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बालेन ने किया आक्रोश व्यक्त… उस समय क्यों नहीं पुनरावेदन दिया गया



]काठमांडू, भादव  २६  –काठमांडू महानगरपालिका के मेयर बालेन शाह ने प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली के प्रति आक्रोश व्यक्त किया है । बालेन ने प्रधानमंत्री ओली से प्रश्न किया है कि जब वो महानगर के मेयर नहीं थे तब अदालत ने जो फैसला किया था उस फैसले पर क्यों पुनरावेदन नहीं किया ?
उन्होंने कहा कि जिस समय अदालत ने काठमांडू नदी तट के मापदण्ड को २० मीटर कायम करने को कहा था उस समय तो प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली ही थे , वागमती के मुख्यमन्त्री डोरमणि पौडेल और काठमांडू महानगरपालिका के मेयर विद्यासुन्दर शाक्य थे । उस समय इस फैसले पर पुनरावेदन क्यों नहीं दिया । या तो यह कहें कि उस समय इतना बुद्धि काम नहीं किया । या फिर यह कहें कि अभी हम कोई और ही दांव खेल रहे हैं । वो तो वही बात हो गई कि बात कब की और पुनरावेदन अभी । जैसे सास मर गई जमाने में और रो रहे हैं अभी ।
नदी किनारे २० मीटर को लेकर जो अभी इतनी चर्चा चल रही है या सभी जो इसका विरोध कर रहे हैं यह मैंने नहीं बनाया है । न्यायाधीशद्वय डा. आनन्दमोहन भट्टराई और सपना प्रधान मल्ल के इजलास ने २०७६ साउन २० गते १२ बूँदे आदेश जारी कर नदीतट का मापदण्ड बढ़ाकर २० मीटर कायम करने के लिए कहा गया । उस समय प्रधानमंत्री ओली ही थे । उनके ही द्वारा नियुक्त किए गए महान्यायधिवक्ता अग्नि खरेल, उनकी ही पार्टी एमाले द्वारा बनाए गए बागमती के मुख्यमन्त्री डोरमणि पौडेल, उनकी ही पार्टी एमाले द्वारा बनाए गए काठमांडू के मेयर विद्यासुन्दर शाक्य । इन सभी ने अपने सचिव और सम्बन्धित कर्मचारी को भेजा, तर्क वितर्क किया उसके बाद नदी तट उपयोगिता की योजना अदालत को बताया । इसके बाद ही अदालत ने यह फैसला किया था । अदालत की प्रक्रिया ही यही है । पक्ष विपक्ष दोनों के तर्क को सुनने के बाद ही वह फैसला करती है । यदि फैसला ठीक नहीं लगा तो पुनरावेदन करने का अधिकार रहता है । मैं केवल इतना कहना चाहता हूँ कि उस समय में क्यों पुनरावेदन नहीं दिया गया ?



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