एमाले अध्यक्ष ओली के पुतला पर चप्पल—जूत्ता प्रहार और थू..थू..
कैलास दास,जनकपुर, पुस २४ । नेकपा एमाले के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने बुधवार प्रधानमन्त्री निवास मेंं मधेशी समूदाय को अपमानित होनेवाला दिये अभिव्यक्ति के विरोध में आम मधेशी समुदाय सडक पर उतर चुका है ।
अध्यक्ष ओली की अभिव्यक्ति के विरोध में बुधवार तीस दलीय गठबन्धन दलो ने पुतला दहन कार्यक्रम रखा था जिनमे आम मधेशी ने ओली के पुतला पर चप्पल—जुत्ता तो प्रहर किया ही उसके साथ थू..थू. भी कीया है ।
जनक चौक में कडा सुरक्षा के बीच ओली का पुत्ला दहन करते वक्त एक महिला ने आक्रोशित होकर सैकडौ चप्पल प्रहर की तो प्रशासन तथा आम जनता देखते रह गये । दिन के ३ बजे मुरली चौक से निकला ३० दलीय गठबन्धन मोर्चा का जुलुस नगर को परिक्रमा करते हुए जनक चौक पर ओली का पुतला दहन किया था ।
सद्भावना के अध्यक्ष राजेन्द्र महतो ने मधेश के दृष्टिकोण बारे में अपना अभिव्यक्ति रखने के पश्चात् अध्यक्ष ओली ने कहा कि अगर मधेशी को समतल तराई ही चाहिए तो भारत के बिहार और युपी को भी मधेश प्रदेश बना ले । उसी के विरोध में जनकपुर सहित मधेश के सभी जिलों में ओली को पुतला दहन किया गया है ।
पुतला दहन कार्यक्रम में सहभागीयों ने कडा शब्द में विरोध करते हुए कहा कि ओली का यह अभिव्यक्ति राष्ट्र विखण्डकारी है । यह मधेश का अपमान ही नही देश का भी अपमान है । गृह मन्त्री उन्हे शीघ्र गिरफ्तार कर कडा से कडा सजाय दे । स्वतन्त्र मधेश के वकालत करने वाला डा. सिके राउत उपर कार्रवाई की जा रही है तो देश को अपमानित करने वाले ओली पर क्यों नही चाहिए ।
वैसे एमाले अध्यक्ष केपी शर्मा ओली को मधेश प्रति पहले से ही नाकारात्मक धारणा था लेकिन बुधवार की अभिव्यक्ति ने यह स्पष्ट कर दीया है कि एमाले मधेश के सबसे बडा विरोधी पार्टी है । समय में संविधान निर्माण नही हो इस वास्ते भी एमाले अध्यक्ष ओली मधेश में यह अभिव्यक्ति देकर द्वन्द सृजना करना चाहते है ।
३० दलीय नेता ने गृहमन्त्री से ओली उपर कार्रवाई की माँग की है । जब तक ओली मधेशी नेता और जनता से माफी नही माँगेगे तब तक काँग्रेस एमाले के साथ किसी प्रकार के समन्व्य नही किया जाऐगा आव्हान भी की है ।
कार्यक्रम में एमाओवादी नेता रामचन्द्र मण्डल, सद्भावना नेता जगदिश महासेठ, डा. रामचन्द्र चौधरी, तमलोपा का सदाशिव मिश्र, युवा नेता सुशिल सिंह मधेशी, विद्यार्थी नेता ज्ञानेन्द्र झा ज्ञानु सहितका वक्ताओं ने केपी ओली के बोली उपर कडा प्रतिवाद किया था ।