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विश्व ओजोन दिवस विशेष-धरती की नीली छतरी ओजोन को शुक्रिया कहने का दिन : डॉ. सुशील द्विवेदी



डॉ. सुशील द्विवेदी, 16 सेप्टेंबर 024 । ओजोन आक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक गैस है यह पृथ्वी की अजीब गैस कही जा सकती है. एक तरफ पृथ्वी के वायुमंडल मैं 10 से 40 किलोमीटर ऊपर समताप मंडल में ओजोन गैस ओज़ोन परत के रूप मैं धरती पर जीवन की रक्षक की भूमिका निभाती है इसे स्ट्रैटोस्फेरिक ओज़ोन या अच्छी ओज़ोन के रूप में जाना जाता है तो दूसरी तरफ यही ओजोन गैस वायुमंडल की सबसे निचली परत ट्रोपोस्फीयर ( क्षोभमंडल) मैं ट्रोपोस्फेरिक (या ज़मीनी स्तर) ओज़ोन या खराब ओज़ोन की भूमिका अपना लेती है. पर क्या आप जानते हैं कि हमारे जीवन की रक्षा करने वाली ओजोन लेयर अब खुद खतरे में है. ओजोन परत पर पहले से ही छेद हो गए हैं जिन्हें ओजोन होल्स कहा जाता है. इन ओजोन होल्स का पहली बार पता सन 1985 में चला था. 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस मनाया जाता है. पृथ्वी की सतह से करीब 40 किलोमीटर की ऊंचाई पर ओजोन गैस की एक पतली परत पाई जाती है. इसे ही ओजोन लेयर या ओजोन परत कहते हैं. ओजोन की ये परत सूर्य से आने वाली अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन को सोख लेती है. ये रेडिएशन अगर धरती तक बिना किसी परत के सीधी पहुंच पहुंच जाए तो ये मनुष्य के साथ पेड़-पौधों और जानवरों के लिए भी बेहद खतरनाक को सकती है मौजूदा समय में कई तरह के केमिकल ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिससे ओजोन की परत और पतली पतली होकर फैलने का खतरा बढता जा रहा है

ओजोन क्षयकारी पदार्थ

पृथ्वी की सतह से 10 किमी और 40 किमी के बीच समताप मंडल में ओजोन परत मौजूद है और यह हमें सूर्य के अल्ट्रा वायलेट विकिरण से बचाती है। समताप मंडल में बनने वाले इस ओजोन को स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन या अच्छा ओजोन कहा जाता है। ओजोन परत के बिना, सूर्य से विकिरण सीधे पृथ्वी पर पहुंच जाएगा, जिससे मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, यानी, आंखों का मोतियाबिंद, त्वचा कैंसर, आदि हो सकता है। इससे कृषि, वानिकी और समुद्री जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। क्लोरीन और ब्रोमीन युक्त मानव निर्मित रसायन समताप मंडल में पहुंचते हैं और उत्प्रेरक प्रतिक्रियाओं की एक जटिल श्रृंखला से गुजरते हैं, जिससे ओजोन का विनाश होता है। इन रसायनों को ओजोन क्षयकारी पदार्थ कहा जाता है।

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एक क्लोरीन परमाणु ओजोन के एक लाख अणुओं को तोड़ता है

सीएफसी को 1930 के दशक में रेफ्रिजरेटर के लिए सस्ते, गैर-ज्वलनशील शीतलक के रूप में थॉमस मिजले द्वारा खोजा गया था। उनका उपयोग रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनिंग, फास्ट फूड पैकेजिंग और प्रोपेलेंट में किया गया है। सीएफसी बहुत स्थिर हैं, वे धीरे-धीरे क्षय करते हैं और एक सदी तक वातावरण में रहते हैं।सीएफसी बढ़ता है और धीरे-धीरे स्ट्रैटोस्फियर में जमा होता है जहां वे सूरज की पराबैंगनी प्रकाश से टूट जाते हैं, इसलिए क्लोरीन परमाणुओं को छोड़ते हैं। क्लोरीन ओजोन पर हमला करता है, एक क्लोरीन परमाणु 100,000 ओजोन अणुओं को नष्ट करने में मदद कर सकता है। साथ ही एकमात्र क्लोरीन परमाणु दो साल तक ओजोन को लगातार नष्ट कर सकता है

विश्व ओजोन दिवस 2024 की थीम

विश्व ओजोन दिवस 2024 का मूल विषय है “मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाना” जो ओजोन परत की रक्षा करने और वैश्विक स्तर पर व्यापक जलवायु के अनुकूल कार्रवाई से जुड़ी पहलों को आगे बढ़ाने में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। विश्व ओजोन दिवस हमें याद दिलाता है कि ओजोन परत पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसे बचाने के लिए सतत जलवायु के अनुकूल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देता है।

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, ओज़ोन परत को क्षीण करने वाले पदार्थों के बारे में (ओज़ोन परत के संरक्षण के लिए वियना सम्मलेन में पारित प्रोटोकॉल) अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो ओज़ोन परत को संरक्षित करने के लिए, चरणबद्ध तरीके से उन पदार्थों का उत्सर्जन रोकने के लिए बनाई गई है, जिन्हें ओज़ोन परत को क्षीण करने के लिए उत्तरदायी माना जाता है। इस संधि को हस्ताक्षर के लिए 16 सितंबर 1987 को खोला गया था और यह 1 जनवरी 1989 में प्रभावी हुई, इस संधि को हस्ताक्षर के लिए 16 सितंबर 1987 को खोला गया था और यह 1 जनवरी 1989 में प्रभावी हुई, जिसके बाद इसकी पहली बैठक मई, 1989 में हेलसिंकी में हुई. तब से, इसमें आठ संशोधन हुए हैं, 1990 में लंदन 1991 नैरोबी 1992 कोपेनहेगन 1993 बैंकाक 1995 वियना 1997 मॉन्ट्रियल और 1999 बीजिंगमें. आठवां संशोधन कीगाली समझौता 2019 है

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क्या है किगाली संशोधन

ओजोन क्षयकारी पदार्थों के चरणबद्ध तरीके से बाहर निकलने से हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) का विकास हुआ, जिसका उपयोग विशेष रूप से प्रशीतन और एयर कंडीशनिंग क्षेत्र में ओडीएस के विकल्प के रूप में किया जाता है। हालांकि एचएफसी ओजोन परत को कम नहीं करते हैं, लेकिन इनकी उच्च ग्लोबल वार्मिंग क्षमता 12 से 14000 तक है, जिसका जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वर्ष 2016 के दौरान मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत नियंत्रित पदार्थों की सूची में एचएफसी को जोड़ने के निर्णय के कारण किगाली संशोधन हुआ, जिसके तहत सभी पक्ष एचएफसी की खपत और उत्पादन को धीरे-धीरे कम करेंगे। किगाली संशोधन के अनुसार, भारत 2032 से 4 चरणों में नियंत्रित उपयोगों के लिए एचएफसी के उत्पादन और खपत को कम करेगा। इसके तहत, 2032 में 10 प्रतिशत, 2037 में 20 प्रतिशत, 2042 में 30 प्रतिशत और 2047 में 85 प्रतिशत की संचयी कमी होगी। ऐसा माना जाता है कि अगर अंतर्राष्ट्रीय समझौते का पूरी तरह से पालन हो तो,2050 तक ओज़ोन परत ठीक होने की उम्मीद है भारत ने सितंबर 2021 में किगाली संशोधन को अनुमोदित किया।

मिशन लाइफ और ओजोन परत संरक्षण

मिशन लाइफ एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन-शैली को बढ़ावा देना है। इस मिशन में सभी नागरिकों को अपने दैनिक जीवन में सरल और प्रभावी पर्यावरण-अनुकूल कार्यों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।मिशन लाइफ के सात प्रमुख विषय हैं। जल संरक्षण में पानी की बचत के उपाय अपनाना, ऊर्जा संरक्षण में ऊर्जा की खपत को कम करना, कचरा प्रबंधन में कचरे को कम करना और र‍िसायकल को बढ़ावा देना, ई-वेस्ट प्रबंधन में ई-वेस्ट का सही तरीके से निपटान करना, सिंगल-यूज़ प्लास्टिक का उपयोग बंद करना, प्लास्टिक के उपयोग को कम करना, स्वस्थ्य एवं सतत खाद्य प्रणाली को प्रोत्साहन देने स्वस्थ और पर्यावरण-अनुकूल खाद्य प्रणाली अपनाना, स्वस्थ जीवन-शैली अपनाने के लिए स्वस्थ जीवन-शैली को बढ़ावा देना शामिल है। मिशन की योजना व्यक्तियों का एक वैश्विक नैटवर्क बनाने की है, जिसका नाम ‘प्रो-प्लैनेट पीपुल’ (पी 3) है, जो पर्यावरण-अनुकूल जीवन शैली को अपनाने और बढ़ावा देने के लिये, एक साझा प्रतिबद्धता होगी. मिशन – पी3 समुदाय के माध्यम से एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करेगा, जिससे पर्यावरण के अनुकूल व टिकाऊ व्यवहार सुदृढ़ हों. साथ ही साथ ओजोन परत की रक्षा के लिए सरकारों और उद्योगों को सीएफसी और अन्य ओजोन-हानिकारक रसायनों के उत्पादन और उपयोग को कम करना चाहिए। इसके लिए मोन्ट्रियल प्रोटोकॉल जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों का पालन करना आवश्यक है।ऊर्जा उत्पादन, रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग जैसे क्षेत्रों में ऐसी प्रौद्योगिकियों का विकास और उपयोग करना चाहिए जो ओजोन परत को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।लोगों को ओजोन परत के महत्व और इसे बचाने के तरीकों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। शिक्षा और सार्वजनिक अभियान इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते हैं, जिससे ओजोन परत की रक्षा होती है। भारत के द्वारा मिशन लाइफ के अंतर्गत एक पेड़ मां के नाम जैसे अभियान को पूरी दुनिया को प्रभावी ढंग से अपनाने की जरूरत है। विश्व ओजोन दिवस हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी पर जीवन के लिए ओजोन काफी महत्वपूर्ण है, लिहाजा, हमें न सिर्फ अपने लिए बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी ओजोन परत की रक्षा करना जारी रखना चाहिए।

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डॉ सुशील द्विवेदी
भारतीय राजदूतावास केन्द्रीय विद्यालय काठमांडू नेपाल मैं कार्यरत हैं

लेखक विज्ञान व पर्यावरण के जानकर तथा तथा वर्तमान मैं भारत सरकार के शैक्षिक मिशन के अंतर्गत भारतीय राजदूतावास केन्द्रीय विद्यालय काठमांडू नेपाल मैं कार्यरत हैं



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