निलंबित प्रधानन्यायधीश जबरा ने लगाया गंभीर आरोप
जबरा का आरोप– नेपाल बार के तत्कालीन अध्यक्ष चण्डेश्वर श्रेष्ठ ने उच्च अदालत में न्यायाधीश की मांग की थी । बार के तत्कालीन महासचिव लिलामणि पौडेल ने उच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश की मांग की थी ।’
काठमांडू, ३१ अगस्त । महाभियोग सिफारिस समिति में बयान देने के क्रम में निलम्बित प्रधानन्यायाधीश चोलेन्द्र शमशेर जबरा ने बार के पूर्वपदाधिकारी के उपर गम्भीर आरोप लगाया है । नेपाल बार के पूर्वपदाधिकारी ने उच्च अदालत में न्यायाधीश की मांग और सर्वोच्च अदालत बार के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता पूर्णमान शाक्य पर आरोप लगाते हुए जबरा ने कहा कि उन्होंने कहा था कि मामले को सुलझा देना पड़ा । प्रतिनिधिसभा के महाभियोग सिफारिस समिति में बुधबार बयान देने के क्रम में जबरा ने नाम सहित लेते हुए कहा कि नेपाल बार के पूर्वअध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता चण्डेश्वर श्रेष्ठ और पूर्वमहासचिव लिलामणि पौडेल ने उच्च अदालत में न्यायाधीश की मांग की थी ।
नेपाल बार के तत्कालीन अध्यक्ष चण्डेश्वर श्रेष्ठ ने उच्च अदालत में न्यायाधीश की मांग की थी । बार के तत्कालीन महासचिव लिलामणि पौडेल ने उच्च अदालत ने मुख्य न्यायाधीश की मांग की थी । जबरा ने आगे कहा कि – तत्कालीन महासचिव न तो वरिष्ठ अधिवक्ता थे । उन्होंने होने की बात की थी । वो स्वयं मेरे चेम्बर में आए और उच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश की मांग की ।
इसी तरह जबरा का कहना था कि –सर्वोच्च अदालत बार एसोसिएसन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता पूर्णमान शक्य ने भी इन मुद्दों में अपनी रुचि दिखाइ थी ।’सर्वोच्च बार के अध्यक्ष प्राध्यापक भी हैं । उन्होंने अपने मुद्दे के बारे में भी बात की थी । जबरा ने कहा बार के पदाधिकारी सिद्धान्त और नैतिकता के आधार में आन्दोलन में नहीं गए हैं । जबरा ने आरोप लगाया कि बार के तत्कालीन अधिकारियों ने न्यायाधीशों को भी बढ़ावा दिया और उनके खिलाफ धरना शुरु कर दिया ।