बहुतों की प्रेरणा थीं उड़ान सीरियल की कविता चौधरी
काठमांडू,फागुन ५– १० या ११ साल की रही होउंगी मैं जब पहली बार कविता चौधरी को दूरदर्शन पर आ रहे एक सिरियल उड़ान में देखा । इस सीरियल में उन्होंने आईपीएस अधिकारी कल्याणी सिंह का किरदार निभाया था । उस वक्त की सबसे चर्चित सिररियल थी उड़ान । और उनका वो आईपीएस अधिकारी के डे«स में आना । बच्चों को लुभा जाता था । सच कहुँ तो मन में अनेको सपने जगा देता था ।
खासकर यह सीरियल बच्चियों को ज्यादा पसंद आया था । बच्चियां जब कल्याणी को संधर्ष करती देखती तो उसमें उन्हें अपना संधर्ष दिखाई देता था और जब वह आईपीएस अधिकारी बन जाती है तो हर बच्ची उस वक्त एक ही सपना देखती है कि उसे भी कल्याण्ी की तरह बनना है । मुझे याद है स्कूल में जब भी समय मिलता हम सभी लड़कियां कविता चौधरी की बातें करती और भविष्य में कुछ ऐसा ही बनना भी है । कल जब सूना कि वो हमारे बीच नहीं रहीं तो मन अचानक से उन दिनों में खोने लगा जब वो हमारी आइडिल हुआ करती थीं । बहुत लोग चाहते थे उन्हें । एक यादगार किरदार छोड़कर वह चली गई ।
ऐसा नहीं था कि उड़ान से उन्हें पहचान मिली । इससे पहले ही कविता सर्फ डिटर्जेंट कंपनी सर्फ के कमर्शियल से घर घर में मशहूर हो गईं थी । ललिता जी के नाम से उन्हें घर घर में लोग पहचानते थे । लेकिन दूरदर्शन के शो उड़ान से देशभर की लड़कियों के लिए प्रेरणा बनीं कविता चौधरी । वो एक पॉपुलर एक्ट्रेस, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और राइटर थीं । लंबे समय से कविता कैंसर से जूझ रही थीं और उनका इलाज चल रहा था और गुरुवार की ही रात को दिल का दौरा पड़ने से अमृतसर के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया है । कविता चौधरी ६७ साल की थीं ।
‘उड़ान’ सीरियल उनकी बड़ी बहन कंचन चौधरी की कहानी थी जिसे उन्होंने बड़ी ही खुबसूरती से निभाया था ।
सीरियल ’उड़ान’ सीरियल उनकी बड़ी बहन कंचन चौधरी की कहानी थी, जो किरण बेदी के बाद दूसरी आईपीएस ऑफिसर बनी थीं । इतना ही नहीं उन्होंने खुद शो की कहानी भी लिखी थी और उसका निर्देशन भी किया था । उस समय इस कहानी ने इसलिए खूब सफलता पाई थी क्योंकि इस तरह की कहानी टेलीविजन पर तब के समय में बड़ी बात हुआ करती थी । कविता ने इसके अलावा ‘यॉर ऑनर’ और ‘आईपीएस डायरीजÞ’ जैसे कुछ और शोज भी बनाए थ े।
उनकी याद में एक ही बात कही जा सकती है कि एक प्रशंसित शो, जिसने महिलाओं की एक पीढ़ी को सार्वजनिक सेवा के लिए प्रेरित किया । आज हमारे बीच नहीं रही लेकिन उस दौर की जो बच्चे बच्चियां हैं उन सभी के दिलो दिमाग में वो सदैव रहेगीं ।


