आर्थिक सुधार पर उच्चस्तरीय आयोग की रिपोर्ट: किसानों और व्यवसायों के लिए बड़े सुझाव
काठमांडू, 13 अप्रैल 2025 — नेपाल सरकार को उच्चस्तरीय आर्थिक सुधार सुझाव आयोग ने एक विस्तृत प्रतिवेदन सौंपा है, जिसमें कृषि, उद्योग और विदेशी निवेश से जुड़े अहम सुधारों की सिफारिश की गई है। आयोग का नेतृत्व पूर्व अर्थ सचिव रामेश्वर खनाल ने किया।
प्रमुख सिफारिशें:
- कृषि क्षेत्र के लिए:
- किसानों को राज्य सुविधा परिचयपत्र प्रदान करने का सुझाव, जिससे अनुदान, खाद, बीज और कर्ज जैसी सुविधाएं मिल सकें।
- यह परिचयपत्र राष्ट्रीय परिचयपत्र से जोड़ा जाएगा, जिससे दोहराव से बचा जा सके।
- कृषि अनुदान एकद्वार प्रणाली से स्थानीय पालिका के माध्यम से वितरित करने की व्यवस्था।
- कृषक कल्याणकारी कोष की स्थापना संघ, प्रदेश और पालिका के सहयोग से।
- धान, मक्का, गेंहू, चाय और अलैंची जैसी प्रमुख फसलों के लिए बोवाई से कम से कम 15 दिन पहले समर्थन मूल्य तय करने की अनिवार्यता।
- एक चक्रवर्ती कोष बनाकर उसमें हर स्तर की सरकार से नियमित बजट आवंटन की व्यवस्था।
- कृषि बाजार नियमन कानून जारी करने और हर वर्ष पुँजीगत बजट का कम से कम 10% कृषि आधारभूत संरचना में खर्च करने की सिफारिश।
- व्यवसाय और उद्योग के लिए:
- सभी प्रकार के व्यवसायों (प्राइवेट फर्म, साझेदारी, कंपनी आदि) के लिए एकल दर्ता निकाय स्थापित करने की सिफारिश।
- निःशुल्क व्यवसाय पंजीकरण और नवीनीकरण की अनिवार्यता हटाने की सिफारिश।
- व्यवसाय पंजीकरण, आवश्यक दस्तावेजों की प्रक्रिया, आयकर स्थायी लेखा नंबर (PAN) को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की सुविधा।
- रेस्टोरेंट और पर्यटन से जुड़ी कंपनियों को 50% तक विदेशी निवेश की अनुमति देने की सिफारिश।
- कानूनी एवं संरचनात्मक सुधार:
- राजस्व अनुसन्धान विभाग और राजस्व चुहावट अधिनियम को समाप्त कर विदेशी मुद्रा दुरुपयोग की जाँच को सम्पत्ति शुद्धिकरण विभाग को सौंपने का सुझाव।
- कालाबाजारी तथा सामाजिक अपराध अधिनियम 2032 को समाप्त कर उपभोक्ता हित संरक्षण और प्रतिस्पर्धा को नया कानून बनाकर कवर करने का सुझाव।
- लाभ का अधिकतम प्रतिशत तय नहीं करने की सिफारिश, ताकि बाजार में प्रतिस्पर्धा बनी रहे।
हालाँकि, आयोग ने अत्यधिक मुनाफाखोरी और उपभोक्ताओं के शोषण के मामलों पर प्रत्यक्ष टिप्पणी नहीं की है। सरकार इस प्रतिवेदन के आधार पर नीति निर्माण करेगी या नहीं, यह देखना बाकी है।
यह रिपोर्ट नेपाल की अर्थव्यवस्था को गति देने और निजी क्षेत्र की भूमिका को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।
