क्रिकेट, संघर्ष और किस्सेः अमरनाथ बंधुओं की अनसुनी दास्तान
हिमालिनी, अंक फरवरी 025न। (क्लाक्र्स आमेर होटल, जयपुर से हिमालिनी पत्रिका के ब्यूरो एस.एस.डोगरा की फीचर रिपोर्ट)
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के सत्र “फीयरलेसः ब्रेकिंग थ्ररु दी बाउंड्री लाइन” में क्रिकेट जगत के दो बड़े नाम, राजिंदर अमरनाथ और मोहिंदर अमरनाथ, ने अपने जीवन और क्रिकेट से जुड़े रोचक किस्से साझा किए । राजिंदर अमरनाथ ने अपने पिता लाला अमरनाथ पर लिखी किताब के बाद अब अपने भाई मोहिंदर अमरनाथ पर भी एक पुस्तक लिखी है । इस दौरान उन्होंने कहा, “पिता पर लिखना आसान था, लेकिन जिस भाई के साथ बचपन बिताया हो, झगड़े हुए हों, और जिसने कई बार आपकी वजह से डांट भी खाई हो, उस पर लिखना कहीं ज्यादा मुश्किल होता है ।”
उन्होंने याद करते हुए बताया कि उनके भाई मोहिंदर को फिल्मों का बेहद शौक था, लेकिन उनके पिता को फिल्मों से सख्त नफरत थी । यदि मोहिंदर क्रिकेटर न बने होते, तो शायद फिल्मों में होते और भारत १९८३ का विश्व कप भी नहीं जीत पाता ।
“यह मोहब्बतों का शहर है, जनाब !”
मोहिंदर अमरनाथ ने जयपुर के प्रति अपना स्नेह व्यक्त करते हुए कहा, “यह मोहब्बतों का शहर है, जनाब ! यहां सवेरा सूरज से नहीं, आपके दीदार से होता है ।”
उन्होंने बताया कि उनके भाई ने उन्हें क्रिकेटर बनाया, तो उन्होंने भाई से कहा—“अब किताब भी तुम ही लिखो !” इस किताब को लिखने में तीन साल लगे, जिसमें उनके क्रिकेट सफर और जीवन के अनछुए पहलुओं को समेटा गया है ।
“संघर्ष से बनती है पहचान”
मोहिंदर अमरनाथ ने अपने पिता के अनुशासन और सिखाए गए सबक को याद करते हुए कहा कि उन्होंने चोट लगने पर डरना नहीं, बल्कि संघर्ष करना सिखाया ।
“हमारे पिता कहते थे कि मैंने पहले क्रिकेट से शादी की, फिर तुम्हारी मां से । क्रिकेट उनके लिए जुनून था, एक चैलेंज था, जो हमें हर मुश्किल से जूझने की प्रेरणा देता था ।”
उन्होंने उस दौर के पाकिस्तान दौरे का एक दिलचस्प किस्सा साझा किया, जब टीम को सलाह दी गई थी कि वहां शराब नहीं मिलेगी, इसलिए अतिरिक्त वाइन की बोतल साथ रख लें । लेकिन कराची पहुंचने पर हालात कुछ और ही थे ।
“जब वहां गए तो देखा कि पाकिस्तान में तो शराब की नदियां बह रही थीं । एक बार भारतीय और पाकिस्तानी खिलाड़ी साथ में पार्टी कर रहे थे, तभी कुछ पाकिस्तानी सैनिक ब्प्–४७ लेकर धमक पड़े और हमें जेल में डालने की धमकी दी । हालांकि, मामला जल्द ही सुलझ गया ।”
“चयनकर्ताओं में नहीं है निर्णय लेने की हिम्मत”
पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ ने भारतीय चयनकर्ताओं की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए । जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में उन्होंने कहा, “अगर आप चयन समिति के अध्यक्ष हैं, तो आपको मजबूत होना चाहिए और भविष्य को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए ।” ७४ वर्षीय १९८३ विश्व कप विजेता ने चयन प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत बताई । उन्होंने कहा कि पांच सदस्यीय चयन समिति की जगह तीन सदस्यीय समिति होनी चाहिए, जहां पूर्व खिलाड़ी ही चयनकर्ता बनें ।
“फस्र्ट क्लास क्रिकेट खेलना अनिवार्य होना चाहिए”
अमरनाथ ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय क्रिकेट प्रणाली में बदलाव की जरूरत है ।
“यदि कोई खिलाड़ी अपने राज्य या क्लब का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता, तो उसे देश के लिए खेलने का मौका नहीं मिलना चाहिए । क्रिकेट में प्रदर्शन ही आपका टिकट होना चाहिए, न कि सिर्फ नाम ।”
“टी२० सिर्फ मनोरंजन है”
टी२० क्रिकेट पर अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने इसे केवल मनोरंजन का माध्यम बताया ।
“टी२० क्रिकेट से विश्व स्तरीय खिलाड़ी नहीं बनते । यह सिर्फ दर्शकों का मनोरंजन करता है, लेकिन असली क्रिकेट टेस्ट और वनडे में ही दिखता है ।”
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का यह सत्र न केवल क्रिकेट प्रेमियों के लिए खास रहा, बल्कि इसमें अमरनाथ बंधुओं के संघर्ष, अनुभव और क्रिकेट से जुड़ी अनसुनी कहानियों ने सभी को प्रभावित किया । इस विशेष सत्र को प्रसिद्ध खेल पत्रकार अमृत माथुर ने बड़े ही रोचक ढंग से मॉडरेट किया ।