भूकम्प के बाद मधेशी दल: लिलानाथ गौतम
महाभूकम्प (वैशाख १२, २०७२) के बाद सबसे ज्यादा आलोचना राजनीतिक दल और उनके नेताओं की हुई है । विपत–व्यवस्थापन और उद्धारकार्य में सरकार पूर्ण असफल रही, ऐसा कहकर आक्रोश जताने वाले भी बहुत सारे हैं । लेकिन यही सरकार मातहत परिचालित सेना और प्रहरी द्वारा किए गए उद्धार कार्यों की बहुतों ने प्रशंसा की है । सरकार असफल, लेकिन सरकार मातहत के निकाय सफल ! ऐसा भी होता है क्या ? नहीं होना चाहिए, लेकिन ऐसा ही देखने को मिला । अनुमान लगाया जा सकता है कि हमारी सरकार तथा राजनीतिक दलों के प्रति बढ़ते अविश्वास के कारण ही ऐसी अस्वाभाविक प्रतिक्रिया आयी है । लगता है कि सिर्फ जनता ही नहीं, अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय भी यहाँ के सरकार के प्रति विश्वस्त नहीं हंै । भूकम्प पीडि़तों के लिए सहयोग करने के लिए इच्छुक व्यक्ति तथा दातृ निकाय प्रधानमन्त्री राहत कोष को सहयोग करने के लिए अनिच्छुक दिखाई देना इसका प्रमाण है । इस विषय में अलग ही विश्लेषण हो सकता है ।
यहाँ एक अलग विषय में चर्चा किया जाएगा, वह है– भूकम्प के बाद मधेशी दल । हाँ, भूकम्प के बाद सामाजिक सञ्जाल और अनलाइन मीडिया में मधेशी और जनजाति नेताओं पर लक्षित करते हुए कुछ ज्यादा ही आलोचना देखने को मिला । पहचान के नाम से राजनीति करने वाले मधेशी और जनजाति नेता, भूकम्प के बाद कहाँ गुम हो गए ? इस तरह के प्रश्न आने लगे । लेकिन क्या सच में ही भूकम्प के बाद मधेशी नेता लापता हुए थे ? पीडि़तों के लिए मधेशी नेताओं ने कुछ नहीं किया ? इसी प्रश्न के प्रति केन्द्रित रह कर यहाँ चर्चा की जाएगी ।
हाँ, भूकम्प के शुरुआती दिनों में राजनीतिक दलों की सक्रियता नहीं दिखाई दी । इसीलिए प्रश्न आने लगे– ‘बन्द–हड़ताल करने वाले और सड़कों में टायर जलाने वाले राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता कहाँ छुप गए है ?’, ‘नेताओं के निर्देशन में तोड़फोड़ में उतरने वाले कहाँ गुम हो गए ?’ इसतरह के बहुत प्रश्न आने लगे । यही प्रश्न मधेशी राजनीतिक दल तथा उनके नेताओं के प्रति भी दिखाई दिया । लेकिन कुछ दिन के बाद सभी राजनीतिक दल और उनके नेता÷कार्यकता भूकम्प प्रभावित क्षेत्र में दिखाई देने लगे । जहाँ मधेशीवादी दल भी सक्रिय थे । लेकिन मधेशी नेताओं का कहना है कि उनके द्वारा किए गए क्रियाकलाप को काठमांडू के मीडिया ने प्राथमिकता नहीं दी है । इसीलिए भूकम्प के बाद मधेश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने कहाँ–कहाँ क्या–क्या किया ? इस सम्बन्ध में हिमालिनी ने कुछ तलाश करने का प्रयास किया । विभिन्न मधेशवादी दलों के पार्टी कार्यालय में जा कर विवरण संकलन का प्रयास किया । कुछ नेताओं के साथ टेलिफोन में बातचीत भी की । इसी क्रम में प्राप्त विवरण और सम्वाद का सम्पादित अंश यहाँ प्रस्तुत किया गया है –
मधेशी जनअधिकार फोरम (लोकतान्त्रिक)
जब हिमालिनी प्रतिनिधि मधेशी जनअधिकार फोरम लोकतान्त्रिक के पार्टी कार्यालय सानेपा पहुँची, वहाँ कोई भी पार्टी केन्द्रीय सदस्य नहीं थे । लेकिन कार्यालय सचिव परमानन्द मेहता कार्यालय में ही थे । मेहता ने बताया कि अधिकांश पार्टी नेता तराई के अपने ही जिले में है । मेहता ने यह भी बताया कि कुछ नेता भूकम्प पीडि़तों के लिए राहत संकलन और वितरण में सक्रिय हैं । लेकिन किस जिला में किन नेताओं की अगुवाइ में राहत वितरण हो रहा है, इस का विवरण पार्टी आफिस में नहीं मिला । मेहता के अनुसार जो नेता काठमांडू के डेरा में रहते थे, उनमें से कुछ नेताओं का निवास क्षतिग्रस्त होने के कारण वह अपने घर तराई में गए है, भूकम्प की पराकम्पन जारी रहने के कारण वे लोग अभी तक नहीं लौटे है । मेहता कहते हैं– ‘भूकम्प प्रभावित जिला के पार्टी नेता सम्बन्धित जिला में ही राहत संकलन और वितरण में सक्रिय है ।’
मेहता के अनुसार काभ्रे, सिन्धुपाल्चोक, काठमांडू, भक्तपुर और ललितपुर लगायत जिला में फोरम लोकतान्त्रिक ने राहत वितरण किया है । इसी क्रम में पार्टी अध्यक्ष विजयकुमार गच्छदार दो बार सिन्धुपाल्चोक पहुँचे हैं । पार्टी केन्द्रीय सदस्य गणेश लामा भूकम्प के बाद अधिकांश समय काभ्रे में ही व्यस्त हैं । मेहता के अनुसार लामा ने काभ्रे जिला में लगभग ५–६ करोड़ बराबर की राहत सामग्री वितरण किया है । इधर काठमांडू उपत्यका में फोरम लोकतान्त्रिक के नेता रुद्र श्रेष्ठ के नेतृत्व में राहत वितरण अभियान जारी है । इसी तरह पार्टी अध्यक्ष गच्छदार ने अपने निवास में अनेवाले पीडि़तों के लिए निवास से ही राहत वितरण किया है ।
मधेशी जनअधिकार फोरम, नेपाल
जब हिमालिनी प्रतिनिधि मधेशी जनअधिकार फोरम नेपाल के पार्टी कार्यालय बालकुमारी पहुँची, वहाँ भी कोई नेता नहीं थे । पता चला कि पार्टी अध्यक्ष उपेन्द्र यादव कुछ ही देर पहले निकल गए हैं । कार्यालय सचिव हरि मेहता के अनुसार अधिकांश नेता अपने ही जिला में हैं । काठमांडू में रहने वाले कुछ नेता तथा कार्यकर्ता को लेकर पार्टी अध्यक्ष उपेन्द्र यादव भूकम्प प्रभावित जिला गोर्खा और सिन्धुपाल्चोक पहुँचे है । फोरम नेपाल ने कितना राहत संकलन और वितरण किया है ? इसकी जानकारी कार्यालय से प्राप्त नहीं हो सकी । इसके लिए पार्टी महासचिव रामसहाय प्रसाद यादव से सम्पर्क किया गया । लेकिन उन्होंने कहा– ‘आधिकारिक जवाब पार्टी अध्यक्ष से ही मिल सकता है । इसीलिए पार्टी अध्यक्ष यादव से सम्पर्क कीजिए ।’ लेकिन अध्यक्ष यादव ने इस सम्बन्ध में बोलने के लिए अस्वीकार किया । उन्होंने कहा– ‘पहले पहाड़ीय दलों ने कितना राहत संकलन किया है, उसके विषय में खोज कीजिए, आप लोग हमेशा क्यों मधेशी दलों के पीछे पड़ते है ? मधेशी दलों ने कुछ नहीं किया है ।’ इसके बाद उन्होंने फोन रख दिया । लेकिन पार्टी सदस्य तथा सभासद अभिषेक प्रताप साह ने बताया कि पार्टी ने गोरखा, सिन्धुपाल्चोक, भक्तपुर, महोत्तरी लगायत जिला में राहत वितरण किया है । स्मरण रहे, सभासद साह ने राज्य से प्राप्त होने वाले करीब एक साल की अपनी तनखाह भूकम्प पीडि़तों के नाम कर दिया है । (उन की अधिक अभिव्यक्ति बक्स में)
तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी
तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय अनामनगर में पार्टी केन्द्रीय सदस्य तथा पूर्वसभासद कविन्द्र ठाकुर लगायत एक दर्जन नेता तथा कार्यकर्ता मिल गए । भूकम्प पीडि़त के लिए तमलोपा द्वारा किया गया योगदान सम्बन्ध में पूछने पर सभी लोग बताने के लिए उत्सुक दिखाई दिए । केन्द्रीय सदस्य ठाकुर के अनुसार पार्टी सह–अध्यक्ष हृदयेश त्रिपाठी पहली बार गोरखा के बारपाक पहुँचे थे । उसके बाद हृदयेश के ही नेतृत्व में राकेश मिश्र, सुशील मिश्र लगायत नेता तथा कार्यकर्ता काभ्रे और सिन्धुपाल्चोक जिला में राहत लेकर पहुँचे है । पार्टी सह–महामन्त्री जितेन्द्र सोनल भी राहत लेकर गोरखा पहुँचे है । काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर के पीडि़तों के लिए सह–अध्यक्ष त्रिपाठी, केन्द्रीय सदस्य कविन्द्र ठाकुर लगायत नेता तथा कार्यकर्ता ने राहत वितरण किया है ।
नेता कविन्द्र ठाकुर के अनुसार तमलोपा ने लगभग २५ हजार थान त्रिपाल भूकम्प पीडि़तों के लिए वितरण किया है । ठाकुर ने बताया– ‘सबसे ज्यादा त्रिपाल पार्टी केन्द्रीय कार्यालय से वितरण हुआ है ।’ इसी तरह पार्टी के तरफ से लगभग १० गाड़ी खाद्यान्न सामग्री वितरण किया गया है ।
इसीतरह नुवाकोट मे पार्टी के भातृ संगठन युवा फ्रन्ट के सह–महासचिव कामरेन्द्र बर्मा के नेतृत्व में राहत वितरण किया गया है । बर्मा ने दावा किया की अभी तक १५–१६ करोड़ मूल्य बराबर की राहत सामग्री वितरण की गई है । बर्मा बताते हैं कि पार्टी के तरफ से भूकम्प पीडितों की आवास निर्माण के लिए श्रमदान की योजना सम्बन्ध में भी बहस हो रही है ।
सद्भावना पार्टी
सद्भावना पार्टी कार्यालय बानेश्वर में पार्टी अध्यक्ष राजेन्द्र महतो, सह–अध्यक्ष लक्ष्मणलाल कर्ण लगायत नेता तथा कार्यकर्ता थे । राहत वितरण के लिए पार्टी अध्यक्ष महतो नुवाकोट पहुँचे है । अध्यक्ष महतो के अनुसार सद्भावना पार्टी द्वारा काभ्रे, नुवाकोट, गोरखा, तनहुँ, कास्की, धादिङ, सिन्धुली लगायत जिला में राहत वितरण हो चुका है । साथ में अन्य प्रभावित जिला में भी जाने की तैयारी हो रही है । इसीतरह पार्टी की तरफ से काभ्रे और नुवाकोट जिला में श्रमदान की योजना भी बन रही है । वहाँ अस्थायी निवास निर्माण किया जाएगा । अध्यक्ष महतो ने कहा– ‘इसके लिए सामग्री जुटाने का प्रयास हो रहा है ।’ वितरित सभी राहत सामग्री पार्टी के आन्तरिक साधान–स्रोत से ही जम्मा नहीं किया गया है । पार्टी प्रति शुभेच्छा प्रकट करने वाले विभिन्न संघ–संस्था से आग्रह करके यह सामग्री संकलन किया गया है । उदाहरण के लिए सिन्धुली जिला में वितरित सभी सामग्री पड़ोसी देश भारत के शुभेच्छु मार्फत प्राप्त किया गया था । अध्यक्ष महतो के अनुसार नुवाकोट में वितरित सामग्री पार्टी के आन्तरिक साधन–स्रोत से जुटाया गया है । अध्यक्ष महतो ने आगे कहा– ‘हम लोग तो सिर्फ माध्यम हो रहे है । सहयोग करने वाले बृहत संघ–संस्था और सामाजसेवी है । उन लोगों से प्राप्त सामग्री ही हमारे नेता तथा कार्यकर्ता ने वितरण किया है ।’ अभी तक सद्भावना ने विभिन्न जिला में पाँच हजार थान त्रिपाल, कम्बल लगायत अन्य खाद्यान्न सामग्री वितरण किया है ।
नेपाल सद्भावना पार्टी
नेपाल सद्भावना पार्टी के अध्यक्ष अनिल झा भी पार्टी ऑफिस शान्तिनगर में ही मिले । सामान्यतः झा मधेशी समुदाय प्रति ही नहीं, पहाड़ी समुदाय के प्रति भी सद्भाव से सन्तुलित और व्यावहारिक तर्क करते हैं । लेकिन भूकम्प सम्बन्धित हिमालिनी के प्रश्न में उनका जवाब कुछ अलग दिखाई दिया । क्योंकि अध्यक्ष झा का मानना है– भूकम्प पीडि़तों के लिए राजनीतिक दल कुछ भी सहयोग नहीं कर सकते हैं । झा आगे कहते है– मधेशवादी दल तो कर ही नहीं सकते हैं । (उनकी विचार का सम्पादित अंश बॉक्स में) ।
लेकिन नेपाल सद्भावना पार्टी ने भी भूकम्प पीडि़तों के लिए कुछ राहत संकलन और वितरण किया है । पार्टी अध्यक्ष झा के अनुसार नुवाकोट और सिन्धुपाल्चोक जिला में पार्टी अध्यक्ष स्वयं तथा सभासद डा. डिम्पल झा लगायत नेता तथा कार्यकर्ता पहुँचकर राहत वितरण किया है । राहत सामग्री में से ६० थान त्रिपाल सिन्धुपाल्चोक, १७ थान नुवाकोट में वितरण किया गया है । इसी तरह पार्टी कार्यालय से ३० थान खुद्रा त्रिपाल वितरण किया गया है । चावल १२ सौ केजी, चूड़ा २ सौ केजी, कम्बल २० थान, मसाला, तेल आदि अन्य खाद्य सामग्री भी नेपाल सद्भावना पार्टी ने वितरण किया है ।
मधेशी जनता ने अमूल्य योगदान दिया है
राजेन्द्र महतो, अध्यक्ष
सद्भावना पार्टी
भूकम्प पीडि़तों के लिए राहत संकलन कार्य में हमारे कार्यकर्ताओं भी सक्रिय हैं । सिर्फ कार्यकर्ता ही नहीं, सर्वसाधारण मधेशी जनता भी उतनी ही सक्रिय हैं । जो भी हो, पहाड़ की पीड़ा को कम कराने के लिए मधेशी जनता अहोरात्र राहत संकलन में जुटे हैं । मधेशी जनता ने स्वतःस्फुर्त रूप में ‘मुठ्ठीदान’ का अभियान चलाया है । इस का योगदान अमूल्य है । जिसके परिणाम ही २४० गाड़ी खाद्यान्न लगायत सामग्री संकलन हो सका । हम लोगों ने तो उस सामग्री को सिर्फ व्यवस्थित रूप में वितरण करने का काम किया है ।
यहाँ एक बात स्मरणीय है– तराई की जनता हर साल शीतलहर और बाढ़ से पीडित होती हैं । हजारों घरवार विहीन हो जाते हैं । लेकिन अभी तक इस तरह का राहत संकलन अभियान नहीं हो पाया है । मधेशवादी कहलाने वाले हम राजनीतिक दलों ने भी ऐसे अभियान कप् शुरुआत नहीं की । लेकिन भूकम्प पीडि़त पहाड़ी समुदाय के दुःख को मधेशी जनता देख नहीं पायी । इसीलिए स्वतःस्फूर्त यह अभियान शुरु हो गया । इससे स्पष्ट होता है– मधेशी समुदाय, पहाड़ी समुदाय के प्रति कितना सम्वेदनशील हैं । लेकिन दुःख की बात तो यह है कि मधेशी जनता द्वारा किए गए इस योगदान पर यहाँ के मीडिया की नजर नहीं पड़ सकी । तब भी हमारा सहयोग जारी है ।
हम लोग पहाड़ में जा कर श्रमदान करने के लिए भी तैयार हैं । सभी प्रभावित जिला में हमारी पार्टी का संगठन नहीं हैं । अगर संगठन रहता तो श्रमदान के लिए सहज हो सकता था । लेकिन जिस जिला में है, उस जिला में हम लोग श्रमदान की योजना बना रहे हैं । को–अर्डिनेटर के लिए सम्बन्धित जिला से सिर्फ दो व्यक्ति मिल जाए तो हम तराई से अपने कार्यकर्ता को लेकर जाएंगे । हमारे कार्यकर्ता श्रमदान के लिए तैयार है । वे चाहते है कि जितना जल्द हो सके पीडि़तों के लिए अस्थायी निवास का निर्माण हो । जिस जिला में संगठन नहीं है, वहाँ यह कार्य व्यवहारिक नहीं हो सकता ।
हम लोगों को पता है– व्यक्ति, निजी संघ–संस्था तथा दातृ निकाय भूकम्प पीडि़तों के नाम में सहयोग करने के लिए तैयार हैं । लेकिन प्रधानमन्त्री राहत कोष में अपेक्षा अनुसार रकम जमा नहीं हो पा रहा है । इससे स्पष्ट होता है कि सरकार दातृ निकाय को विश्वस्त करने में असफल हो चुका है । इसका एक कारण है– सरकार द्वारा घोषित एकद्वार प्रणाली । एकद्वार प्रणाली की सोच और कार्यशैली के कारण अभी सरकार की अपेक्षा अनुसार सहयोग राशि नहीं जुट पा रही है । दाता लोग भी नहीं चाहते हैं कि उनका सहयोग सीधा प्रधानमन्त्री राहत कोष में चला जाए और अपनी भूमिका निष्क्रिय रहे । ऐसी अवस्था में सरकारी प्रावधान गलत साबित हो रही है । अगर कोई दातृ निकाय, संघ–संस्था तथा व्यक्ति सहयोग करना चाहते हैं तो उनको अवसर देना चाहिए । सरकारी योजना और मोनिटर्निङ में कोई भी दाता को विद्यालय भवन तथा गाँव निर्माण के लिए जिम्मेदारी दे सकते है । लेकिन कोष में ही रकम जमा करने की जो सरकारी मानसिकता और प्रावधान है, उससे राजनीतिक दल तथा सरकारी की नीयत के प्रति आशंका पैदा हो जाती है । इस में सुधार करनी चाहिए ।
राजनीतिक दल चन्दादाता नहीं है
अनिल झा, अध्यक्ष
नेपाल सद्भावना पार्टी
राजनीतिक दल व्यापारी नहीं है । सभी पार्टी दूसरों से चन्दा लेकर ही चलती है । ऐसी अवस्था में हम कैसे भूकम्प पीडि़तों के लिए चन्दा दे सकते है ? तब भी अपनी क्षमता के अनुसार हम लोगों ने भी राहत वितरण किया है । सभासद तथा कर्मचारी वापत राज्य द्वारा अपेक्षित सहयोग मेरे परिवार से भी हो रहा है । इस को क्याल्कुलेसन किया जाए तो मेरे परिवार से लग–भग डेढ लाख रूपया भूकम्प पीडि़तों के नाम किया गया है । इससे अधिक आर्थिक सहयोग हम लोग नहीं कर सकते हैं । हमारा कार्यक्षेत्र भी यह नहीं है । लेकिन मीडिया आलोचना करते है कि नेताओं ने कुछ भी नहीं किया । बताया जा रहा है कि सेना–पुलिस ने काम किया, लेकिन राजनीतिक दल निष्क्रिय रहे । यह सरासर गलत
मानसिकता हैं । हम नेता लोग सेना–प्रहरी तथा कर्मचारी की तरह फील्ड में जाकर श्रम नहीं करते हैं । सरकार तथा राजनीतिक दलों का जिम्मेदारी तो इसका व्यवस्थापन करना होता है । वह हम कर ही रहे हैं । फील्ड में जाने वाले तो सेना÷प्रहरी और कर्मचारी ही होते हैं । उन लोगों द्वारा किया गया योगदान ही सरकार तथा राजनीतिक दलों का योगदान होता है । ऐसी अवस्था में आप कैसे कह सकते हैं कि राजनीतिक दल गैरजिम्मेदार हो गए है ?
जहाँ तक राजनीतिक पार्टी की तरफ से होने वाले श्रमदान की बात है, मधेशवादी दलों की तरफ से यह सम्भव नहीं है । भूकम्प पहाड़ में आया है, मधेश में नहीं । प्रभावित पहाड़ी जिला में हमारी पार्टी का संगठन भी नहीं है । बहस और भाषणबाजी के लिए तो कुछ भी बोल सकते हैं । पहाड़ में जा कर मधेशी द्वारा श्रम करना व्यवहारिक नहीं हो सकता । फोटो खिंचाने के लिए जाना अलग बात है । हमारे कार्यकर्ता पहाड़ जाते–जाते ही थक जाते है, ऐसे कार्यकर्ता से कैसे श्रम की अपेक्षा रखते है ? इसीलिए पहाड़ की भौतिक संरचना निर्माण में तराई का योगदान नहीं हो सकेगा । इसके लिए तो सरकार को ही पहल करना चाहिए ।
पहाड़ और मधेश की पीड़ा अलग नहीं होती
कविन्द्र ठाकुर
केन्द्रीय सदस्य, तमलोपा
कोई भी पीड़ा पहाड़ और मधेश के लिए अलग–अलग नहीं होती । इसीलिए भूकम्प के बाद सृजित परिस्थिति सहज करने में हम लोग भी अपने जगह से यागेदान दे रहे हैं । राहत संकलन और वितरण कार्य जारी है । राहत वितरण अभियान ६ महीना तक जारी रखने की बात पार्टी के भीतर चल रही है । अभी तक जो राहत वितरण हुआ है, वह सब पार्टी के आन्तरिक साधन–स्रोत से ही संकलित है । पार्टी से आवद्ध बहुत लोग व्यापार व्यवसाय में आवद्ध हैं । वे लोग समाजसेवा के प्रति भी इच्छुक हैं । ऐसे ही शुभेच्छुक के सहयोग में हम लोगों ने राहत संकलन और वितरण किया है । घरबार विहीन पीडि़तों के लिए हम लोग क्या कर सकते है ? इस सम्बन्ध में भी बातचीत कर रहे हैं । हमारी क्षमता के अनुसार जो कर पाएँगे, वह करेंगे ।
सरकार असफल हो चुकी है
अभिषेक प्रताप साह
सभासद्, फोरम नेपाल
भूकम्प पीडि़तों के लिए पार्टी की तरफ से क्या–क्या हो रहा है, उसका डिटेल मुझे पता नहीं है । मैं तो जिला में ही हूँ । लेकिन मेरी व्यक्तिगत बात करें तो सभासद वापत मुझे प्राप्त होने वाले करिब १३ महीने (एक साल) की तनखाह मैंने भूकम्प पीडितों के नाम कर दिया है । इसके साथ–साथ मैंने भारत उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री माननीय अखिलेश यादव से टेलिफोन सम्पर्क मार्फत नेपाल के भूकम्प पीडि़तों के सहयोगार्थ आग्रह किया । उन्होंने करीब डेढ़ सौ ट्रक पानी, बिस्कुट, विद्युतीय उपकरण लगायत सामग्री भेजा था । उस सामग्री को हमलोगों ने नेपाल स्थित भारतीय दूतावास के सहयोग से नेपाल सरकार को हस्तान्तरित किया है । इसीतरह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा सांसद जगत अम्बिका पाल के सहयोग से हम लोगों ने गोरखा जिला में राहत वितरण किया है । अन्य सहयोग जुटाने की पहल भी हो रही है ।
सिर्फ व्यक्तिगत पहल में हजारों के लिए राहत संकलन हो सकता है तो सरकारी स्तर से पहल करने पर उसे कई गुणा ज्यादा हो सकता है । लेकिन अपेक्षा अनुसार नहीं हो पा रहा है । वर्तमान सरकार भूकम्प के वाद सिर्जित विपत्ति व्यवस्थापन में असफल हो चुकी है । यह असफलता भूकम्प के पहले दिन वैशाख १२ गते से ही शुरु हुआ था । गृहमन्त्री वामदेव गौतम ने पाँच घण्टा के वाद क्याबिनेट बैठक रखकर उद्धार सम्बन्धी निर्णय लिया है । अगर वह बैठक चार घण्टा पहले ही होता तो ३–४ सौ की जान बचने की सम्भावना थी । अभी प्रधानमन्त्री राहत कोष में अपेक्षा अनुसार रकम जमा नहीं हो पाना इसके लिए भी असफल सरकारी रणनीति ही प्रमुख जिम्मेदार है ।
श्रमदान के लिए तैयार हंै
कामरेन्द्र बर्मा
सह–महासचिव, युवा फ्रन्ट, तमलोपा
भूकम्प के बाद हम लोग भी पीडि़तों की सेवा में जुटे हैं । राहत संकलन और वितरण कार्य जारी है । अब हम पुनर्निर्माण के सम्बन्ध में बातचीत कर रहे हंै । इसके लिए सरकार को ही नेतृत्व लेना चाहिए । अगर युवा तथा खेलकूद मन्त्रालय द्वारा युवा परिचालन सम्बन्धी विशेष योजना आ जाता है तो हम लोग भी पहाड़ में जाकर श्रमदान करने के लिए तैयार हैं ।