Sat. Apr 20th, 2024

upendra yadav picविराटनगर, श्रावण १२ | संघीय समाजवादी फोरम नेपाल के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने कहा है कि चार दलों से वार्ता करना कोई औचित्य नहीं है । उनका मानना है कि विगत में हुए सहमति और सम्झौता जब तक कार्यान्वयन नहीं होगा, तब तक वार्ता में बैठना बेकार है । विराटनगरमा स्थित अपने ही निवास में आए कुछ पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा– ‘मधेसी, आदिवासी से विगत में जो सम्झौता हुआ है, वह कार्यान्वयन होना चाहिए । उससे पहले चार दलों से वार्ता में बैठना कोई औचित्य नहीं है ।’ अध्यक्ष यादव का यह भी कहना है कि १६ बुँदे सहमति के द्वारा विगत के सभी सम्झौता खारेज करने का प्रयास हो रहा है ।
अपूर्ण संविधान मधेश को स्वीकार्य नहीं होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा, ‘बिगत के सभी सहमति को अस्वीकृत करते हुए जारी किया संविधान किसी भी समुदाय को स्वीकार्य नहीं है ।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मधेसी, आदिवासी जनजाति, दलित, महिला और सीमान्तकृत वर्ग सदियों से पहिचानविहीन है, उन लोगों को अधिकार से वञ्चित रखा गया है । अब भी उन लोगों की मांग को सम्बोधन नहीं किया गया तो विद्रोह हो जाएगा और वह विद्रोह वर्तमान सत्ताधारी दलों के लिए महंगा साबित हो सकता है ।’
भावी शासकीय स्वरुप सम्बन्धी बहस के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि समाजवादी फोरम प्रत्यक्ष निर्वाचित कार्यकारी पक्ष में हैं । अध्यक्ष यादव ने कहा, ‘पहले ही हमने जनता से प्रत्यक्ष निर्वाचित कार्यकारी राष्ट्रपति के पक्ष में सुझाव दे चुके है ।’
संविधानसभा से इस्तिफा देने के सम्बन्ध में उन्होंने कहा, ‘इस सम्बन्ध में अभी हम लोग ने कोई निर्णय नहीं लिया है । लेकिन अपने अधिकार के लिए संविधानसभा में लड़ रहे है । आवश्यकता पड़ने पर जो कुछ भी हो सकता है ।’

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