आज अक्षय नवमी पर कई वर्षों बाद बन रहा अद्भुत संयोग !
*आज अक्षय नवमी पर कई वर्षों बाद बन रहा अद्भुत संयोग!*

धार्मिक मान्यता के अनुसार आज के दिन से सतयुग का आरंभ हुआ था। और लोगों में सत्य के प्रति विशेष ही समर्पण आरंभ हो गया था। आज प्रातः स्नान पूर्वक आंवले वृक्ष का पूजन कर उसके पास भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करने से साधक की सभी तरह की मनोकामना पूरी होती है। इस वर्ष अक्षय नवमी पर कई वर्षों बाद अद्भुत योग का निर्माण हो रहा है।
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष की अक्षय नवमी आज रविवार को मनाई जाएगी। चुकी अक्षय नवमी में रविवार का दोष नहीं लगता, इस वर्ष का गोधन पूजा एवं भैया दूज भी रविवार के दिन होने से भी रविवार का दोष नष्ट हो गया है। कई जगहों पर इसे आवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय नवमी का पर्व भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करने से साधक की सभी मनोकामना पूरी होती है।
अक्षय नवमी तिथि की शुरुआत 9 नवंबर शनिवार को रात्रि 6:31 पर शुभारंभ हो गया है। जिसका समापन आज शाम के 4:44 पर होगा।
अक्षय नवमी के रात्रि में ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस वजह से अक्षय नवमी पर संध्या काल में भी पूजा आराधना की जाएगी। ध्रुव योग के निर्माण में विधि विधान पूर्वक अगर भगवान विष्णु माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाए तो जातक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं अक्षय नवमी पर तैतिल और कौलव करण का भी निर्माण हो रहा है। यह दोनों ही शुभ योग माने जाते हैं। इन दोनों योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से कई गुना की फल की प्राप्ति भी होती है।
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनाई जाती है. माना जाता है कि इस दिन से ही द्वापर युग की शुरूआत हुई थी, श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध भी इसी दिन किया था और धर्म की स्थापना की थी। इस चलते अक्षय नवमी मनाई जाती है. इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन पूजा अर्चना, तर्पण करने और अन्न, ऊनी वस्त्र, कंबल, गौ और कुष्मांड आदि का दान करने से अंनत फल की प्राप्ति होती है। इस दिन कई रवि योग, शनि शश योग, जयद योग और ध्रुव जैसे महायोग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व भी बढ़ गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं इसलिए इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा किया जाता है।
*अक्षय नवमी की पूजा विधि और महत्व…*
अक्षय नवमी का शास्त्रों व पुराणों में वही महत्व बताया गया है, जो वैशाख मास की अक्षय तृतीया का है। इस दिन की गई पूजा और दान अक्षय हो जाता है, इसलिए इसका नाम अक्षय नवमी कहा जाता है। यदि इस दिन भूमि, सोना, वस्त्र-आभूषणों का दान किया जाए तो भाग्य के अनुसार इन्द्रपद, शूरवीर पद या राजपद की प्राप्ति होती है तथा ब्रह्म-हत्या जैसे महान पाप भी नष्ट हो जाते हैं। अक्षय नवमी की तिथि को आंवला नवमी, धात्री नवमी और कुष्मांडानवमी के नाम से भी जाना जाता है।
अक्षय नवमी शुभ योग
अक्षय नवमी के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन रवियोग एवं जयद योग बन रहा है, साथ ही ध्रुव योग भी बन रहा है। तुला राशि में सूर्य, कर्क राशि में मंगल और वृश्चिक राशि में बुध के होने से शुभग्रही योग बन रहा है। वहीं चंद्रमा, शनि राशि कुंभ में होने शनि शश योग भी बन रहा है।
आंवला नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि का प्रारंभ – 9 नवंबर शनिवार को रात्रि 6 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर
नवमी तिथि का समापन – 10 नवंबर रविवार को सायं 4 बजकर 44 मिनट तक है।
आंवला नवमी पूजा शुभ मुहूर्त – सुबह 6 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक है।
अक्षय नवमी पूजा विधि और मंत्र
अक्षय नवमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद आंवला के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठकर
‘ॐ धात्र्यै नम:’ इस मंत्र से को बोलते हुवे षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करें।
इसके बाद
*’पिता पितामहाश्चान्ये, अपुत्रा ये च गोत्रिण:।*
*ते पिबन्तु मया दत्तं, धात्रिमूलेक्षयं पय:।।* *आब्रह्मस्तम्बपर्यतं, देवर्षिपितृमानवा:।*
*ते पिबन्तु मया दतं, धात्रिमूलेक्षयं पय:।।’*
इस मंत्र का जप करते हुए आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा अर्पित करें। इसके बाद
‘ॐ दामोदरानिवासयै धात्र्यै देव्यै नमो नम:’
मंत्र का जप करते हुए वृक्ष को सात बार सूत लपेटें।
इसके बाद कपूर या देसी घी के दीपक से आरती करें।
आरती के बाद
*यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।*
*तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे-पदे।।*
इस मंत्र का जप करते हुए 11 बार परिक्रमा करें। इसके बाद दान दक्षिणा करें और भगवान से प्रार्थना करें।
अक्षय नवमी के व्रत पुण्य से सभी भक्तों पर श्री हरि कृपा बनी रहे।
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आज अक्षय नवमी,
आंवला नवमी के दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप एवं अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना विशेष फलदायी माना गया है। इस मंत्र का जाप करते हुए आंवला वृक्ष की परिक्रमा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है।
धार्मिक कथा के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी धरती पर निवास करने के लिए आईं। इस दौरान लक्ष्मी जी को भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करनी की इच्छा हुई। लेकिन दोनों की एक साथ पूजा करने के लिए उनको कोई उचित उपाय नहीं सूझ रहा था। क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय मानी जाती है तो शंकरजी को बेलपत्र पसंद है। ऐसे में मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर अक्षय नवमी तिथि पर आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णुजी और शिवजी प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर भगवान विष्णु और शिव को भोजन कराया। इसके बाद स्वयं भोजन किया। इस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी थी, तभी से आंवला पूजन की शुरुआत हुई।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन आंवले के वृक्ष की आराधना करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु, शिव जी और माता लक्ष्मी तीनों का वास रहता है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे खाना पका कर सबसे पहले भगवान विष्णु, भगवान शिव और मां लक्ष्मी को भोग लगाना चाहिए, इस भोग में आंवले का फल जरूर शामिल करें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और श्रद्धा अनुसार उनको दान दें। मान्यता है कि ऐसा करने से धन-सम्पदा और सुख-शांति बढ़ती है। इसके बाद खुद भोजन करें और आंवले का सेवन करें।
*शास्त्र संग्रह*
*आपका साथ, आपका विकाश, एवं आपके कुशलता के कामना में , सदैव तत्पर आपका…*
*हरि ॐ गुरुदेव..!*

*आचार्य राधाकान्त शास्त्री*
कार्यालय
*शुभम बिहार यज्ञ ज्योतिष आश्रम*
*राजिस्टार कालोनी, पश्चिम करगहिया रोड, वार्ड:- 2, नजदीक कालीबाग OP थाना, बेतिया पश्चिम चम्पारण, बिहार, 845449,*
*सहायक शिक्षक:- राजकीयकृत युगल प्रसाद +2 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भैसही, चनपटिया,बेतिया बिहार*
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