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विजेता चौधरी, काठमाण्डू अषाढ १५
मुख्य रुप में कृषि पेशा पर आधारित देश नेपाल के लिए अषाढ का पन्द्रह अर्थात १५ गते कृषि–उत्सव का दिन है । इसी उत्सव में आज देश भर रोपाईँ महोत्सव तथा रोपाइँ दिवस मनाया जा रहा है ।



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भक्तपुर, ललितपुर तथा देश भर ही आज खेतों में धान रोप कर इस दिवस को मनाया जा रहा है । जिला कृषि विकास कार्यालय धनुषा के मुताविक धनुषा में मात्र ढाइ सौ हेक्टर में बाली लगाई जा चुकी है । राजधानी आसपास तथा पहाडी भेग में मुख्यतः मनाई जाने वाली उक्त दिवस पूर्व तथा पश्चिमी तराई में भी विस्तार होती नजर आ रही है ।
साँगा के हेम चित्रकार ने बताया समय पर हुई वर्षात की वजह से इस वर्ष उपज अच्छी होगी यद्यपि तराई के कई जगह में आई भिषण बाढ ने कुछ किसानो की निंद हर ली है ।
भक्तपुर सांगा के नरेन्द्र शाक्य अपने पूरे परिवार व टोल वासीयों के साथ खेत में रोपाइँ कर रहें हैं । लगभग १५ः आना में फैली खेत उनके पडोसी राजुभाई श्रेष्ठ की है । उक्त खेत में रोपाइँ खतम कर सारे टोल वासी फिर दुसरी खेत में रोपाई करेंगें । पुरा मुहल्ला एक दुसरे के खोतों में इकठठा हों रोपाई करना एक सबल समाजवाद की चित्र को दर्शाता है ।
उपत्यका के साँगा, जगाति, सूर्यविनायक, कमलविनायक, सुन्दरीजल, नागार्जून लगायत के स्थानो में हँसी मजाक व गायन से पम्पूर्ण वातावरण आमोदित प्रतित हो रहा है । हरेक खेत में रोपाहा कृषकों की बडी टोली रोपाईं में व्यस्त हैं ।
हमारे महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा ने भी अषाढ को पन्द्रह निबन्ध लिख कर इस दिवस की औचित्व को दर्शायाा है । आज के दिन संकस्कृतिक रुप से ही धान, अन्नवाली लगाया जाता है। वस्तुतः आज के दिन को नेपाल में धान दिवस के रुप में हर्सोल्लास के साथ मनाने का परम्परा रहा है ।
वर्ष दिन के लए अन्न भण्डारन कर पान अषाढ की ही महिमा होति है, इसी लिए कृषकों ने खेतों मे लोकदोहरी के तान छेड, थालकादो को एक दुसरे पर फेंक आनन्दमग्न हो तिनपहर तक बाली लगाते आज कृषि उत्सव मनारहें है । इस महिने भर कृषक अत्यधिक व्यस्त रहते हैं ।
आज स्कुल तथा कलेजों में भी विद्यार्थियों को धान रोपाई सिखा कर इस दिन को मनाया जा रहा है ।
आज के दिन चुरा व दही खाने का प्रचलन भी पूराना है । इस का अपना ही वैज्ञानीक महत्व होने की बात संस्कृतिविद वताते हैं ।



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