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तिब्बत, जिसके ऊपर से क्यों नहीं गुजरती है एशिया में ट्रैवल करने वाली फ्लाइट्स

काठमान्डू 12सितम्बर



चीन के बॉर्डर से लगता देश तिब्बत वैसे तो बहुत खूबसूरत है. मगर यह इलाका पहाड़ों से भरा है. इसलिए यहां प्लेन उड़ाना खतरनाक होता है. इस वजह से एशिया में ट्रैवल करने वाली फ्लाइट्स तिब्बत के ऊपर से नहीं गुजरती हैं. तिब्बत दुनिया का सबसे ऊंचा पठार है, जिसके कारण फ्लाइट्स को इस क्षेत्र को ऊपर से नहीं उड़ाया जाता है. मगर सवाल ये उठता है कि पठार या पहाड़ होने के कारण फ्लाइट्स पर क्या असर पड़ता है? पायलेट्स को यहां प्लेन उड़ाने में डर क्यों लगता है?
तिब्बत को दुनिया की छत कहा जाता है. तिब्बती पठार मध्य एशिया में एक विशाल, ऊंचा क्षेत्र है. यह लगभग 2.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैला है और इसकी ऊंचाई औसतन 4,500 मीटर (14,764 फीट) से अधिक है. यहां कई ऊंचे पहाड़ हैं. दुनिया की दो सबसे ऊंची चोटियां माउंट एवरेस्ट और के-2 (K2) यहीं स्थित हैं. यह अनूठी भौगोलिक विशेषता कई चुनौतियां पेश करती है, जिससे कॉमर्शियल प्लेन के लिए उड़ान भरना कठिन हो जाता है. अगर किसी कारण प्लेन का मुख्य इंजन फेल होता है, तो उसे दूसरे इंजन के सहारे उड़ाया जाता है. लेकिन दूसरे इंजन के सहारे प्लेन अधिक ऊंचाई पर नहीं उड़ सकता है. ऐसे में उसे काफी नीचे उड़ना पड़ेगा और वो किसी भी पहाड़ से टकरा सकता है.
तिब्बती पठार की औसत ऊंचाई काफी ज्यादा है. इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की भी कमी रहती है. ऑक्सीजन कम होने पर इंजन को भी और पॉवर की जरूरत होती है. जिससे ईंधन की खपत बढ़ जाती है. इसके अलावा जब आसमान में हवा का पैटर्न बदलता है, तब दबाव कम या ज्यादा होता है, तो उसे टर्ब्यूलेंस कहते हैं. टर्ब्यूलेंस के कारण फ्लाइट अक्सर आसमान में हिलने लगती है. मगर पायलट अपने कॉकपिट में बैठे-बैठे टर्ब्यूलेंस को पहचान सकते हैं. जिसके बाद वो खुद फ्लाइट को कंट्रोल कर सकते हैं. लेकिन तिब्बत के क्षेत्र में ऐसा संभव नहीं है. यहां क्लीन एयर टर्ब्यूलेंस होता है, जो पायलट को पहले से समझ नहीं आता है. इसके अलावा तिब्बत क्षेत्र में पायलट के पास इमरजेंसी लैंडिंग का ऑप्शन नहीं होता है.एक अन्य महत्वपूर्ण कारक तिब्बत का मौसम है. तिब्बती पठार अपने कठोर और अप्रत्याशित मौसम के लिए जाना जाता है. तेज हवाएं और मौसम में अचानक बदलाव फ्लाइट के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं. इस इलाके में भयंकर तूफान का भी खतरा बना रहता है. जो प्लेन उड़ाने के लिए खतरनाक हो सकता है. मौसम की ये स्थितियां पायलटों के लिए ठीक तरीके से नेविगेट करना भी मुश्किल कर सकती हैं. इन सब वजहों से एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है. ऐसे ऊंचे भूभाग पर उड़ान भरने से आपातकालीन स्थिति में गलती की बहुत कम गुंजाइश बचती है.



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