संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को बाजरा ( कोदो) वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया
संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को बाजरा ( कोदो) वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया है। संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूरक प्रस्ताव पर वर्ष 2023 को बाजरा वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। आज से नेपाल में भी विभिन्न कार्यक्रमों के साथ इसकी शुरुआत की गई है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मार्च 2021 में अपने 75वें सत्र में 2023 को बाजरा के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया। कृषि विभाग के महानिदेशक डॉ. रेवतीरामन पौडेल ने कहा कि यह वर्ष उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए बाजरा के सतत उत्पादन को बढ़ावा देने और एक स्थायी बाजार बनाने का अवसर होगा।

वर्ष 2023 को पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सीधे नीतिगत ध्यान देने का अवसर मानते हुए उन्होंने कहा कि यह वर्ष खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2023 का उद्देश्य सतत विकास, विशेष रूप से शून्य भूखमरी (एडीजी 2) के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंडा में योगदान करना है।
कार्यकर्ता डॉ. कृष्णा पौडेल ने कहा कि बाजरा नेपाल की पांच प्रमुख फसलों में से एक है और कहा कि यह फसल खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बाजरा को पोषण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण फसल बताते हुए कहा कि इसमें प्रोटीन, खनिज, लवण, विटामिन और फाइबर जैसे संतुलित पोषण पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
बाजरे की खेती हिमालय के सभी भागों, तराई और नेपाल की पहाड़ियों में की जाती है। नेपाल में बाजरा, चिनो और कगुनो की खेती की जाती है। उन्होंने कहा कि जहां नेपाल की मध्य पहाड़ियों में बाजरे की खेती होती है और करनाली क्षेत्र के हिमालय में गन्ने की खेती होती है, वहीं कागुनो की खेती देश के हर क्षेत्र में होती है।