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delhi dharanaजन्तर-मन्तर, दिल्ली , २०१४ जुलाई २१स् । भारत में अपने अधिकारों को सुनिश्चित करने तथा मधेशियों के मुद्दों के विषय में भारतीय सरकार का ध्यान खींचने प्रवासी मधेशियों ने गैर(आवासीय मधेशी संघ के नेतृत्व में दिल्ली के जन्तर(मन्तर पर सोमबार धरना प्रदर्शन किया। धरना में  यूनाइटेड मधेशिज अफ नेपाल और अल इंडिया मधेशी स्टूडेन्टस् एशोसिएशन सहित के संघ(संस्थाओं ने समर्थन किया था और भारत के विभिन्न भाग में रहते आए मधेशियों ने बहुत ही उत्साहपूर्ण सहभागिता जताई थी। धरना अन्ततस् प्रधानमंत्री कार्यालय को ज्ञापन पत्र हस्तान्तरण करने के बाद समाप्त हुआ।
वर्तमान नेपाल के दक्षिणी समतल भूभाग मधेश ९तराई० के रहनेवाले मधेशियों का सीमा आर(पार हजारों वर्षों से भौगोलिक, ऐतिहासिक, सामाजिक, वैवाहिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक सम्बन्ध रहता आया है।  उसी सम्बन्ध को मध्यनजर करते हुए भारत और नेपाल के बीच में सन् १९५० की शान्ति एवम् मैत्री संधि भी सम्पन्न हुई, जिसके तहत नेपाल(भारत बीच में खुला सीमाना स्थापित होने के साथ(साथ सिद्धान्ततस् मधेशियों को भारत में मतदान अधिकार को छोडकर लगभग नागरिक सरह अधिकार प्राप्त है। परन्तु व्यवहार में मधेशी जनता भारत सरकार से बारम्बार उपेक्षित होती रही हैं। खुला सीमाना होने के बाबजूद सीमा आर(पार करते समय मधेशी उत्पीडित होते रहे हैं। भारत में मधेशियों के पास मौजूद पहचान पत्र या जन्म दर्ता प्रमाण(पत्र को अक्सर भारत में मान्यता नहीं मिलता, जिसकी वजह से मकान मालिक से लेकर अस्पताल और पुलिस सेवाओं से भी मधेशी वंचित होते रहे हैं। मधेशियों को अच्छी(खासी शैक्षिक संस्थाओं में भर्ती नहीं मिलती, न तो अच्छी(खासी जगहों पर नौकरी ही मिल पाती है। जहाँ भारतीय सेना में पहाडी नेपालियों की भर्ती की जाती है, वहीं मधेशियों की भर्ती नहीं की जाती। उसी तरह  नेपाल की ५१५ जनसंख्या रहे मधेश में भारत द्वारा नेपाल को दिए गए अनुदान और सहयोग का  केवल बहुत ही छोटा हिस्सा ही प्राप्त होता रहा है।
सरकार द्वारा बारबार किए गए इस उपेक्षापूर्ण व्यवहार के विषय में गैर(आवासीय मधेशी संघ के संस्थापक अध्यक्ष डा। सी। के। राउत ने धरना को सम्बोधन करते हुए कहा कि भारत सरकार से मधेशियों की उपेक्षा बारम्बार होते रहना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि मधेशियों का वर्तमान नेपाल(भारत सीमा आर(पार हजारों वर्ष पुराना सम्बन्ध ही नहीं, मधेशी लोग सदैव भारतीय जनता के दुस्ख(सुस्ख के साथी रहे हैं, मधेशियों ने भारतीय आजादी आन्दोलन के लिए बहुत बलिदानी दी, और अभी भी कोई बाढ हो या आगजनी, सीमावर्ती क्षेत्र के भारतीय जनता को सहयोग करने सबसे पहले मधेशी ही पहुँचते हैं। उसी तरह गैर(आवासीय मधेशी संघ – भारत शाखा के अध्यक्ष सुजित कुमार ठाकुर ने कहा कि भारत मधेशियों का ऋणी है और यह वक्त है कि भारत सरकार मधेशियों के मुद्दों पर विचार करे और उसे समाधान करने के लिए पहल करे।
गैर(आवासीय मधेशी संघ नेपाल के मधेश से बाहर रहते आए मधेशियों का एक अन्तरराष्ट्रीय छाता संगठन है। मधेश और मधेशियों के मुद्दों को अन्तरराष्ट्रीय जगत में उठाते हुए संघ सम्पूर्ण मधेशियों के हक(हित एवम् कल्याण के लिए काम करता है। इसकी उपस्थिति अमेरिका, भारत, अफ्रिका और मध्य(पूर्व, ऑस्ट्रेलिया, पूर्व एशिया और यूरोप में है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की बैठक और सम्मेलनों से लेकर अन्य विश्व संगठनों में भी गैर(आवासीय मधेशी संघ मधेशियों की प्रतिनिधित्व करता रहा है।

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