पूर्व वित्त सचिवों द्वारा अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए ‘साहसिक’ कदम उठाने का सुझाव

वित्त मंत्रालय ने पूर्व वित्त सचिवों के साथ आर्थिक सुधारों पर चर्चा की है। पूर्व वित्त सचिवों ने अर्थव्यवस्था में और सुधार लाने के लिए ‘साहसिक’ कदम उठाने का सुझाव दिया है।
वित्त मंत्रालय में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने सुझाव दिया कि अनुत्पादक परियोजनाओं में निर्मम कटौती की जानी चाहिए, बड़े पैमाने की परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, राजकोषीय संघवाद को प्रभावी बनाया जाना चाहिए, पूंजीगत व्यय के लिए संबंधित मंत्रालयों और विभागों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए तथा संघीय, प्रांतीय और स्थानीय स्तरों के बीच समन्वय बढ़ाया जाना चाहिए।
इसी प्रकार, उन्होंने चालू व्यय में मितव्ययिता अपनाने, आंतरिक संसाधनों को बढ़ाने, राष्ट्रीय गौरव की परियोजनाओं पर व्यय को अधिक प्रभावी बनाने तथा अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को न्यूनतम करने का सुझाव दिया है।
पूर्व वित्त सचिवों ने बीमा, सहकारिता, पूंजी बाजार और निगमों को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता पर बल दिया है। उनका कहना है कि धन शोधन एवं जांच विभाग को वित्त मंत्रालय के अधीन लाया जाना चाहिए।
पूर्व सचिवों ने यह भी सुझाव दिया कि विदेशी सहायता को सहायता और ऋण के बजाय निवेश पर केंद्रित किया जाना चाहिए, जलवायु वित्त पर जोर दिया जाना चाहिए, तथा ऐसा बजट लाया जाना चाहिए जो तथ्यात्मक और कार्यान्वयन योग्य हो।
उन्होंने वित्त मंत्रालय को सामाजिक सुरक्षा की समीक्षा और एकीकरण, अध्ययनों के आधार पर बीमार उद्योगों को समाप्त करने, कर छूट पर विचार करने, राजस्व जुटाने के क्षेत्र में अतिरिक्त विकल्प तलाशने, बाजार में तरलता बढ़ाने तथा उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने का सुझाव भी दिया है जहां राज्य की दीर्घकालिक देनदारियां हैं।
इसी प्रकार, उन्होंने वैकल्पिक वित्तीय प्रबंधन को प्राथमिकता देने, राजस्व लक्ष्यों को महत्वाकांक्षी के बजाय यथार्थवादी रखने, पूंजीगत व्यय बढ़ाने, राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति में समन्वय करने, तथ्यों के आधार पर नीतियां और बजट तैयार करने, मौजूदा कानूनों और विनियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने, नीति स्थिरता बनाए रखने और सेवा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया।
पूर्व वित्त सचिवों ने भी निजी क्षेत्र के लिए कारोबारी माहौल को आसान बनाने के लिए सुधार का सुझाव दिया है। पूर्व मुख्य सचिव एवं पूर्व वित्त सचिव डॉ. बिमल कोइराला, पूर्व वित्त सचिव रामेश्वर खनाल, भानुआचार्य, कृष्णहरि बाँस्कोटा , सुमन शर्मा, डॉ. राजन खनाल, शिशिर ढुंगाना, मधु मरासिनी और पूर्व राजस्व सचिव लाल शंकर घिमिरे और राम शरण पुडासैनी उपस्थित थे।
वित्त सचिव घनश्याम उपाध्याय और राजस्व सचिव दिनेश कुमार घिमिरे ने कहा कि वे पूर्व सचिवों से प्राप्त सुझावों पर विचार करके आगे बढ़ेंगे।