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रेमिटेंस में गजब का रिकॉर्ड, एक महीने में आया डेढ़ खरब रुपए

चैत्र २८, २०८१, काठमांडू । विदेश में काम कर रहे नेपाली कामदारों द्वारा भेजी गई रकम (रेमिटेंस) में इस वर्ष एक नया कीर्तिमान कायम हुआ है। चालू आर्थिक वर्ष के आठ महीनों में नेपाल ने रेमिटेंस के माध्यम से कुल १० खरब ५१ अर्ब ७७ करोड (करीब १०५१ अरब) रुपए प्राप्त किए हैं, जो कि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में ९.४ प्रतिशत की वृद्धि है।

कांतिपुर से साभार

नेपाल राष्ट्र बैंक द्वारा प्रकाशित मासिक रिपोर्ट के अनुसार केवल फाल्गुन महीने में ही १ खरब ५१ अर्ब २० करोड रुपए का रेमिटेंस आया, जो अब तक का सबसे अधिक मासिक रेमिटेंस है। इससे पहले असोज महीने में १ खरब ४४ अर्ब रुपए का रेमिटेंस प्राप्त हुआ था।

रेमिटेंस में इस वृद्धि का एक मुख्य कारण विदेश जाने वाले कामदारों की संख्या में वृद्धि है। आठ महीनों में ३ लाख १७ हजार से अधिक नेपाली नागरिकों ने नए श्रम स्वीकृति प्राप्त किए, जबकि २ लाख १७ हजार से अधिक ने पुनः श्रम स्वीकृति लिया।

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अंतिम एक दशक के आँकड़ों से भी यह स्पष्ट है कि नेपाल में रेमिटेंस में हर साल वृद्धि हुई है। आर्थिक वर्ष २०७१/७२ में सवा ६ खरब रेमिटेंस प्राप्त हुआ था, जो २०७७/७८ तक बढ़कर ९ खरब ७१ अर्ब और फिर २०७८/७९ में १० खरब ७ अर्ब हो गया। २०८०/८१ में यह रकम बढ़कर १४ खरब ४५ अर्ब हो गई।

हालांकि रेमिटेंस की वृद्धि से देश का बाह्य क्षेत्र मज़बूत हुआ है, अर्थशास्त्री चेतावनी दे रहे हैं कि सिर्फ रेमिटेंस पर निर्भर रहना दीर्घकालिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है। राष्ट्र बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक नरबहादुर थापा के अनुसार, “रेमिटेंस बढ़ना नेपाली प्रयास का परिणाम नहीं, बल्कि विदेशी अर्थव्यवस्था की मजबूती का नतीजा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार खुद की नीतियों से अर्थव्यवस्था को सक्रिय नहीं बना रही है और केवल रेमिटेंस पर गर्व कर रही है, जबकि पूँजीगत खर्च और राजस्व संग्रहण में सुधार नहीं हो पाया है।

रिपोर्ट के अनुसार, चालू आर्थिक वर्ष के आठ महीनों में ३ खर्ब ६८ अर्ब रुपए की विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है, जिससे कुल विदेशी मुद्रा भंडार २४ खर्ब ९ अर्ब से अधिक हो चुका है। फाल्गुन मसान्त तक अमेरिकी डॉलर में यह राशि १७ अर्ब २७ करोड रही, जो कि पिछले असार की तुलना में १३.१ प्रतिशत अधिक है।

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इसके अलावा चालू खाता में १ खर्ब ८० अर्ब और शोधनान्तर स्थिति (भुक्तानी सन्तुलन) में ३ खर्ब १० अर्ब की बचत देखी गई है।

हालांकि, अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आवश्यक सरकारी खर्च नहीं हो रहा है। अभी तक मात्र ९७ अर्ब ८५ करोड का पूँजीगत खर्च हुआ है, जो कि लक्ष्य का सिर्फ २७.७७ प्रतिशत है। वहीं, राजस्व संग्रहण ७ खर्ब ९१ अर्ब हुआ है, जो वार्षिक लक्ष्य का ५५.७७ प्रतिशत है।

नरबहादुर थापा के अनुसार, सरकार ने करीब चार खर्ब रुपए राष्ट्र बैंक की तिजोरी में रख छोड़ा है और खर्च नहीं कर रही है। इसका असर यह हुआ है कि नागरिकों के हाथ में पैसा नहीं पहुंच रहा है और निजी क्षेत्र का निवेश भी सीमित है।

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राष्ट्र बैंक के अनुसंधान विभाग प्रमुख गुणाकर भट्ट का मानना है कि वर्तमान में बाहरी संकेतक मज़बूत हैं, मुद्रास्फीति और ब्याज दर कम है, और तरलता अधिक है, ऐसे में सरकार और निजी क्षेत्र को निवेश बढ़ाकर दीर्घकालिक आर्थिक विकास की नींव रखनी चाहिए।

फाल्गुन में औसत मूल्य वृद्धि दर ३.७५ प्रतिशत रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में कम है (४.८२ प्रतिशत)। खाद्य तथा पेय पदार्थों में कुछ वस्तुएँ जैसे घी, दाल, फलफूल में वृद्धि देखी गई, वहीं मसाला, सब्ज़ी और मांस की कीमतों में गिरावट आई।

गैर-खाद्य समूह में विविध वस्तुएँ, कपड़े, शराब, फर्नीचर, और यातायात सेवाओं की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।

निष्कर्षतः, भले ही रेमिटेंस और विदेशी मुद्रा भंडार में रिकॉर्ड वृद्धि हुई हो, लेकिन आंतरिक आर्थिक गतिविधियों की धीमी गति चिंता का विषय बनी हुई है।

यज्ञ बञ्जाडे की रिपोर्ट, कांतिपुर से साभार

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