Fri. Mar 29th, 2024

भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का नेपाल भ्रमण सिर्फऔपचारिक नहीं है । विगत १७ वर्षों से द्विपक्षीय भ्रमण से कोई भी भारतीय प्रधानमन्त्री नेपाल नहीं आए थे । बहुत सारे कारणों से मोदी का नेपाल आगमन प्रतीक्षा का विषय बना हुआ है ।
सत्रह वर्षो के बाद हो रहा भारतीय प्रधानमन्त्री का नेपाल भ्रमण को राजकीय भ्रमण कहा गया है । नरेन्द्र मोदी राजनैतिक व्यक्तित्व अभी विश्व में चर्चित है । नेपाल सरकार और यहाँ के राजनीतिज्ञ मोदी से बहुत कुछ आशा अपेक्षा रख सकते हैं । दर्ीघकालीन महत्व की बडÞी आयोजनाओं के बारे में भी विचार विमर्श हो सकता है । लेकिन सिर्फराजनीतिक मुद्दे पर बातें और बहस केन्द्रित होगी तो उद्योग वाणिज्य व्यापार का दि्वपक्षीय मामला ऐसे ही न रह जाय । क्योंकि, नेपाल का आयात निर्यात और वाणिज्य व्यापार बहुत हद तक भारतीय बाजार से सम्बन्धित है । मोदी सरकार से जल विद्युत आयोजना के अतिरिक्त काठमान्डू को तर्राई से जोडÞने वाला फास्टटै्रक्ट अथवा मध्य पहाडÞी लोक मार्ग में भारतीय निवेश करने के लिए आग्रह करना फायदेमन्द होगा ।

ashok baidya

अशोक वैद्य
अध्यक्ष उद्योग वाणिज्य संघ, वीरगंज

वैसे तो मोदी के भ्रमण में दर्ीघकालीन महत्व की आयोजनाओं को प्राथमिकता देने की सम्भावना प्रवल है, लेकिन नेपाल और भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में अक्सर दोनों देशों के उच्चस्तरीय कर्मचारियों की नासमझी से अनेक अनावश्यक समस्याएँ उठती रहती हैं, जिसके चलते दोनों देशों के आपसी सम्बन्धों पर बुरा असर पडÞता है । इस विषय को गम्भीरता से दोनों देश लें तो बेहतर होगा । नहीं तो आए दिन उठने वाली अव्यवहारिक समस्याओं से सम्बन्धों में खटास तो आएगी ही, वाणिज्य व्यापार के क्षेत्रों में भी बुरा असर पडÞेगा ऐसा व्यापारिक वर्गों का मानना है ।
मेरे विचार में नेपाल और भारत का जो आपसी सम्बन्ध है, उसको मजबूती देने के लिए ढेर सारे मुद्दे हैं । जैसे १९५० की शांति तथा मैत्री संधि और दोनों देशों के बीच की संधि को परिमार्जन और प्रतिष्ठापित करने के लिए नेपाली पक्ष से गम्भीर तैयारी की जरुरत है । विश्व में एक आर्थिक शक्ति के रुप में उदित भारत से नेपाल उर्जा और जल क्षेत्र में बहुत कुछ लाभदायक समझौता कर सकता है । अपने निकटतम सम्बन्धी भारत से विकास में साझेदारी और निर्माण की भागेदारी हो तो नेपाल के लिए लाभदायक होता ।
नेपाल भारत के साथ स्पष्ट रुप में आर्थिक विकास के विषय में भारतीय सहयोग की बात करे तो अच्छा होगा । हमारे दोनों पडÞोसी विकास में आगे हैं । इन दोनों. शक्ति के बीच नेपाल सेतु बन सकता है यदि बदलते समय के साथ नेपाल पूरी कोशिश करे तो । नेपाल के विकास में भारत और चीन दोनों को संयुक्त साझेदार बनाने का प्रयत्न निरन्तर रूप से होना चाहिए । मोदी के आसन्न भ्रमण से कम से कम इतना तो कर सकें ।
-हिमालिनी से हर्ुइ बातचीत के आधार पर)



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