कार्ड

राजनीति के गलियारे में यह चर्चा जोरशोर से है कि नागरिकता विधेयक को राष्ट्रीयसभा द्वारा हुबहु पारित करने के बाद राष्ट्रपति ने राजीनामा देने का मन बना लिया है । इस विषय को लेकर सत्तारुढ दल विचार विमर्श और विश्लेषण कर रही है । वैसे, माओवादी केन्द्र के अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड ने कहा है कि राष्ट्रपति राजीनामा नहीं देंगी ।
राष्ट्रपति इस्तीफा देंगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं है किन्तु यह स्पष्ट है कि उन्होंने जिस संघीय संसद द्वारा पास नागरिकता विधेयक को २९ साउन में वापस प्रतिनिधि सभा में भेजा था उसे फिर से हुबहु पारित करने निर्णय से वो अत्यन्त क्रोधित हैं । उन्होंने अपनी रुष्टता इस बात पर भी जाहिर की है कि जिस दिन विधेयक पास किया गया उस दिन उनके पति और एमाले नेता मदन भंडारी की दासढुंगा दुर्घटना में हुई थी । यह रुष्टता भावनात्मक और व्यक्तिगत है जिसे राजनीति में स्थान नहीं दिया जा सकता है । किन्तु यह तो जाहिर है कि राष्ट्रपति आक्रोषित हैं ।
राष्ट्रपति लगातार इस विषय को लेकर चर्चा में व्यस्त हैं । उन्होंने उच्च सैन्य अधिकृतों से भी परामर्श किया है। इससे पहले उन्होंने संविधानविद्, पत्रकार और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों से भी इस सम्बन्ध में विचार विमर्श किया था । माना जा रहा है कि इस विषय पर अधिकतर लोगों ने उन्हें इस्तीफा देने की सलाह दी है । राष्ट्रपति का आक्रोश इस बात पर भी है कि उनके द्वारा वापस किए गए विधेयक पर बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया है। एमाले के नेता भी यह मान रहे हैं कि यह सम्भावना है कि राष्ट्रपति राजीनामा दे दें ।
शीतलनिवास सम्बद्ध स्रोत के अनुसार राष्ट्रपति चाहती हैं कि उनके सन्देश पर संसद में विचार विमर्श हो । प्रतिनिधिसभा से पास होकर राष्ट्रीयसभा में पहुँचे इस विधेयक पर पुनर्विचार करने के लिए दबाव बनाने के उद्देश्य से ही राजीनामा कार्ड खेला गया है । किन्तु अगर ऐसा नहीं होता है और विधेयक हुबहु उनके पास आता है तो वो स्वयं को अपमानित महसूस करेंगी और उसके बाद राजीनामा ही विकल्प है ।