रो पड़ीं नेपाल माँ… बच्चे (हिमाल, पहाड़, मधेश) रसातल में पहुच जाएंगे
मुरलीमनोहर तिवारी (सिपु),बीरगंज, ९ अगस्त | एक रात को अपने खेत में पानी देखने गया। किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। उत्सुकतावश देखने आगे गया। मेरे खेत से थोड़ी दुरी पर शमशान है। वही एक औरत चिथरो में रो रही थी। थोड़ा भय हुआ, पास जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। डरते-डरते पूछा आप कौन है और क्यों रो रही है। औरत ने कहा “मैं नेपाल हूँ “।
मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। आप नेपाल माँ है। आप यहाँ क्या कर रही है और क्यों रो रही है। नेपाल माँ ने कहा मैं अपने बेटों के वजह से रो रही हु। मेरे कई बेटे इस शमशान में दफ़न हो गए। अभी कई और दफ़न होने वाले है। मैं इतनी अभागी हूँ की अपने आंखों के सामने सब खत्म होते देख रही हु। मै बेबस हूँ, असहाय हूँ। मेरे बेटे हिमाल,पहाड़ और मधेश आपस में लड़ते है। खुद मुझसे छल करते है। मुझे हर बार नीलाम करते है। फिर भी मैं माँ हु ना, उन्हें छोड़ तो नहीं सकती।
मैंने कहा माँ ऐसा क्या हो गया। नेपाल माँ ने कहा मेरा बड़ा बेटा लोभी हो गया है। सारी सम्पति सारे अधिकार अपने पास रखने के लिए बईमानी कर रहा है। मेरा दूसरा बेटा भी उसी से मिल गया है। दोनों मिलकर छोटे का हक़ मारना चाहते है। मेरा छोटा बेटा देहाती है, मैं उसे सही शिक्षा-दीक्षा देकर परवरिश नहीं कर सकी। वो मुझसे भी नाराज रहता है। पर छोटा बेटा तो माँ का लाडला होता है। मेरा मधेश मेरा दुलारा है। मैंने तीनो को अपना लहू पिला के पाला है। दुनिया भर की आफतों से अपने आँचल में छुपा के बड़ा किया है। जब ये छोटे थे तो छोटा खेती करके बड़ो को देता था। हमने सोचा था बड़े ज्यादा पढ़-लिख जाएं तो छोटे को भी संभाल लेंगे। जब एक पर कोई मुसीबत आती थी, तो बाकी भाई दौड़ कर आते थे। इसी एकता के कारण हमारे सभी पडोसी के घर डकैती हुई पर मेरा घर बचा रहा।
आज सारे रिश्ते टूटने वाले है। मुझे कोई गाली दे रहा है, कोई वैश्या कह रहा है। मैंने पूछा नेपाल माँ ऐसा क्या हो गया जो इतना सब बिगड़ गया। नेपाल माँ ने कहा मेरे घर में एक हिस्सा ऐसा था, जिधर रोशनी कम जाती थी। मेरा छोटा बेटा उधर ही रहता था। उसने कहा घर की सारी आमदनी एक ही जगह खर्च हो रही है, मेरे साथ बईमानी हो रही है। सबसे ज्यादा काम मैं करता हु, अब खर्च करने का अधिकार मुझे मिले, मैं अँधेरे वाले हिस्से में रोशनी करा दूंगा। ये घर जगमगा उठेगा।
फिर क्या हुआ माँ ? फिर….(आह भरकर) मेरे बड़े बेटे को संदेह है की छोटे की दोस्ती पडोसी से है। पडोसी छोटे को बहकाकर अंधरे वाला हिस्सा हथियाना चाहता है। बड़े ने छोटे को अधिकार देने से माना कर दिया। अब भाइयो में झगड़ा हो रहा है। जाने कब कौन क्या कर दे, इसका भय घेरे रहता है। अब तो पुरे मुहल्ले में हमारा घर तमाशा बन के रह गया है। रोज नए-नए लोग आकर मेरे बेटो को लड़ाते है। सब की गिद्ध नजर हमारे घर पर पड़ी है।
भाइयो की लड़ाई में कर्ज पर कर्ज चढ़ते जा रहे है। मुझे तो डर है कही मेरा घर ही कर्ज चुकाने में समाप्त ना हो जाए। आज लोगो की उंगलिया हम पर उठ रही है। हमारे परवरिश पर सवाल उठ रहे है। हमारे बच्चो को लोभी, अवसरवादी कह रहे है। मेरा कलेजा फट रहा है। मेरे जिगर के लाल आज क्या क्या भोग रहे है। जिनकी हैसियत हमारे तरफ देखने की नहीं है, वो आज हमारे न्यायधीश बने है। एक की जयकार होती है तो दूसरे का मुर्दाबाद । क्या जय मधेश सुनने से मुझे ख़ुशी नही होगी। आखिर जय नेपाल से ही तो जय मधेश का अस्तित्व है। मेरे मधेश के बोली, भाषा, पहनावा पर उसके भाई एतराज करते है। उसपर रोक लगाते है। मेरा मधेश कोई भी जबान बोले मैं तो उसे समझ ही लेती हु। इस पर बिवाद की क्या आवश्यकता है।
मैं कहा – नेपाल माँ ! क्या ऐसा नहीं हो सकता की सभी भाई साथ में बैठे। आपस में बाते करे। जिस घर के हिस्से को बचाने के लिए इतना झगड़ा हुआ की पूरा घर ही बिखरने वाला हो गया है। वैसे भी छोटा कानूनन अपना हिस्सा ले ही सकता है। तो एक बार छोटे भाई मधेश को ही घर का मालिक बना के देखा जाए। हो सकता है वो बाकी से बेहतर घर चला दे। हो सकता है उसकी बाते मानने के बाद पडोसी का साथ छोड़ दे। या पडोसी उसे अच्छी सलाह और मदद दे। ये भी हो सकता है उसे एहसाह हो की घर चलाने में कितनी मुश्किल होती है। ये समझ कर बड़े भाई के साथ मिलकर रहे।
अगर आपके घर में अच्छे कर्म हुए होंगे। अगर आपने किसी के साथ गलत नहीं किया। किसी की बददुआ, किसी की हाए नहीं लगी है। अगर आपने दुखियों के आंसू पोछने और शरण देने का कार्य किया हो तो आपका घर जरूर बच जाएगा। ये दुःख के बादल हटेंगे। फिर से नई रोशनी आएगी। अगर ऐसा नहीं है तो आपके पापो के फल से आपके घर और बच्चे (हिमाल, पहाड़, मधेश) रसातल में पहुच जाएंगे। नेपाल माँ हमारी बातें आपके बेटे नहीं सुन रहे। हो सकता है, हमारी बातो का उनपर कोई असर ना हो। इतिहास साक्षी है की बिदुर बहुत बिद्वान थे उनकी चली होती तो युद्ध नहीं होता, पर वे शक्तिहीन थे। नतीजतन महाभारत हुआ और पूरा परिवार नेस्तनाबूत हो गया। इसलिए हे माँ ! इस महायुद्ध को रोकने का हमें प्रयास करना चाहिए क्योकि “माना की अँधेरा घना है, पर दिया जलाना कहा मना है”।