परिवर्तन व सुधार, यह सत्ता में चमत्कार है या रणनीति ?
मालिनी मिश्र, ८ अगस्त, काठमाण्डू ।।
हर एक देश की राजनीति का अपना ही स्थान है पर नेपाल की राजनीतिक स्थिति ऐसी है जहां विश्व भर की निगांह हैं कि नेपाल में अब क्या होने जा रहा है ? जिसका एक उदाहरण है द न्यूयार्क टाइम्स में प्रशान्त झा के द्वारा लिखा एक लेख जो कि नेपाल में माओवादी की स्थिति को दर्शाती है ।
नेपाल की जनता माओवादी नेता प्रचण्ड के नेतृत्व को भली भांति देख चुकी है । क्या बीते हुए वर्षों में जो कुछ भी नकारात्मक हुआ है नेपाल की राजनीति में वो उसका अंत था या अब भी बहुत कुछ बांकी है ?
जनता प्रचण्ड के उस रुप को भी देख चुकी है जब वो “लयm मभ नगभचचभ” के नाम से जाने जाते थे जिसका अर्थ है, “एक भयंकर” व जिसकी प्रशंसा भारत के कम्युनिस्ट भी करते आये थे । उस समय माओवादी की गतिविधी इतनी जयादा थी कि राजतंत्र के शासन को अच्छा खासा प्रभावित किया था, जिससे लाखों राज्य सैनिकों की आवशयकता पड़ी व २५० वर्षेां का राजतंत्र भी हिल गया था । प्रचण्ड नें राजनीतिक दल के साथ समझौता करके राजशाह के स्थान पर लोकतंत्र के लाने का प्रयास व पूर्ण समर्थन दिया ।
जैसा कि सन् २००६ में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला के साथ औपचारिक समझौते के साथ ही व हस्ताक्षर करके, युद्ध का समापन कर शान्ति स्थापित की गयी व बाद में ऐतिहासिक संक्रमण काल के पश्चात् संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना का प्रयास किया गया । परिणामस्वरुप राजशाही का अंत व प्रचण्ड संविधान सभा में प्रधानमंत्री के रुप में चयनित हुए परन्तु अभी तक के इतिहास में प्रचण्ड की भूमिका नकारात्मक ही रही है ।
इनके दवारा अपनाये गये भाई भतीजेवाद की नीति नें अच्छा खासा तूल लिया था । गरीबी वैसे की वैसे ही थी, बेरोजगारी बढ़ ही गयी थी व लोग रोजगार के लिए पलायन कर रहे थे । इन पर तो प्रेस की स्वतंत्रता को भी बाधित करने का आरोप था । अंततः इन्हें इस्तीफा देना ही पड़ा था ।
नेपाल की राजनीति में प्रचण्ड की भूमिका अहम् है । अब इन्होनें पहाड व मधेश को समावेशी संविधान देना तय किया है और संविधान में परिवर्तन भी स्वीकार्य है पर यह संविधान तो वही है जिसे १ वर्ष पहले प्रचण्ड का समर्थन प्राप्त था और अब परिवर्तन क्यों ? क्या इसलिए चूंकि प्रचण्ड को ज्ञात है कि एक तिहाई जनता संविधान संशोधन चाहती है व आने वाले दिनों में चुनाव के लिए यह अति आवश्यक है या प्रचण्ड को जनता की समस्या का ज्ञान हो गया है ।
फिलहाल यह सत्ता का चमत्कार है जिसका परिणाम आने वाले समय में ही पता चलेगा जिसमें चुनाव से पहले की रणनीति क्या होगी? व जनता को क्या मिलेगा, का पता चलेगा ।
Loading...