जलवायु परिवर्तन पर सामूहिक कार्रवाई पर जोर -अर्जु राणा की भारत यात्रा

काठमांडू, 18 मार्च 2025 ।नेपाल की विदेश मंत्री डॉ. अर्जु राणा देउबा ने हाल ही में भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग 2025 में जलवायु परिवर्तन पर एक सत्र को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा किया गया था। अपने संबोधन में डॉ. राणा ने जलवायु परिवर्तन के विकासशील देशों पर गंभीर प्रभावों को रेखांकित करते हुए इसके निवारण के लिए सामूहिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
नेपाल की जलवायु संकट में स्थिति
डॉ. राणा ने नेपाल की भौगोलिक स्थिति और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि नेपाल इस संकट की अग्रिम पंक्ति में खड़ा है। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन का असर केवल पर्वतीय क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे विश्व को प्रभावित कर रहा है। नेपाल वैश्विक मंचों पर जलवायु न्याय की वकालत करता रहा है और इसके लिए एकजुट प्रयासों की मांग करता है।
जलवायु मुआवजे की मांग
विदेश मंत्री ने जलवायु मुआवजे की नेपाल की मांग को दोहराया और जलवायु वित्तपोषण तंत्रों पर व्यापक चर्चा की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पिछले साल सितंबर में नेपाल में हुई भारी बारिश का उदाहरण देते हुए कहा कि इस आपदा में 250 से अधिक लोगों की जान गई और लगभग 45 अरब रुपये का नुकसान हुआ। इस तबाही ने पेयजल, सड़क, ऊर्जा, सिंचाई और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
जलवायु वित्तपोषण के लिए नया दृष्टिकोण
डॉ. राणा ने जलवायु वित्तपोषण के लिए एक नए दृष्टिकोण की वकालत की। उन्होंने कहा, “विश्व एक नई दिशा में बढ़ रहा है। पारंपरिक सहायता अब पर्याप्त नहीं है। अब समय आ गया है कि हम वैकल्पिक वित्तपोषण रणनीतियों पर विचार करें, जिसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी भी शामिल हो।” उन्होंने नेपाल जैसे जलवायु के प्रति अति संवेदनशील देशों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग भी उठाई।
तकनीकी सहायता की जरूरत
इसके अलावा, विदेश मंत्री ने तकनीकी सहायता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, खासकर वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन के लिए बेहतर प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को विकसित करने में। उन्होंने कहा कि इससे नेपाल की आपदा तैयारियों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
वैश्विक सहयोग का आह्वान
डॉ. अर्जु राणा ने अपने संबोधन में जलवायु परिवर्तन को एक वैश्विक चुनौती बताते हुए सभी देशों से इसके खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। उनकी यह यात्रा और विचार न केवल नेपाल की चिंताओं को वैश्विक मंच पर लाने में सफल रहे, बल्कि भारत और नेपाल के बीच जलवायु परिवर्तन जैसे साझा मुद्दों पर सहयोग को भी मजबूत करने का संकेत देते हैं।
यह सत्र रायसीना डायलॉग 2025 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जो वैश्विक नेताओं और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाता है ताकि समकालीन चुनौतियों पर विचार-मंथन किया जा सके।