Fri. Mar 29th, 2024
 मालिनी मिश्र, १२ अगस्त काठमाण्डू ।।
लोकतंत्र में सरकार होती है जनता के लिए, देश चलाने के लिए व प्रतिनिधित्व के लिए पर यहां सरकार में शामिल नेताओं को स्वयं की इच्छा पूर्ति के अलावा दूसरा कोई भी काम दिखता ही नही है या देखना ही नहीं चाहते हैं ।
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फिलहाल यह मंत्री परिषद के निर्धारण में ही  कहीं ९ महीनें निकल  न जाएं । कई नेता आये व गये , कई तो २ व ३ बार सत्ता में आये हैं पर नेपाल देश की विडम्बना है कि ऐसा कुछ नहीं कर सके जिससे जनता उन्हें ही वोट देने को आतुर हो ।
एक तरफ जहां गच्छदार उपप्रधान मंत्री बनना चाहते हैं वहीं दूसरी तरफ उनका व उनकी पार्टी का क्या होगा अब तक पता नहीं । अन्तिम समय तक ओली का साथ देने का वादा करने वाले गच्छदार की पार्टी प्रचण्ड के पक्ष में जाने के बाद भी स्थिति में कुछ भी फेरबदल की गुंजाइश नही है ।
 स्थिति देख कर अपना स्थान बदने वालों में गच्छदार नें कभी इधर तो कभी उधर जाने की ढुल मुल नीति का पालन बखूब ही किया है ,पर अभी भी सत्ता की बागडोर हाथ में आने का नाम ही नही ले रही है ।
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इतना ही नही, कई माओवादी नेताओं में तो होड़ सी लग गयी है प्रधानमंत्री के निवास स्थान पर जाने की व मंत्री बनने की । कहीं ऐसा न हो कि मौका हाथ से निकल जाए । हर एक पार्टी व दलों की अपनी निजी समस्याएं हैं। आन्तरिक समस्याओं को सुलझाने में असमर्थ ये नेतागण एक दूसरे पर शिकस्ती बहुत ही अच्छी तरह करते हैं ।
मधेस की अलग समस्या पहाड की अपनी समस्या  जाति जनजाती की अपनी समस्याएं हैं । इधर चुनाव समय से हो और हो ही जाए , इसके लिए सभी की सहमति की आवश्यकता है । पर स्थिति को देख कर ऐसा संभव हो , लग नहीं रहा है । इस समय यह कहना भी कोई अनूठी व आश्चर्य की बात नहीं है कि सत्ता में आने के लिए, ९ महीनें का समय खत्म होने पर फिर कोई नया नियम न बन जाए । सत्ता के ठेकेदारोंं के सत्ता का पत्ता कटते देर नहीं लगती है इसलिए अभी समय उचित है कि समय रहते ही मंत्री बनने के विशेष आफर का लाभ उठा लिया जाए ।

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